Jaipur News:सरकारी दफ्तरों में फाइलों पर डिस्कस लिखने की प्रथा जल्दी ही खत्म हो जाएगी..यह व्यवस्था लागू होने के बाद अधिकारी और कार्मिक फाइल नहीं मिलने का बहाना भी नहीं बना सकेंगे.
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Jaipur News:सरकारी दफ्तरों में फाइलों पर डिस्कस लिखने की प्रथा जल्दी ही खत्म हो जाएगी.सचिवालय से शुरू हुई ई-फाइलिंग सिस्टम को अब जिला मुख्यालय के बाद ग्राम स्तर पर भी शुरू करने पर काम शुरू हो गया हैं.
यह व्यवस्था संभाग, जिला, उपखंड, तहसील और ग्राम स्तर तक लागू की गई है.इसको लेकर प्रशासनिक सुधार विभाग ने प्रशासनिक सुधार को लेकर आदेश जारी किया हैं.यह व्यवस्था लागू होने के बाद अधिकारी और कार्मिक फाइल नहीं मिलने का बहाना भी नहीं बना सकेंगे.
प्रदेश में अब ग्राम स्तर, तहसील, उपखंड और जिला, संभाग स्तर पर ई-फाइलिंग माड्यूल पर काम होगा.यह व्यवस्था लागू होने के बाद अधिकारी और कार्मिक फाइल नहीं मिलने का बहाना भी नहीं बना सकेंगे.क्योंकि सारा कामकाज ऑनलाइन होगा और वे किसी भी जगह पर बैठकर फाइल को अपनी लॉगिन आईडी से देख सकते हैं.
पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में यह ई-फाइलिंग मॉड्यूल सचिवालय और कुछ ही सरकारी दफ्तरों में लागू हो पाया लेकिन भजन लाल सरकार के सत्ता में आने के बाद मुख्य सचिव पंत ने तमाम विभागों में कामकाज में पारदर्शिता और समय सीमा में कार्य संपन्न होने के लिए यह व्यवस्था लागू की है.
मुख्य सचिव ने तमाम संभागीय आयुक्त और जिला कलक्टर्स को भी ई- फाइल मॉड्यूल लागू करने के निर्देश दिए हैं.यह व्यवस्था संभाग, जिला, उपखंड, तहसील और ग्राम स्तर तक लागू की गई है.मुख्य सचिव की ओर से सभी विभागों को भेजे गए परिपत्र में निर्देश भी दिए है कि सभी नई पत्रावलियां अब इलेक्ट्रॉनिक मोड पर खोली जाएंगी और पुरानी पत्रावलियां भी ई-फाइल पर ही उपलब्ध होंगी.
आमजन के काम समय हो, इस मकसद से यह सिस्टम को लागू किया गया है. अब तक कर्मचारी फाइल की लोकेशन या नहीं होने का बहाना बनाकर काम को टालते रहे है. मगर इस सिस्टम से फाइल की लोकेशन का समय पर पता लग सकेगा और आमजन के काम समय पर हो सकेंगे. मुख्य सचिव सुधांत पंत ने कहा की फिजिकल फाइलों की संख्या बहुत कम हो गई हैं. अब मोबाइल पर ही ऑनलाइन अधिकारी फाइलों का डिस्पोजल कर देते हैं. अब ई-फाइलिंग माड्यूल को नीचे स्तर पर ले जाने के लिए काम किया जा रहा है.जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी आमजन के काम समय पर हो सके.
संभागीय आयुक्त और कलक्टर्स को निर्देश.
-संभागीय आयुक्त और कलक्टर्स स्वयं के कार्यालय और अधीनस्थ कार्यालयों में ई-फाइलिंग सिस्टम को लागू करेंगे.
-सभी नई पत्रावलियां इलेक्ट्रॉनिक मोड में खोली जाएंगी, यदि भौतिक पत्रावली खोली जानी आवश्यक है तो उच्च स्तर पर सहमति लेनी होगी.
-जांच संबंधि मामलों की पत्रावलियां, कोर्ट-वादकरण संबंधि पत्रावलियां और गोपनीय प्रकरण भी ई-फाइल के माध्यम से प्रस्तुत करें.
-पुरानी पत्रावलियां ई-फाइल राजकाज पर प्राथमिकता से लाई जाएगी.
-भौतिक पत्रावलियों को ई-फाइल में कन्वर्ट करते हुए भौतिक पत्रावलियों में मौजूद नोटशीट और दस्तावेजों को स्कैन करवाएं.
-सरकारी ऑफिसों में संधारित भौतिक पत्रावलियों को नियमानुसार रिकॉर्ड, संधारण और नष्ट करने की प्रकिया अपनाई जाए.
-सरकारी ऑफिसों में अवांछित, अनुपयोगी मद का नियमानुसार निस्तारण किया जाए.
हाल ही में मुख्य सचिव सुधांश पंत ने कलक्टर्स के साथ हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में बताया था की प्रदेश में अब तक 13 लाख ई-फाइलों का निस्तारण हो चुका है.अधिकांश जिलों में प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.लेकिन कोई कलेक्टर खुद को कानून या सिस्टम से बड़ा नहीं समझते हुए प्रक्रिया के अनुसार ही काम करे ताकि आमजन को लगे कि उनके काम हो रहे हैं.मैंने खुद की टीमें लगाई हुई हैं.
यदि टीम से कोई भी विपरीत रिपोर्ट मिली, तो सख्त एक्शन लिया जाएगा..मुख्य सचिव ने आगे स्टेप बढाते हुए अब संभाग, जिला, उपखंड, तहसील और ग्राम स्तर तक लागू करने के डायरेक्शन जारी किए हैं.
राज्य सरकार के इस आदेश के बाद इस दिशा में काम शुरू हुआ है.सभी अधीनस्थ कार्यालयों को इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए.इस सिस्टम के तहत ऑनलाइन ही फाइल पर टिप्पणी और हस्ताक्षर करने होंगे.
गौतरलब हैं की प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद प्रशासनिक ढर्रे को सुधारने की दिशा में काम काज किया जा रहा है.मुख्य सचिव सुधांश पंत लगातार जयपुर में विभागों का निरीक्षण कर रहे हैं.
अन्य अधिकारियों को भी अपने विभाग के अधीन दफ्तरों का निरीक्षण करने के लिए निर्देश दिए गए हैं.ताकि जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित हो सके.
बहरहाल, आमजन को राहत देने की दिशा में सरकार का यह बड़ा कदम है.सीएस का कहना है कि कोई भी कलेक्टर या जिलाधिकारी अफसर बनकर काम नहीं करे.वो यह सोच ले कि वह पब्लिक सर्वेट है और उसे लोगों का काम करना है.
प्रदेश के तमाम कलेक्टर को निर्देश दिए हैं कि वे उनके पास आने वाली फाइलों का निस्तारण ई-प्रक्रिया से करें और इसके लिए उनके पास 8 से 9 घंटे का समय रहेगा.इससे ज्यादा समय लगने पर संबंधित कलेक्टर या जिलाधिकारी से जवाब मांगा जाएगा.