Jaipur News: जयपुर नगर निगम ग्रेटर में मेयर पद के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू. प्रदेश बीजेपी ने की बाड़ेबंदी चौमू पैलेस होटल में दो बस भरकर पहुंचे पार्षद, सता रहा क्रॉस वोटिंग का डर.
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Jaipur: जयपुर नगर निगम ग्रेटर में मेयर पद के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस दौरान कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां मंथन करके अपने-अपने उम्मीदवार तय करेगी. इसके लिए बीजेपी ने भी आज दोपहर में सभी पार्षदों को मुख्यालय बुलाया, जिन्हें दो बसों के में चौंमू स्थित चौंमू पैलेस होटल में बाडाबंदी के लिए भेजा गया. इधर बहुमत नहीं होने के बावजूद मेयर का नाम तय करने के लिए कांग्रेस ने भी प्रदेश पीसीसी मुख्यालय पर बैठक बुलाई है, जिसमें शहर के विधायक भी शामिल हुए.
मेयर चुनाव को लेकर सियासी घमासान
ग्रेटर नगर निगम में मेयर चुनाव को लेकर सियासी घमासान बढ़ता जा रहा है. भाजपा ने अपने पार्षदों की जयपुर से करीब 30 किलोमीटर एक होटल में बाडाबंदी कर दी हैं. नामांकन का महज अब साढे चार घंटे का समय बचा है. जिसमें भाजपा कांग्रेस अपना-अपना गणित बिठाने में लगी हैं. वहीं ओबीसी वर्ग की महिला प्रत्याशी भी अपने लिए पार्टी के पदाधिकारियों और पार्षदों के बीच समर्थन जुटा रही हैं. भाजपा 3 साल पहले हुए मेयर चुनाव के समय अपनी रणनीति में फेल हो चुकी है तो, इस बार बडी सतर्कता से प्लानिंग कर रही हैं इसलिए बाडाबंदी से पहले सामान का बैग लेकर पार्षदों को भाजपा मुख्यालय में बुलाया गया. प्रदेश भाजपा मुख्यालय से दो बसों में भरकर पार्षदों को चौमूं पैलेस होटल में बाड़ेबंदी में भेजा गया. कुछ पार्षद अपनी निजी गाडी से ही होटल के लिए रवाना हुए.
इस दौरान जब पार्षदों से बात की तो कुछ ने कहा कि बाडाबंदी का मैसेज आया है इसलिए अब बाडाबंदी में जा रहें हैं, तो कुछ ने इसे बाड़ेबंदी न बताकर प्रशिक्षण शिविर का नाम दिया. भाजपा में पांच ओबीसी महिला प्रत्याशी हैं, जिनमें रश्मि सैनी, सुखप्रीत बंसल, शील धाभाई और भारती लख्यानी, कविता कटियार हैं. सभी अंदरखाने समीकरण बैठाने में लगी हैं. भाजपा शहर विधायक और वरिष्ठ नेता अपने-अपने समर्थक को मेयर बनाने का प्रयास कर रहें हैं. वहीं बीजेपी लाटा प्रकरण से सबक लेकर संभली हुई, दूसरी तरफ चुनावों को देखते हुए भाजपा ने अपने सीनियर विधायक और नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया को इस चुनाव का प्रभारी बना दिया है. जिससे पूरे प्रकरण को आसानी से संभाल सके और क्रॉस वोटिंग ना हो. भाजपा के पास बहुमत भले ही हो लेकिन क्रॉस वोटिंग का भी डर सता रहा हैं, इसलिए प्रशिक्षण का नाम लेकर बाडेबंदी की गई जिससे कोई पार्षद कांग्रेस के पाले में न जा सके.
भाजपा को जनवरी 2019 का घटनाक्रम याद है, जब बाड़ेबंदी से ही भाजपा के कुछ पार्षदों ने कांग्रेस से संपर्क करके अपनी ही पार्टी को मेयर के चुनाव में हरा दिया था. इसी दौरान बाड़ेबंदी से भाजपा के तत्कालीन पार्षद विष्णु लाटा गायब हो गए थे और उन्होंने कांग्रेस के सपोर्ट से मेयर का चुनाव लड़कर जीता था, ऐसे में इस बार भाजपा पहले से ज्यादा सतर्क दिख रही हैं, क्योंकि कांग्रेस की जो रणनीति है वह इस बार भी भाजपा के पार्षदों को अपने खेमे में लेकर मेयर का चुनाव जीतने की है.
नगर निगम ग्रेटर में ये है पार्षदों का गणित
2020 150 और वर्तमान में 146 पार्षदों की संख्या
पार्टी------------2020------------वर्तमान (2022)
भाजपा------------88---------------85
कांग्रेस------------49----------------49
निर्दलीय-----------13----------------12
भाजपा और भाजपा समर्थित पार्षदों की संख्या कुल-93
कांग्रेस और कांग्रेस समर्थित पार्षदों की संख्या-53
4पार्षदों को बर्खासत करने के बाद आंकडा 150 से घटकर 146
शहर जिलाध्यक्ष राघव शर्मा का कहना हैं कि इसे पार्टी ने हर बार की तरह प्रशिक्षण शिविर का नाम दिया है. जयपुर ग्रेटर में मेयर कौन बनेगा? यह हमारा शीर्ष नेतृत्व और पार्षद तय करेंगे, सबकी रायशुमारी होगी. अब बीजेपी पार्षदों से चर्चा करके जिस नेता के नाम पर आम राय बनेगी, उसे मेयर बनाया जाएगा इसीलिए प्रशिक्षण शिविर हो रहा है. षड़यंत्र करके कांग्रेस सरकार ने हमारे बोर्ड को अस्थिर किया, अभी शादी के सीजन में चुनाव का टाइम टेबल घोषित कर दिया, लेकिन फिर भी हम निश्चित तौर पर इसका फायदा उठाएंगे, जो पार्टी अपने हेरिटेज बोर्ड की समितियां नहीं बना पाई, जिसमें खुद एकजुट होने माद्दा नहीं है, वो बीजेपी के पार्षदों को क्या तोड़ पाएगी. लेकिन निश्चित रूप से प्रशिक्षण शिविर के बहाने बीजेपी परिवार में सब पार्षद एकसाथ रहेंगे, उनमें बातचीत होगी, इससे भ्रांतियां दूर होती हैं और परिवार का वातावरण बनता है इसलिए हम इस वक्त का सही उपयोग कर रहें हैं. यह बाड़ाबंदी नहीं प्रशिक्षण शिविर और पार्षदों में परिवार की भावना जगाने की कोशिश है.
क्रॉस वोटिंग से बचने के लिए शील धाभाई को ही मेयर प्रत्याशी बनाया जाए
जानकारों का मानना है की शहर के दो विधायकों का तर्क है कि क्रॉस वोटिंग से बचने के लिए वर्तमान कार्यवाहक मेयर शील धाभाई को ही मेयर प्रत्याशी बनाया जाए. इसके पीछे यह भी बताया जा रहा है कि इनके अलावा किसी दूसरे को मेयर बनाते हैं तो, शहर में विधायक के लिए दावेदारी कर सकती हैं. वहीं धाभाई उम्रदराज हैं, सरकारी आवास पर पार्षद दल तो दावेदारी पेश नहीं कर पाएंगी. उधर दावेदारों की बात करें तो रश्मि सैनी, सुखप्रीत बंसल और भारती लख्यानी से जब बात की तो उनका कहना था की संगठन जो फैसला करेगा वो मंजूर होगा. उधर कार्यवाहक मेयर शील धाभाई का नाम भी दौड में है लेकिन वो भाजपा मुख्यालय नहीं पहुंची. बताया जा रहा है वो सीधे ही होटल पहुंचेगी. भाजपा मुख्यालय में कविता कटियार के नाम को लेकर चर्चा रही. इधर बहुमत नहीं होने के बावजूद कांग्रेस भी खाली मैदान नहीं छोडेगी और अपना प्रत्याशी मैदान में उतारेगी. ग्रेटर निगम में कांग्रेस में सात ओबीसी महिला पार्षद हैं, जिनमें ममता यादव, दिव्या सिंह, हेमा सिंघानियां, राजूल सिंह, दीपिका सैनी, और संजू चौधरी,दिव्या सिंह शामिल हैं.
बहरहाल, जयपुर ग्रेटर नगर निगम में भाजपा का बहुमत है लेकिन कांग्रेस भाजपा की फूट का फायदा उठाएगी. कांग्रेस को मेयर बनाने के लिए भाजपा के गढ़ में सेंधमारी करनी पडेगी, जो इतना आसान नहीं दिख रहा है क्योंकि जयपुर ग्रेटर नगर निगम में कांग्रेस के पास बहुमत नहीं है और BJP की तुलना में बहुत बड़ा गैप है. बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो BJP का मेयर बनना तय माना जा रहा है.
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