PCC ने संगठन में नियुक्तियों का खाका किया तैयार, इस बार पार्टी ने निकाला ये नया फार्मूला
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PCC ने संगठन में नियुक्तियों का खाका किया तैयार, इस बार पार्टी ने निकाला ये नया फार्मूला

पीसीसी ने संगठन में नियुक्तियों का खाका तैयार कर लिया है. 

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Jaipur: राजस्थान में लंबे समय से कांग्रेस (Congress) के संगठन में जिला और ब्लॉक स्तर पर नियुक्तियां नहीं हो पाई है. फाइनली अब पीसीसी (PCC) ने संगठन में नियुक्तियों का खाका तैयार कर लिया है. जिला अध्यक्ष की नियुक्ति में जहां विधायक (MLA) और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी, लेकिन ब्लॉक अध्यक्षों के लिए इस बार पार्टी ने नया फार्मूला निकाला है. ब्लॉक अध्यक्ष में किसी सिफारिश की बजाए क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे ज्यादा काम करने वाले व्यक्ति को ही ब्लॉक अध्यक्ष बनाया जाएगा. इस नए फार्मूले के तहत अलवर में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है.

ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति में परफॉर्मेंस को मापदंड रखा जाएगा
प्रदेश कांग्रेस के 400 ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्तियों में इस बार विधायकों और नेताओं की सिफारिश नहीं बल्कि इस बार ब्लॉक अध्यक्षों (block presidents) की नियुक्ति में परफॉर्मेंस को मापदंड रखा जाएगा. हालांकि पूर्व में नेताओं और विधायकों की सिफारिश पर ही ब्लॉक अध्यक्ष बनते आए हैं, लेकिन इस बार नेताओं की सिफारिश को तवज्जो नहीं दी जाएगी. ब्लॉक अध्यक्षों का मापदंड तय करने के लिए प्रदेश कांग्रेस की ओर से इस बार एक नया पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसके तहत ब्लॉक अध्यक्ष की नियुक्ति होगी. इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत प्रयोग के तौर पर अलवर जिले से शुरू की गई है. अलवर जिले में अगर यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो फिर इसे प्रदेश के सभी जिलों में लागू करने की बात की जाएगी.

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सक्रियता के हिसाब से उनकी परफोर्मेंस तय की जाएगी
दरअसल प्रदेश कांग्रेस की ओर से ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए बनाए गए पायलट प्रोजेक्ट के तहत विधानसभा क्षेत्रों में बूथ लेवल (booth level) और सेक्टर लेवल की कमेटियां बनेंगी और इन कमेटियों में काम करने वाले लोगों की सक्रियता के हिसाब से उनकी परफॉर्मेंस (performance) तय की जाएगी. सबसे ज्यादा सक्रिय रहने वाला व्यक्ति ही ब्लॉक अध्यक्ष बनाया जाएगा. ब्लॉक अध्यक्ष का नाम बूथ लेवल और सेक्टर लेवल की कमेटियों की सर्वसम्मति से भी तय होगा. 

बूथ लेवल पर 5 लोगों की बनेगी कमेटी
पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में बूथ लेवल पर 5 लोगों की कमेटी बनेगी, जिसमें एक महिला और एक सोशल मीडिया फ्रेंडली (social media friendly) व्यक्ति होना अनिवार्य है. इसके अलावा तीन अन्य लोग इस कमेटी के में शामिल होंगे. बूथ लेवल कमेटी के पांचों लोग एक व्हाट्सएप ग्रुप (whatsapp group) से जुड़ेंगे. बूथ लेवल कमेटी के गठन के बाद सेक्टर लेवल कमेटिया बनेंगी, जिसमें 25 से 30 लोग शामिल होंगे. बूथ लेवल कमेटियों के अध्यक्ष भी सेक्टर लेवल के मेंबर होंगे.

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जनता से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के किए जाएंगे कार्य
दरअसल बूथ लेवल और सेक्टर लेवल कमेटियां के व्हाट्सएप ग्रुप में बूथ लेवल और सेक्टर लेवल की समस्याओं और जनता से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के कार्य किए जाएंगे. इसक अलावा बूथ और सेक्टर लेवल पर पार्टी को स्थानीय लोगों की समस्याओं का निराकरण करने के बाद किस प्रकार से जनता के बीच मजबूत किया जाए इस पर भी काम किया जाएगा. बूथ लेवल और सेक्टर लेवल के व्हाट्सएप ग्रुप में संबंधित क्षेत्र की समस्याओं के साथ ही प्रशासन स्तर के कामकाज को रखा जाएगा और उसे तुरंत हल करने के प्रयास होंगे. इसमें जनता की समस्याओं के निराकरण में सबसे ज्यादा भूमिका निभाने वाले व्यक्ति को ब्लॉक अध्यक्ष बनाया जाएगा.

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हालांकि प्रयोग के तौर पर यह पायलट प्रोजेक्ट अभी केवल अलवर जिले में शुरू किया गया है, जहां पर सभी विधानसभा क्षेत्रों में बूथ लेवल और सेक्टर लेवल कमेटियां गठित की जा रही हैं. पायलट प्रोजेक्ट के जरिए ब्लॉक अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के पीछे एक वजह यह है कि विधायकों और नेताओं की सिफारिशों पर बनें ब्लॉक अध्यक्षों की निष्ठा पार्टी (Congress Party) के प्रति न होकर विधायक और नेताओं तक ही सीमित हो जाती है, जिससे ग्राउंड पर पार्टी की पकड़ ढीली पड़ जाती है, और चुनावों में पार्टी को इसका खमियाजा भुगतना पड़ता है.

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