jaipur news: राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा कि शिक्षा ही उन्नति का प्रथम सोपान है. शिक्षा का मूल कार्य स्वयं की पहचान करना है. उन्होंने आह्वान किया कि विद्यार्थी, शिक्षा का उपयोग चरित्र निर्माण के साथ विश्व कल्याण के लिए करें. राज्यपाल मिश्र रविवार को महाराज गंगा सिंह विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया..
कलराज मिश्र ने विद्यार्थियो को शिक्षा के माध्यम से स्वयं का सर्वांगीण विकास करते हुए शारिरिक, बौद्धिक और भावात्मक शक्तियों को पुष्ट करने का आह्वान किया . उन्होंने कहा कि महाराजा गंगा सिंह आधुनिक सुधारवादी भविष्य दृष्टा शासक थे. उनका लोकतांत्रिक प्रणाली में विश्वास था. उन्होंने कहा कि बीकानेर भाईचारे की संस्कृति वाला अनूठा शहर है. उन्होंने मुरलीधर व्यास, डॉ. छगन मोहता, यादवेंद्र शर्मा ''चंद्र'', अजीज आजाद, मोहम्मद सदीक और हरीश भादाणी जैसे साहित्यकारों और यहां की पाटा संस्कृति का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि उन्हें बीकानेर में सदैव अपनत्व के भाव मिले हैं.
कुलाधिपति ने कहा कि शिक्षा, चरित्र निर्माण के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. सूचना और प्रौद्योगिकी के दौर में विश्वविद्यालय को ऐसे नवाचार अपनाने होंगे, जिनसे स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए विद्यार्थी स्वयं को वैश्विक स्तर पर भी समर्थ बना सकें.
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय के संविधान पार्क, विवेकानंद स्मारक, महात्मा गांधी स्मारक विद्यार्थियों को ज्ञान और संस्कारों से जोड़ रहे हैं . अन्तर विश्वविद्यालय क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन विद्यार्थियों के लिए व्यक्तित्व निर्माण के मंच है. कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय की छात्रा मोनिका जाट को एशियन साइक्लिंग चैम्पियनशिप में पदक प्राप्त करने पर बधाई दी.
राज्यपाल ने कहा कि उद्योग जगत तथा विश्वविद्यालयों को आपसी अंतर पाटने की आवश्यकता है. उद्योग जगत को कुशल मानव संसाधन और विद्यार्थियों को व्यवसायिक कौशल मिले, इस दिशा में विश्वविद्यालय और प्रयास करें.अनुसंधान, विकास और नवाचार की भावनाओं को पोषित करने की आवश्यकता पर विशेष ध्यान दिया जाए.
राज्यपाल ने कहा कि बीकानेर हजार हवेलियों के शहर के रूप में अलग सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आर्थिक पहचान रखता है, उस्ता, रम्मत, लघु चित्र शैली , मथेरण कला जैसे विषयों पर भी यहां मौलिक शोध कार्य हों.
राज्यपाल ने कहा कि ज्ञानार्जन एक सतत प्रक्रिया है. जो सदैव सीखने का उत्सुक रहता है, वही जीवन को सही मायने में जीता है. उन्होंने शिक्षकों का आह्वान करते हुए कहा कि वे युवाओं को नियमित शिक्षा के साथ उनमें कौशल क्षमता बढ़ाकर स्वरोजगार और प्रतिस्पर्धात्मक रूप से आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं.
इससे पहले राज्यपाल ने दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की. मिश्र ने संविधान की प्रस्तावना और मूल कर्तव्यों का वाचन किया. कुलपति प्रो. विनोद कुमार सिंह ने मिश्र को पुष्प गुच्छ और श्रीफल भेंट कर, शाल ओढ़ाकर स्वागत किया.
कुलपति ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया. उन्होंने बताया कि दीक्षांत समारोह में विभिन्न संकायों के 28 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधियां प्रदान की गई. वहीं स्नातक एवं स्नातकोत्तर के अंतिम वर्ष की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले 1 लाख 11 हजार 990 अभ्यर्थियों को उपाधियां प्रदान की गई. वहीं स्वीटी सुथार को कुलाधिपति पदक, सोहा शर्मा को कुलपति पदक, निकिता विधानी को आईसीएसआई सिग्नेचर अवार्ड तथा 57 स्नातक और अधिस्नातक विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए. राज्यपाल ने 57 में से 45 पदक छात्राओं द्वारा हासिल करने को सुखद बताया.
कुलसचिव अरुण प्रकाश शर्मा ने आभार प्रकट किया. समारोह में विश्विद्यालय द्वारा प्रकाशित स्मारिका दीक्षा का भी विमोचन किया गया. इससे पहले राज्यपाल मिश्र को एनसीसी कैडेट्स द्वारा गार्ड आफ ऑनर दिया गया. राज्यपाल ने महाराजा गंगा सिंह प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की.
इस दौरान स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरुण कुमार, बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अंबरीश शरण विद्यार्थी, पूर्व कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत आदि मौजूद रहे.