राजस्थान विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव के जरिए विपक्ष ने प्रमुखता से बिजली की महंगी दरों का मुद्दा उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश की.
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Jaipur : राजस्थान विधानसभा में आज बिजली की बढ़ी हुई दरों की गूंज सुनाई दी. स्थगन प्रस्ताव के जरिए हुई चर्चा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया (Gulab Chand Kataria) और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने राजस्थान में बिजली की दरों का मुद्दा उठाते यह सरकार को भेजने की कोशिश की. ऊर्जा मंत्री ने विपक्ष पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया है तो सदन ने इस मुद्दे पर ऊर्जा मंत्री डॉक्टर बी डी कल्ला को कल वक्तव्य पेश करने के निर्देश दिए हैं.
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राजस्थान विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव के जरिए विपक्ष ने प्रमुखता से बिजली की महंगी दरों का मुद्दा उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश की. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा हिंदुस्तान में सबसे महंगी बिजली राजस्थान में है. दूसरे खर्चे जोड़कर करीब 10 रुपये प्रति यूनिट उपभोक्ताओं को पड़ती है. जो व्यक्ति बिजली का उपभोग ही नहीं कर रहा, जिसने केवल कनेक्शन ले रखा है उससे भी 800 रुपये स्थाई शुल्क लिया जा रहा है.
कटारिया ने कहा कि जब हमने सरकार छोड़ी थी तब 15 हजार करोड़ का घाटा था. उदय योजना से कर्जा चुकाया था. आज ये कंपनियां फिर से 86 हजार करोड़ के घाटे में आकर खड़ी हो गई है. राजस्थान (Rajasthan News) में कोयले की कमी के चलते कंपनियां बंद हो रही है. दूसरे राज्यों ने कोविड के चलते फ्यूल चार्ज में छूट दी है. महंगी बिजली खरीदकर बिजली बनाने वाले लोगों को लखपति बनाने का काम किया. कम से कम छोटे उपभोक्ताओं को बिजली की मार से मुक्त करो.
गुलाबचंद कटारिया ने बिजली के बिलों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) की फोटो को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा. कटारिया ने कहा बिल पर CM की फोटो छपने से सरकारें मजबूत होती हों तब तो खूब लगाओ, लेकिन आम उपभोक्ता के साथ सरकार यह घिनौना खेल खेल रही है. विभाग के सोच ही कमजोर है. तीन - चार रुपए में मिलने वाली बिजली 12 रुपए में ले रहे हो. छोटे कंज्यूमर को बिजली कनेक्शन कटौती और भारी बिल की मार से माफ करो.
इस मुद्दे को लेकर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी सरकार को भेजने की कोशिश की. प्रतिपक्ष के उपनेता ने कहा कि बिजली खरीद में एक नेक्सस बन गया है. कुछ लोग गिरोह के रूप में काम कर रहे हैं. कम्पनियां दिवाला निकाल रही. सरकार उन्हें मालामाल बना रही है. कोरोना काल मे लघु उपभोक्ता के कनेक्शन काटे गए आमदनी कम होने से लोग बिल नहीं चुका पाए. बिजली नहीं आने से किसान की फसल सुख गई. 17 से 20 रुपये प्रति यूनिट में बिजली खरीदी गई. आज तक इतनी महंगी बिजली किसी ने नहीं खरीदी. थर्मल से प्रति यूनिट खर्च 3.78 आता है. राजस्थान में उपभोक्ताओं को को लूटा जा रहा है. बिजली के बिल करंट मार रहे हैं. 2 साल में 25 हजार करोड़ की बिजली खरीदी गई. कोयले की कमी का बहाना कर थर्मल बन्द कर रहे. निजी उत्पादन कम्पनियां चांदी कूट रही है. बीजेपी विधायक दल सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि सदन में सीएम ने कहा था राज्य में बिजली सर प्लस है. आज सर पल्स बिजली कहां चली गई इसका कोई जवाब नहीं है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बिजली की दरों को नहीं बढ़ाने की भी घोषणा की थी, लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं हो रहा.
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विपक्ष के आरोपों पर उर्जा मंत्री डॉ. बी डी कल्ला ने कहा विपक्ष के नेता बिजली के मुद्दे पर गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. जो तथ्य वह पेश कर रहे हैं वह सही नहीं है. सदन ने बिजली के मुद्दे पर ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला को कल सदन में अपना वक्तव्य रखने के निर्देश दिए हैं.
इसमें कहीं कोई दो राय नहीं है कि राजस्थान में बिजली की महंगी दरों की वजह से आम उपभोक्ता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. निश्चित तौर पर आज विपक्ष के नेताओं ने जनहित से इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया है. ऐसे में अब बड़ी जिम्मेदारी उर्जा मंत्री डॉक्टर बी डी कल्ला की है ताकि वह इस मुद्दे पर न केवल सरकार का रुख स्पष्ट करें बल्कि ऐसी कार्ययोजना भी सदन में रखे, जिससे आने वाले दिनों में आम उपभोक्ताओं को राहत मिल सके.