परीक्षार्थियों द्वारा परीक्षा को 2 से 3 महीनों तक स्थगित करवाने की मांग को लेकर पिछले करीब एक महीने से प्रदेशभर में आंदोलन देखने को मिल रहा है तो वहीं पिछले सात दिनों से प्रदेशभर से जुटे अभ्यर्थियों डेरा डाल रखा है. धरना और प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिला अभ्यर्थी भी मौजूद हैं.
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Jaipur: आरएएस मुख्य परीक्षा (RAS Main Exam) को स्थगित करवाने की मांग को लेकर राजस्थान यूनिवर्सिटी के मुख्य गेट पर चल रहा धरना अब लगता है और बढ़ता जा रहा है. मुख्य परीक्षा आयोजित होने में महज 8 दिनों का समय बचा है लेकिन परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा स्थगित करवाने की मांग पर लगातार अड़े हुए हैं.
पिछले सात दिनों से राविवि के मुख्य गेट पर धरने पर बैठे परीक्षार्थियों ने अब आमरण अनशन की चेतावनी तो दे दी है. साथ ही आरपीएससी के बाहर भी धरना शुरु करने की घोषणा कर दी गई है.
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परीक्षार्थियों द्वारा परीक्षा को 2 से 3 महीनों तक स्थगित करवाने की मांग को लेकर पिछले करीब एक महीने से प्रदेशभर में आंदोलन देखने को मिल रहा है तो वहीं पिछले सात दिनों से प्रदेशभर से जुटे अभ्यर्थियों डेरा डाल रखा है. धरना और प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिला अभ्यर्थी भी मौजूद हैं.
क्या कहना है धरने पर बैठे परीक्षार्थियों का
धरने पर बैठे परीक्षार्थियों का कहना है कि "किसी भी परीक्षा का सिलेबस विज्ञप्ति के साथ जारी होता है लेकिन इस बार आरएएस परीक्षा में सब उल्टा ही होता जा रहा है. पहले प्री परीक्षा आयोजित हुई और प्री परीक्षा के परिणाम के बाद आरपीएससी सिलेबस जारी कर रही है. जब सिलेबस में बदलाव करना ही था तो फिर परीक्षार्थियों को प्री और मुख्य परीक्षा के बीच करीब 6 महीनों का समय देना चाहिए था लेकिन आरपीएससी ने महज 3 महीनों का समय दिया, जिसकी वजह से मुख्य परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाए हैं. इसके साथ ही जब तक मांग पूरी नहीं होती है तब तक आंदोलन किया जाएगा. अपनी मांग को लेकर अगर आमरण अनशन पर रहते हुए जान भी देनी पडी तो देंगे लेकिन जब तक मांग पूरी नहीं होती तब तक डटे रहेंगे."
वहीं, परीक्षार्थियों के धरने को एनएसयूआई का भी समर्थन है. पिछले सात दिनों से एनएसयूआई पदाधिकारी भी दिन-रात धरने पर डटे हुए हैं. एनएसयूआई छात्र नेता अमरदीप का कहना है कि "सिलेबस में बदलाव के बाद परीक्षार्थियों को महज 3 महीनों का समय दिया गया है, जो पर्याप्त नहीं है,,सभी को इस परीक्षारियों को समस्या दिख रही है लेकिन आरपीएससी ओर सरकार को नहीं. इसलिए सरकार संवेदनशीलता दिखाते हुए जल्द से जल्द फैसला करे."