Jaipur News: अन्नपूर्णा राशन किट मामले में खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariawas) का बड़ा बयान सामने आया है. इस मामले में उन्होंने संबंधित अधिकारियों को नसीहत दी है कि वो ज्यादा हवा में उड़ें, सावधान रहें.
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Jaipur: अन्नपूर्णा राशन किट मामले में बीजेपी (BJP) की ओर से बड़े सवाल उठाए जा रहे हैं. भाजपा का कहना है कि किट में भी संस्थागत भ्रष्टाचार होगा. इसका जवाब देते हुए खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariawas) बोले "मैं खुद भी कह चुका हूं कि फूड डिपार्टमेंट (Food Department) का जो काम अप्रोप्रिएशन बिल में हमें दिया गया उसके लिए 1000 करोड़ रुपए फूड डिपार्टमेंट (Food Department) को दिए गए ताकि फूड डिपार्टमेंट (Food Department) यह काम करे. लेकिन अचानक उसके बाद फाइनेंस के अधिकारियों ने यह काम सहकारिता विभाग को ट्रांसफर कर दिया."
उन्होंने कहा कि NFSA का काम हम करते हैं. हमारे पास फुल प्रूफ सिस्टम है और हम पॉस मशीनों से राशन बांटते हैं. हमने सोचा कि यह किट का काम हमें करना है, और हम इसमें टेंडर करते. अगर हम यह काम करते तो इसे ओपन टेंडर करके फुल प्रूफ तरीके से करते.
विधानसभा प्रक्रिया के अनुसार होगा बदलाव
अभी यह काम सहकारिता विभाग को दे दिया गया है. यानी कॉन्फेड को दे दिया गया है. मैं खुद यह कह रहा हूं कि रूल-रेगुलेशन के हिसाब से मेरी जितनी जानकारी है मैं बोल चुका हूं. विधानसभा प्रक्रिया और एक्ट के अनुसार जो काम विधानसभा में जिस विभाग को दिया है, और जिस डिपार्टमेंट में पैसे ट्रांसफर हुए हैं. उसमें अप्रोप्रिएशन बिल में अगर कुछ बदलाव करना है, तो वह बदलाव विधानसभा में ही हो सकता है.
गलत तो गलत है, हवा में ना उड़े अधिकारी- खाचरियावास
उन्होंने कहा कि बिना विधानसभा को विश्वास में लिए जो अधिकारी कलम चलाए जा रहे हैं उन्हें सावधान रहना चाहिए. ज्यादा हवा में नहीं उड़ें. गलत तो गलत है. इसलिए ऐसे अधिकारियों के लिए मैंने चीफ मिनिस्टर को लिखा है कि यह काम करें, विभाग बदल दें.
उन्होंने कहा कि हमें कोई शौक नहीं है काम करने का लेकिन जो भी काम करना है एक्ट के अनुसार करें. अब वह काम कौन करे, कैसे करेगा, क्या करेगा, क्या गुणवत्ता होगी इसके बारें में मैं नहीं कह सकता. मेरे पास नोडल एजेंसी के लिए फाइल आई थी, लेकिन मैंने मना कर दिया. उन्होंने कहा कि हम काम करें तो हमारा विभाग है, हम पूरा कर देते.
लेकिन हम नोडल एजेंसी क्यों बनें. जो कर रहा है, वही बने और वही भुगते. हमने तो हाथ जोड़ लिए. अब यह सवाल तो सहकारिता विभाग से पूछिए, और फाइनेंस सेक्रेटरी से पूछिए कि उन्होंने यह काम ट्रांसफर क्यों किया.
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