सरकार के सुशासन के प्रयासों को अधिकारी पलीता लगा रहे हैं. सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों, कर्मचारियों की मनमानी चल रही है.
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Jaipur : सरकार के सुशासन के प्रयासों को अधिकारी पलीता लगा रहे हैं. सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों, कर्मचारियों की मनमानी चल रही है. कोई भी समय पर अपनी ड्यूटी पर नहीं पहुंच रहा है. अफसरों और बाबुओं की लेटलतीफी के कारण अपने काम कराने के लिए सरकारी कार्यालयों में पहुंचने वाले लोगों को परेशान होना पड़ता है. मेयर मुनेश गुर्जर (Mayor Munesh Gurjar) ने आज जब हैरिटेज नगर निगम मुख्यालय का औचक निरीक्षण किया तो कुर्सियां अफसरों का इंतजार कर रही तो तो कुछ कमरों के ताले लटके हुए मिले, तो कुछ कार्मिक तो इतने एडवांस निकले की ड्यूटी पर आए नहीं और एक दिन पहले ही रजिस्टर में एडवांस हाजिरी लगाकर गायब है.
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जयपुर नगर निगम हैरिटेज (Jaipur Municipal Corporation Heritage) की मेयर मुनेश गुर्जर के आज हैरिटेज मुख्यालय में हुए औचक निरीक्षण से कर्मचारियों-अधिकारियों में हड़कंप मच गया. मेयर ने मुख्यालय पहुंचते ही अधिकारियों-कर्मचारियों की उपस्थिति देखी तो भड़क गई. उन्होंने सभी शाखाओं (विभागों) के कर्मचारियों के अटेंडेंस रजिस्टर्ड मंगवाए और देखे तो 70 फीसदी अधिकारी और कर्मचारी गैरहाजिर मिले, लेकिन मेयर के निरीक्षण से ज्यादा उनका सुबह 9 बजे तक अधिकारियों और कर्मचारियो के दफ्तर पहुंचने का फरमान चर्चाओं में रहा.
एक तरफ सरकार ने सरकारी दफ्तरों को खोलने का समय सुबह 9.30 से शाम 6 बजे तक कर रखा है. जबकि मेयर ने सुबह 9 बजे अधिकारियों और कर्मचारियो को किसी भी हालत में ऑफिस पहुंचने की नसीहत दी है और दो टूक कहा कि यदि सुबह 9 बजे दफ्तर नहीं पहुंच सकते तो घर बैठे ऐसे कार्मिकों की निगम में जरूरत नहीं...मेयर के इस फरमान से अब कार्मिक भी कंफ्यूज हो गए. क्योंकि दफ्तर की टाइमिंग सुबह 9:30 से शाम 6 बजे तक की है. ऐसे में कर्मचारियों में ये चर्चा रही कि क्यों मेयर को ये तक नहीं पता कि दफ्तर की टाइमिंग क्या है?
नगर निगम मुनेश गुर्जर ने बताया कि कई दिनों से ये शिकायत मिल रही थी कि निगम हैरिटेज मुख्यालय में कर्मचारी-अधिकारी समय पर नहीं आ रहे. यही स्थिति आज भी मेयर को देखने पर मिली. सुबह करीब 9.45 बजे जब मेयर निगम मुख्यालय पहुंची तो वहां 70 फीसदी कर्मचारी-अधिकारी गैरहाजिर मिले. उन्होंने हैल्पलाइन सेंटर और अन्य अधिकारियों के चैम्बर में जाकर देखा तो न तो अधिकारी मिले और न ही उनका सपोर्टिंग स्टाफ. इसे देख मेयर मुनेश भड़क गई और अपने चैम्बर में पहुंचकर सभी शाखाओं के कर्मचारियों के उपस्थिति रजिस्टर्ड मंगवाए और उनकाे चैक किया। इस पर 70 फीसदी कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज नहीं दिखी.
मेयर ने कर्मचारियों की गैर उपस्थिति को देखकर कुछ अधिकारियों को बुलाया और फटकार लगाई कि इस तरह से काम नहीं चलेगा. अगर यही रवैया रहा तो इसे मैं आगे नहीं चलने दूंगी. उन्होंने कहा कि आपके इस रवैये के कारण हैरिटेज की इतनी बुरी दशा हो रही है. उन्होंने दो टूक शब्दों में अधिकारियों-कर्मचारियों को कहा कि सुबह 9 बजे तक आना पड़ेगा और काम शुरू करना पड़ेगा. लोग सुबह अपने जरूरत के काम से यहां आ तो जाते है लेकिन कर्मचारी नहीं मिलते तो निराश होकर लौटना पड़ता है.
बहरहाल,मेयर के निरीक्षण से ज्यादा कार्मिकों में उनकी जानकारी के अभाव को लेकर है. मेयर के 9 बजे आने के फरमान के बाद निगम कर्मचारियों में भी चर्चा शुरू हो गई कि क्या मेयर को सरकारी दफ्तर की टाइमिंग का पता नहीं है. दफ्तर खुलने की टाइमिंग सुबह 9:30 बजे से शाम 6 बजे तक की है. ऐसे में कर्मचारी 9 बजे क्यों आएगा.
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