नगर निगम ग्रेटर के सात जोनों में सिर्फ अभी तक दो जोनों में ही डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए टेंडर फाइनल पूरा हुआ है. शेष जोनों में डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए बार-बार टेंडर निकालने के बाद भी कोई फर्म पार्टिसिपेट नहीं कर रही हैं.
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Jaipur: नगर निगम ग्रेटर में बीवीजी कंपनी को हटाने के बाद शहर में बेपटरी हुई सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाने में पसीना आ रहा हैं. नगर निगम ग्रेटर के सात जोनों में सिर्फ अभी तक दो जोनों में ही डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए टेंडर फाइनल होकर हूपर घर-घर जाकर कचरा संग्रहण का काम कर रहे हैं. शेष जोनों में डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए बार-बार टेंडर निकालने के बाद भी कोई फर्म पार्टिसिपेट नहीं कर रही हैं.
कचरा संग्रहण के लिए कोई फर्म रूचि नहीं दिखा रही
नगर निगम ग्रेटर में डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए तीन बार टेंडर निकालने के बाद भी कोई फर्म रूचि नहीं दिखा रही हैं. मुरलीपुरा और मालवीय नगर जोन में डोर टू डोर कचरा संग्रहण के टेंडर होने के बाद 117 हूपरों से घर-घर से कचरा संग्रहण का काम शुरू हो गया हैं लेकिन बाकी बचे पांच जोनों में तीन बार टेंडर निकालने के बाद कोई फर्म रूचि नहीं दिखा रही तो अब नगर निगम प्रशासन अपने हूपरों से डोर टू डोर कचरा संग्रहण का काम करने की प्लानिंग कर रहा हैं.
सफाई व्यवस्था के हालात बिगड़ते जा रहे
दरअसल नई सफाई व्यवस्था के लिए कुछ जोनों में टेंडर नहीं होने से सफाई व्यवस्था बेपटरी होने के साथ हालात दिन पर दिन बिगड़ते जा रहे हैं. कचरा जब घरों से संग्रहण नहीं हो रहा हैं तो सड़कों पर कचरा फेंका जा रहा हैं. जिसके कारण शहर में जगह-जगह ओपन कचरा डिपो नजर आने लगे हैं. नगर निगम ग्रेटर सफाई व्यवस्था के लिए लगाए गए संसाधनों को लेकर दंभ भर रहा हो लेकिन वो नाकाफी हैं.
सात दिन तक लोगों को हूपरों का इंतजार करना पड़ता हैं
आज भी कचरा संग्रहण के लिए पांच से सात दिन तक लोगों को हूपरों का इंतजार करना पड़ता हैं. नगर निगम ग्रेटर आयुक्त महेन्द्र सोनी ने बताया की अभी तक मालवीय नगर और मुरलीपुरा जोन में फर्म को काम दिया गया हैं. मालवीय नगर में तो 26 वार्डों के लिए 65 हूपर से कचरा संग्रहण का काम एक सप्ताह पहले से शुरू हो चुका हैं और आज मुरलीपुरा जोन के 21 वार्डों के लिए 52 हूपरों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया हैं.
दोबारा टेंडर किया गया
झोटवाड़ा जोन में ज्यादा दरें आने के बाद दोबारा टेंडर किया गया हैं .संभावना जताई जा रही हैं कि 8 अगस्त तक टेंडर फाइनल हो जाए लेकिन मानसरोवर जोन, विद्वाधर नगर जोन, जगतपुरा और सांगानेर जोन में किसी भी फर्म ने निविदा प्रकिया भी भाग नहीं लिया हैं.
ठेके की व्यवस्था बहुत कॉस्टली पड़ती हैं- नगर निगम ग्रेटर आयुक्त
सोनी ने बताया की वैसे तो ठेके की व्यवस्था बहुत कॉस्टली पड़ती हैं. ऐसे में यदि पांच जोनों में टेंडर प्रकिया में कोई नहीं आता है तो फिर नगर निगम अपने हूपरों से ही कचरा संग्रहण का काम करेगा. सोनी ने बताया की जिन जोनों में टेंडर प्रकिया फाइनल हो गई हैं उन जोनों के हूपरों को दूसरे जोनों के वार्डों में शिफ्ट किया जा रहा हैं. जिससे वार्डों में हूपरों की संख्या बढ़ने से ज्यादा से ज्यादा घरों को कवर किया जा सकेगा.
डोर टू डोर कचरा संग्रहण का काम करेगा
दूसरी बड़ी बात यह है की नगर निगम ग्रेटर खुद अपने स्तर पर डोर टू डोर कचरा संग्रहण का काम करेगा तो फिर प्रत्येक घर के आगे आरएफआईडी कार्ड लगाने का काम नहीं होगा और ना ही यूजर चार्ज वसूला जा सकेगा. निगम ग्रेटर के जिन जोनों में फर्म डोर टू डोर कचरा संग्रहण का काम करेगी वो ही आरएफआईडी कार्ड लगाएंगी और उसके बाद यूजर चार्ज वसूला जा सकेगा.
निगम प्रशासन पहले कॉमर्शियल भवनों से यह पैसा वसूल करेगा
सोनी ने बताया की निगम प्रशासन पहले कॉमर्शियल भवनों से यह पैसा वसूल करेगा. वसूली सभी भवनों पर तीन महीने में आरएफआईडी कार्ड लगने के बाद शुरू होगी. निगम ने जिस कंपनी को डोर टू डोर कंचरा संग्रहण का काम सौंपा है. वह कंपनी जल्द ही मुरलीपुरा जोन में भी कचरा संग्रहण का काम शुरू कर देगी. जिसके बाद मकानों के बाहर आरएफआईडी कार्ड लगाए जाएंगे. इस कार्ड पर पंचिंग के आधार पर ही फर्म को 111 रुपए प्रति भवन के हिसाब से पैसा दिया जाएगा.
जनता डोर टू डोर कचरा संग्रहण की व्यवस्था से पीड़ित
नगर निगम ग्रेटर की जनता ही नहीं पार्षद भी डोर टू डोर कचरा संग्रहण की व्यवस्था से पीड़ित हैं. उनका कहना हैं की एक हूपर से पूरे वार्ड में कचरा संग्रहण का काम हो ही नहीं सकता हैं. कचरा संग्रहण की गाड़ियां नहीं आने से जनता की उन्हे खरी-खोटी सुननी पड़ती हैं. संग्रहण नहीं होने से सडकों पर ओपन डिपो की संख्या लगातार बढ़ती जा रही हैं. नए टेंडर नहीं होने से वैकल्पिक इंतजाम एक से दो हूपर के वार्डों में कर रखे हैं.
शहर की सड़कों पर कचरा नजर आने लगे
बहरहाल, डोर टू डोर कचरा संग्रहण नहीं होने से शहर की सड़कों पर कचरा डिपो फिर से नजर आने लगे हैं. चार साल पहले नगर निगम ने सड़कों से ओप कचरा डिपो हटाए थे.
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उस दौरान डिपो रहित शहर की मुहिम चलाई गई और डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन सिस्टम मजबूत किया गया लेकिन जब से दो निगम बने हैं और डोर टू डोर का काम निजी हाथों से सरकारी हाथों में गया है तभी से सड़कों पर फिर से कचरे के ढे़र दिखाई देने लगे हैं. वजह साफ है स्वास्थ्य शाखा के अफसर और जोन उपायुक्तों द्वारा सफाई की प्रभावी मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है.
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