कैसे होगा शहर का विकास, नगरपालिका के नए ईओ का एक ही दिन में तबादला
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कैसे होगा शहर का विकास, नगरपालिका के नए ईओ का एक ही दिन में तबादला

प्रदेश की राजधानी जयपुर के बस्सी नगरपालिका में एक वर्ष 15 दिन में तीन अधिशासी अधिकारी तो बदल गए और अब चौथा कितने दिन टिकेगा कोई नहीं बता सकता. इनमें से एक अधिशासी अधिकारी का तो दो दिन में ही तबादला कर दिया. ऐसे में शहरवासियों को चिंता है कि शहर का विकास कैसे होगा.

कैसे होगा शहर का विकास, नगरपालिका के नए ईओ का एक ही दिन में तबादला

Bassi: प्रदेश की राजधानी जयपुर के बस्सी नगरपालिका में एक वर्ष 15 दिन में तीन अधिशासी अधिकारी तो बदल गए और अब चौथा कितने दिन टिकेगा कोई नहीं बता सकता. इनमें से एक अधिशासी अधिकारी का तो दो दिन में ही तबादला कर दिया. ऐसे में शहरवासियों को चिंता है कि शहर का विकास कैसे होगा.

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जानकारी के अनुसार बस्सी शहर ग्राम पंचायत था, लेकिन राज्य सरकार ने वर्ष 2020 में नगरपालिका का दर्जा दे दिया था. फिर कोई पेच फंसने से बस्सी नगरपालिका बनने से वंचित रह गई और मामला अटक गया था. उस समय तेजराम मीना जो महुवा नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी थे, उनको अतिरिक्त चार्ज सौंपा था. लेकिन फिर से 13 मई 2021 को नगरपालिका का दर्जा मिल गया था और चार्ज जितेन्द्र मीना को सौंप दिया था. इसके बाद 17 जुलाई 20221 को अधिशासी अधिकारी के पद पर अजय अरोड़ा को लगाया गया.

अरोड़ा का भी 24 मई 2022 को तबादला स्वायत्त शासन विभाग जयपुर में उनके मूल पद पर कर दिया और महुवा नगरपालिका अधिशासी अधिकारी तेजराम मीना को बस्सी का नया ईओ लगा दिया. अब गत 25 मई को तेजराम मीना ने बस्सी नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी के पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया तो 26 मई को उनको अलवर जिले की राजगढ़ नगरपालिका में लगाने के विभाग ने आदेश जारी कर दिए. अब जिनको भी लगाया जाएगा उनका पता नहीं यहां कितने दिन टिकेंगे या नहीं. हालांकि बस्सी शहर पहले भी नगरपालिका था, लेकिन फिर से इस शहर को नगरपालिका से ग्राम पंचायत बना दिया और उस वक्त विकास की लोगों को आस बंधी थी, वह आस काफिर हो गई थी.

नगरपालिका बस्सी में एक के बाद एक अधिशासी अधिकारियों के तबादले होने से अधिकारियों को काम काज समझने का मौका ही नहीं मिल रहा है. जबकि अधिकारी शहर के कामकाज से जानकार होता है तब तक उसका तबादला करा दिया जाता है. जबकि बस्सी नगरपालिका जन प्रतिनिधि मण्डल का अभी तक चुनाव भी नहीं हुआ है. यहां का सारा कामकाज अधिशासी अधिकारियों को ही देखना पड़ता है. शहर को नगरपालिका का दर्जा मिले भी एक वर्ष से अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी तक चुनाव के लिए सभापति व वार्ड पार्षदों के पदों की लॉटरी तक नहीं निकाली है. ऐसे में पता नहीं अभी तक चुनाव में भी कितना समय लगेगा.

Reporter- AMIT YADAV

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