राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्सिंग ऑफिसरों के तबादला करने के पांच माह बाद जारी कार्यमुक्ति आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है. अदालत ने इसे नियमों के विरुद्ध बताया है.
Trending Photos
Jaipur News: राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्सिंग ऑफिसरों के तबादला करने के पांच माह बाद जारी कार्यमुक्ति आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने नर्सिंग ऑफिसरों को वर्तमान पद पर ही कार्य करते रहने को कहा है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश मुकेश कुमारी व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को तबादला आदेश जारी करने के बाद पांच माह तक कार्यमुक्त नहीं करना नियमों के खिलाफ है. ऐसे में कार्यमुक्ति आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाना उचित रहेगा.
याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता झुंझुनूं के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थापित हैं. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने गत 3 सितंबर को आदेश जारी कर याचिकाकर्ताओं को सरप्लस घोषित कर दिया और उनका तबादला जोधपुर कर दिया. हालांकि विभाग ने करीब पांच माह बीतने के बाद भी उन्हें वर्तमान पद से कार्यमुक्त नहीं किया। वहीं गत 19 जनवरी को विभाग ने अचानक आदेश जारी कर उन्हें स्थानांतरित स्थान के लिए कार्यमुक्त कर दिया.
ये भी पढ़ें- जयपुर: शाहपुरा मंदिर की सीढ़ियां तोड़ने के बाद मामला गरमाया, पुजारी से हाथापाई, जनप्रतिनिधि और ग्रामीण धरने पर बैठे
याचिका में कहा गया कि विभाग ने तीन सितंबर को सरप्लस घोषित किया था. इस दौरान याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया. जबकि नियमानुसार जिले में सरप्लस कर्मचारियों की सूची बनाकर संबंधित कर्मचारी को सुनवाई का मौका देने के बाद ही उसे सरप्लस घोषित किया जा सकता है. ऐसे में उन्हें सरप्लस घोषित करना नियम विरुद्ध है. वहीं तबादला आदेश जारी होने के बाद भी याचिकाकर्ताओं को आवश्यकता के कारण वर्तमान पर पदस्थापित रखा गया और नियमों के खिलाफ जाकर उन्हें पांच माह बाद कार्यमुक्त कर दिया गया.
ऐसे में विभाग की ओर से जारी कार्यमुक्ति आदेशों को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने कार्यमुक्ति आदेशों की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए उन्हें वर्तमान पदों पर ही काम करते रहने को कहा है.
Reporter- Mahesh pareek