राज्य की खुली जेलें नजीर बन चुकी हैं.सुप्रीम कोर्ट के जजों की कमेटी इन जेलों का निरीक्षण करेगी.राजस्थान की राजधानी जयपुर की सांगानेर खुली जेल की देशभर में चर्चा है.
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Jaipur: राजस्थान की खुली जेलें देश के अन्य राज्यों के लिए नजीर बनती जा रही है . सांगानेर खुली जेल प्रोजेक्ट की सफलता को देखते हुए अब खुली जेलों के जरिए बंदियों को समाज की मुख्य धारा में लाने के प्रयासों की मांग उठने लगी है .
राजस्थान की राजधानी जयपुर की सांगानेर खुली जेल की देशभर में चर्चा है. देश की सबसे बेहतर जेलों में शुमार जयपुर के सांगानेर स्थित खुली जेल के निरीक्षण के लिए अब कई न्यायाधीश यहां पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे है . सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय किशन कौल सहित तीन अन्य न्यायाधीश सांगानेर की खुली जेल का दौरा कर यहां व्यवस्थाओं की जांच कर रहे है . इसके पीछे खुली जेलों को देश के अन्य राज्यों में बढ़ावा देना है .
साल 2018 में हर जिले में खुली जेल स्थापित करने का ऐतिहासिक निर्णय देने वाले जस्टिस एमबी लोकुर खुद जयपुर की सांगानेर खुली जेल का दौराकर वहां बंदियों और उनके परिजनों से मुलाकात कर चुके है . खुली जेल का दौरा करने के बाद जस्टिस एमबी लोकुर ने अपने अनुभव सांझा किए . जस्टिस लोकुर ने कहा कि देश के अन्य राज्यों की जेलों का भी दौरा किया लेकिन सांगानेर खुली जेल देश के लिए नजीर है . हालांकि यहां गंदगी , सीवरेज और स्कूलों में स्टेशनरी की कमी है .
राजस्थान की जेलों को सुधारने के मामले में सुनवाई कर सुधार करने के निर्देश देने वाले जस्टिस केएस झावेरी ने भी सांगानेर खुली जेल की तारीफ की. उन्होंने कहा कि जेलों में अव्यवस्थाएं है . जेलों में बंद हार्डकोर बंदियों के संपर्क में आने से अन्य विचाराधीन बंदियों पर भी असर पड़ता है. जेलों में अब हार्डकोर बदमाश तैयार हो रहे है. ऐसे में खुली जेल की परिकल्पना चुनिंदा बंदियों को समाज के मुख्य धारा में लाने का काम करेगी. इसके लिए विधिक प्रक्रिया के दायरे में काम करना होगा.
वहीं राजस्थान पुलिस के पूर्व मुखिया और जेल महकमे का जिम्मा संभाल चुके सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अजीत सिंह ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि समाज में अपराधों पर लगाम कसने के लिए पुलिस के अलावा जेल प्रशासन की भी अहम जिम्मेदारी है. हालांकि पुलिस के पास संसाधन खूब है लेकिन जेल महकमे के पास संसाधनों का अभाव है. ऐसे में जेलों में विचाराधीन और सजायाफ्ता बंदियों को अलग-अलग रखा जाए . और जेलों में मजबूत प्रबंधन किया जाए तो व्यवस्था में सुधार लाया जा सकता है . खुली जेलों से सरकार का खर्च भी कम होता है , मानव संसाधन भी कम लगता है .
देश की जेलों में बैठकर गैंग संचालित करने और जेलों में बंद विचाराधीन बंदियों को अपराधों के लिए प्रेरित करने की घटनाओं को देखते हुए अब सुधार की मांग उठने लगी है . सरकारों का खर्च कम करने और बंदियों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए अब हर जिले में खुली जेलें खोलने की मांग उठ रही है . ऐसे में माना जा रहा है कि जयपुर की सांगानेर खुली जेल की सफलता की कहानी देश के अन्य राज्यों के लिए नजीर साबित होगी .
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