Jaipur nagar nigam budget 2024 : हंगामे के बीच जयपुर ग्रेटर नगर निगम का 1189 करोड़ का बजट पास, मेयर सौम्या गुर्जर और डिप्टी मेयर में दिखा टकराव
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan2066363

Jaipur nagar nigam budget 2024 : हंगामे के बीच जयपुर ग्रेटर नगर निगम का 1189 करोड़ का बजट पास, मेयर सौम्या गुर्जर और डिप्टी मेयर में दिखा टकराव

Jaipur nagar nigam budget 2024 : जयपुर नगर निगम ग्रेटर यानि की शहरी सरकार का वित्त वर्ष 2024-25 का 1189.42 करोड़ का बजट करीब ढाई घंटे की चर्चा, हगांमे, टकराव के बाद पारित हुआ.

Jaipur nagar nigam budget 2024 : हंगामे के बीच जयपुर ग्रेटर नगर निगम का 1189 करोड़ का बजट पास, मेयर सौम्या गुर्जर और डिप्टी मेयर में दिखा टकराव

Jaipur nagar nigam budget 2024 : जयपुर नगर निगम ग्रेटर यानि की शहरी सरकार का वित्त वर्ष 2024-25 का 1189.42 करोड़ का बजट करीब ढाई घंटे की चर्चा, हगांमे, टकराव के बाद पारित हुआ.

 हंगामे के बीच जयपुर ग्रेटर नगर निगम का बजट पास

इस बैठक में आज विपक्ष के सदस्य पक्ष की भूमिका में, जबकि पक्ष के सदस्य विपक्ष की भूमिका में नजर आए. मेयर को सत्ता पक्ष के पार्षदों और उप महापौर के ही सवालों का सामना करना पड़ा. बीजेपी से पार्षद और नगर निगम के डिप्टी मेयर पुनीत कर्णावट ने बजट पास करने की प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए सदन में विरोध किया.

बजट करीब ढाई घंटे की चर्चा, हगांमे, टकराव के बाद पारित 

उन्होंने 48 घंटे से भी कम समय का नोटिस देकर बैठक बुलाने को नियम के विरूद्ध बताया.उन्होंने कहा की इसे कर्मकांड मत बनाओ, सदन में सभी सदस्यों चर्चा करवाए बिना बजट पास करवाना अलोकतांत्रिक है.
 

पूरे सदन में जय श्रीराम के नारे लगे

शहरी सरकार की बजट बैठक शॉर्ट नोटिस में बुलाने, बिना चर्चा के बजट पारित करने और बजट की कॉपी में आंकडेबाजी और गलत आंकडे पेश करने को लेकर नगर निगम ग्रेटर के सदन में हंगामा होता रहा. मेयर को सत्ता पक्ष के पार्षदों और उप महापौर के ही सवालों का सामना करना पड़ा. बैठक में विपक्ष से ज्यादा सत्ताधारी पार्षदों में टकराव नजर आया.

डिप्टी मेयर समेत कई बीजेपी पार्षद विपक्ष की भूमिका में आए नजर

नगर निगम ग्रेटर का बजट पास करने के लिए साधारण सभा की बैठक रामायण श्लोक के साथ मेयर डॉ.सौम्या गुर्जर की अध्यक्षता में आहूत हुई. मेयर ने श्लोक पढ़ने के बाद जयपुर में भी रामराज्य की स्थापना करने की बात कही. उन्होंने 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जिक्र करते हुए उसके लिए निगम प्रशासन की ओर से किए जा रहे कामों और आयोजनों के बारे में बताया.

जयपुर नगर निगम ग्रेटर की साधारण सभा तय समय से 30 मिनट की देरी से शुरू हुई. मेयर सौम्या गुर्जर के देरी से आने के कारण पार्षद और अधिकारी उनका इंतजार करते रहे. दोपहर 2 बजे प्रस्तावित बैठक 2 बजकर 30 मिनट पर शुरू हुई. बैठक शुरू होते ही पूरे सदन में जय श्रीराम के नारे लगे.

इसके बाद दिवंगतों को 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई और सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया. इसके बाद दोपहर 3 बजकर 17 मिनट पर वित्त समिति चेयरमैन शील धाभाई ने नगर निगम ग्रेटर का 2024-25 का 1189.42 करोड़ का 11 पेज के बजट कॉपी को तीन मिनट में पढकर सदन के पटल पर रखा. जिसे सदन में करीब ढाई घंटे की चर्चा, बहस, हंगामे और आपस में टकराव के बाद पारित किया गया.

करीब तीन घंटे तक चली बैठक में सबसे ज्यादा टकराव सत्ताधारी पार्टी की मेयर डॉ.सौम्या गुर्जर और डिप्टी मेयर पुनीत कर्नावट के बीच टकराव देखने को मिला. बजट बोर्ड बैठक में मेयर डॉक्टर सौम्या गुर्जर के खिलाफ उनकी ही पार्टी के पार्षद भौंहें ताने हुए नजर आए.

दरअसल, वित्त समिति की अध्यक्ष शील धाबाई के बजट पेश किया और उसे ध्वनिमत से पारित करने लगे तो डिप्टी मेयर ने इसे सदन के सदस्यों के अधिकारों का हनन बताया. इस बात पर डिप्टी मेयर और मेयर के बीच हल्की नोकझोंक हो गई. डिप्टी मेयर ने कहा कि पिछले 2 बार के बजट सदन में रखे बिना ही सरकार को भिजवा दिए गए और आज जब बैठक बुलाई जा रही है तो सदस्यों से इस पर चर्चा क्यों नहीं करवाई जा रही?

उन्होंने तीखे लिहाजे में सदन को संबोधित करते हुए कहा कि सदन के सदस्यों से बिना चर्चा करवाए और उनके सुझाव जाने बिना बजट को पास करके इसका क्यों कर्मकांड कर रहे हो. इस तरह अलोकतांत्रिक तरीके से बजट को पास करवाने से राम राज्य स्थापित करने की कल्पना साकार नहीं होगी. किसी भी सदस्य ने बजट की कॉपी तक को नहीं पढा.

उन्होंने 48 घंटे से भी कम समय का नोटिस देकर बैठक बुलाने को नियम के विरूद्ध बताया. उप महापौर पुनीत कर्णावट ने सदन में सफाई की रैंकिंग का भी मुद्दा उठाया और कहा कि पिछले दिनों हमारे शहर की रैंकिंग आई. उसको लेकर हमें शर्म तक नहीं है, हम लगातार पिछड़ते जा रहे हैं. हम सफाई पर 300 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम खर्च करते हैं. इंदौर भी हमारे जैसा ही शहर है, लेकिन वह पिछले चार-पांच साल से पहले-दूसरे नंबर पर हैं और हम लगातार पिछड़ते जा रहे हैं.

बजट पारित होने के बाद महापौर डॉक्टर सौम्या ने कहा की बजट सत्र काफी सार्थक और सारगर्भित रहा. इसमें पक्ष और विपक्ष ने काफी सारगर्भित चर्चा की है. इससे जयपुर का विकास होगा. इस बार के बजट में सफाई पर सबसे ज्यादा फोकस रखा गया हैं. बजट को लेकर वित्त समिति ने बड़ी कवायद की है.

जिसे पूरी तैयारी के साथ बैठक में रखा गया है लेकिन इसके बाद भी यदि सदस्यों की आपत्ति और उनके सुझाव हैं तो उस पर अमल किया जा सकेगा. जबकि शहर की सफाई से लेकर विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अगली बैठक में चर्चा करके उनका निदान किया जा सकेगा. बजट कॉपी में गलत आंकडे़ के सवाल पर मेयर ने कहा की इसके लिए एक्शन लिया जाएगा. पार्षदों ने बजट कॉपी में गलत आंकडे पेश करना बताया हैं.

दरअसल सदन में जो बजट पेश किया गया उसमें दिए आंकड़ें ही गलत थे. शहर में पेड़-पौधे लगाने के लिए मौजूदा वर्ष 2023-24 में ढाई करोड़ रुपए का प्रावधान किया लेकिन उस मद में दिसंबर 2023 तक खर्च की गई रकम शून्य बताई. जब कांग्रेस के एक पार्षद ने इस मुद्दे को उठाया तो उद्यान समिति की चेयरमेन राखी राठौड़ ने भी इसे गलत बताया.

राठौड़ ने कहा कि इस मद में 1.30 करोड़ रुपए की राशि खर्च हो चुकी है, लेकिन इस बजट कॉपी में इसे अंकित नहीं किया, जो गलत है. उपमहापौर और अपने ही बोर्ड के पार्षदों के सवाल खड़े करने पर मेयर ने कहा की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार हैं लेकिन इसमें विरोध जैसा नहीं है.

समस्याएं सामने रखने पर ही हल निकलता हैं. नगर निगम की बैठक में विजिलेंस टीम की कार्यशैली में सुधार करने की मांग को लेकर सभी पार्षदों ने हंगामा किया. उप महापौर के अलावा बीजेपी के ही पार्षद गोविंद छीपा, अभय पुरोहित, जितेंद्र श्रीमाली समेत 8-10 पार्षदों ने विजिलेंस टीम के निरीक्षक विजेंद्र पूनिया और उनके निचले स्टाफ विक्रम समेत अन्य पर शहर में हो रहे छोटे-छोटे निर्माण से अवैध वसूली करने के आरोप लगाए. इसके अलावा शहर की दुकानों से मिठाइयों के डिब्बे पैक करवा कर उनके पैसे नहीं देने के आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. बैठक में सफाई, सीवरेज,लाइट, अतिक्रमण को लेकर भी मुद्दा उठा.
 

बहरहाल, आपकी कॉलोनी का पार्क बदहाल है. घर के बाहर लगी रोड लाइट नहीं जल रही है. सीवर लाइन उफन रही है. सड़कें कचरे से अटी हैं. घर से कचरा उठाने हूपर नहीं आ रहा है. ये सभी काम शहरी सरकार के हैं.यानी लोगों की रोजमर्रा की सर्वाधिक जरूरतें शहरी सरकार पूरा करती है लेकिन जब शहरी सरकार का बजट पेश होता है तो इसकी चर्चा तक नहीं होती.

वर्षों से एक ही तरह का बजट पेश किया जा रहा है.सालाना इस बजट को अधिकारी कॉपी और पेस्ट करते आ रहे हैं फिर बजट बैठक में जनप्रतिनिधि आंखें बंद कर पारित कर देते हैं. जबकि, केंद्र और राज्य सरकार के बजट की चर्चा भी होती है और प्रबुद्धजनों के सुझाव भी लिए जाते हैं.

Trending news