जयपुर जिला कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित के प्रयासों के बाद अब जिला कलेक्ट्रेट में कामकाज को पेपरलैस करने के लिए ई-फाइलिंग सिस्टम शुरू कर दिया गया हैं. अब पेपर वर्क की जगह ई-ऑफिस प्लेटफॉर्म पर ई-फाइलिंग के जरिए ही पत्र व्यवहार हो सकेगा. हर साल स्टेशनरी पर खर्च होने वाले 3 लाख रूपए की बचत होगी.
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E-file system started in Jaipur: जयपुर कलेक्ट्रेट प्रदेश का पहला पेपरलेस डीएम ऑफिस होगा. जयपुर जिला कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित के प्रयासों के बाद अब जिला कलेक्ट्रेट में कामकाज को पेपरलैस करने के लिए ई-फाइलिंग सिस्टम शुरू कर दिया गया हैं.यानी अब पेपर वर्क की जगह ई-ऑफिस प्लेटफॉर्म पर ई-फाइलिंग के जरिए ही पत्र व्यवहार हो सकेगा. फिलहाल दो सेक्शन को इसमें शामिल कर इसकी शुरूआत की गई. इससे पहले संबंधित विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों को ई-फाइलिंग को लेकर ट्रेंनिंग भी दी गई.
जयपुर कलेक्ट्रेट में अब ई-फाइलिंग सिस्टम से सभी पत्राचार अब बाबू से लेकर कलेक्टर तक कंप्यूटर पर ही चलेगी. जयपुर कलेक्ट्रेट राजस्थान का पहला कलेक्ट्रेट परिसर बन गया है. जहां अब पेपरलेस वर्क शुरू हो गया है. यहां अब सभी फाइलों का संचालन और मूवमेंट अब ई-फाइल सिस्टम के जरिए होगा. जिसमें फिजिकल फाइल न होकर सारा काम ऑनलाइन होगा और ऑनलाइन ही अधिकारियों के सिग्नेचर और टिप्पणिया होगी. इस सिस्टम के शुरू होने से सबसे बड़ा फायदा टाइम बाउंड काम का होगा. इसमें अधिकारी या कर्मचारी ये बहाना नहीं बना सकता है कि फाइल नहीं मिल रही, क्योंकि सारा काम ऑनलाइन होगा और वह किसी भी जगह बैठकर फाइल को अपनी लॉग आईडी से देख सकता है.
जयपुर कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने बताया कि राजस्थान के 33 जिलों में जयपुर पहला ऐसा कलेक्ट्रेट बन गया है. जहां पेपरलेस वर्क शुरू हुआ है. इस सिस्टम के शुरू होने से न केवल कागज की बचत होगी, बल्कि समय भी बचेगा. यही नहीं कलेक्ट्रेट में फाइलें कहां है, कौन से सेक्शन में पड़ी है. कब से डिस्पोजल नहीं हुई ये सब समस्याएं आगे से नहीं होगी. हर फाइल का एक बार कोड और यूनिक आईडी नंबर जनरेट होगा.
इस नंबर और बारकोड से ये पता चल जाएगा कि फाइल कब शुरू हुई और वर्तमान में किस सेक्शन में किस अधिकारी के पास है. एक बार अधिकारी के साइन हो जाने के बाद उसमें कोई काट-छांट नहीं कर सकता. अगर अधिकारी दूसरे शहर में गए हैं तो लैपटॉप पर भी काम निपटा सकते हैं. अगर उस फाइल को प्रदेश के अन्य जिले में भेजना है तो उसके डिस्पेच का खर्चा नहीं आता. फाइल को मेल किया जाता है. यदि दो अधिकारियों को फाइल के बारे में बात करनी है तो अपने कम्प्यूटर पर उसके बारे में चर्चा कर सकते हैं. किसी भी फाइल को मंगाने के लिए मैन पावर का इंतजार नहीं करना पडे़गा.
जयपुर जिला कलक्ट्रेट में अभी इस काम की शुरूआत में अभी दो ही सेक्शन को शामिल किया है. जिसमें एक है संस्थापन और दूसरा है सामान्य शाखा. संस्थापन के काम में कलेक्ट्रेट से जुड़े तमाम अधिकारियों-कर्मचारियों का रिकॉर्ड ऑनलाइन होगा और अब से इनके संबंध में जो भी फाइलें चलेगी वह केवल ऑनलाइन ही चलेगी. इन दो सेक्शन के बाद ज्यूडिशरी से संबंधित काम-काज ऑनलाइन किए जाएंगे.
अब छुट्टी से एप्लीकेशन से लेकर नोटिस तक ई-फाइलिंग सिस्टम से होंगे. ऑनलाइन वर्क होने से फाइलों का निस्तारण वर्क फ्रॉम होम के जरिए भी हो सकेगा. वर्तमान में अगर कोई अधिकारी छुट्टी पर कहीं बाहर गया है और उसके साइन की जरूरत है तो वह बाहर बैठे भी ऑनलाइन फाइल को पढ़कर उस पर ई-साइन करके उसका अप्रूवल दे देगा. इस सिस्टम से फाइलों का डिस्पोजल टाइम बाउंट हो जाएगा. वर्तमान में आबकारी विभाग, जयपुर जेडीए, डीओआईटी समेत दूसरे विभागों में भी ऑनलाइन काम शुरू हो गया है. इससे वहां भी टाइम बाउंड फाइलों का निस्तारण होता है.
शर्मा ने बताया की प्रत्येक कार्मिक की एसएसओ आइडी बनाई गई है. पत्रावली शुरू करने के लिए एसएसओ आईडी के जरिए नोटशीट बनती है. मूल पत्र नोटशीट के साथ अटैच किया जाता है और फिर पत्रावली पर सेक्शन ऑफिसर से लेकर कलक्टर तक ओके, प्लीज स्पीक या अन्य टिप्पणी अंकित की जाती है. फाइल क्लीयर होने पर एसएसओ आईडी ई-मेल बॉक्स में फाइल आती है और महत्वपूर्ण निर्णय के आदेश जारी होते हैं. हर साल स्टेशनरी पर खर्च होने वाले 3 लाख रूपए की बचत होगी साथ में फाइल के खोने,जलने जैसे सभी खतरे समाप्त हो जाएंगे.
बहरहाल, जैसे-जैसे डिजिटिलाइजेशन बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे लगातार सरकारी ऑफिसों में भी इसे बढ़ावा दिया जा रहा है. टेबल पर धूल भरी फाइलों का बोझ और गलियारों में जंग लगी अलमीराओं की भीड़ अब कम की जा रही है. जयपुर जिला प्रशासन ने भी पेपरलेस ऑफिस के कांसेप्ट को अपना लिया गया है. जयपुर जिला प्रशासन भी इससे पीछे नहीं है.कलेक्ट्रेट में अब आप घुसेंगे तो कंप्यूटर पर ही आपको काम करते हुए अफसर और कर्मचारी नजर आएंगे.