Jaipur News : सीतापुरा के महात्मा गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने हार्ट ट्रांसप्लांट कर मरीज को दी नई जिंदगी
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Jaipur News : सीतापुरा के महात्मा गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने हार्ट ट्रांसप्लांट कर मरीज को दी नई जिंदगी

Jaipur News : सीतापुरा स्थित महात्मा गांधी अस्पताल में शुक्रवार को एक रोगी को हार्ट ट्रांसप्लांट कर नया जीवन दिया गया है.दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ब्रेन डेड हुए एक 37 वर्षीय रोगी सुशील कुमार के परिजनों की ओर से स्वैच्छिक तौर पर अंगदान किया गया.

 

सीतापुरा के महात्मा गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने हार्ट ट्रांसप्लांट कर मरीज को दी नई जिंदगी.

Jaipur : सीतापुरा स्थित महात्मा गांधी अस्पताल में शुक्रवार को एक रोगी को हार्ट ट्रांसप्लांट कर नया जीवन दिया गया है.दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ब्रेन डेड हुए एक 37 वर्षीय रोगी सुशील कुमार के परिजनों की ओर से स्वैच्छिक तौर पर अंगदान किया गया. हार्ट कोटा निवासी मोहम्मद जफर को नौ घण्टे तक चली ऑपरेशन प्रक्रिया के बाद सफलतापूर्वक लगा दिया गया. अस्पताल में हार्ट सर्जरी निदेशक, मुख्य हार्ट सर्जन डॉ. मुर्तजा अहमद चिश्ती के नेतृत्व में तीन दर्जन से अधिक डॉक्टर्स एवं तकनीशियनों के टीम वर्क से यह संभव हो सका.

दो हार्ट ट्रांसप्लांट कर चुके हैं

डॉ. चिश्ती ने बताया कि वे पहले भी दो हार्ट ट्रांसप्लांट कर चुके हैं लेकिन यह केस कई मामलों में बहुत जटिल था.जयपुर में चल रहे वीआईपी मूवमेंट के चलते एयर एम्बूलेंस उपलब्ध नहीं हो पा रही थी.इसी वजह से ग्रीन कोरिडोर के जरिये सडक मार्ग से जयपुर लेकर आना चुनौतीपूर्ण था.चार घण्टे के रेकॉर्ड समय में जयपुर पहुंचे अंगदान से मिले हार्ट को यूडब्ल्यू सोल्यूशन में रखकर लाया गया. दूसरी समस्या यह थी कि रेसीपिएण्ट का छह माह पहले ही बाइपास ऑपरेशन भी हुआ था. करीब नौ घण्टे की ऑपरेशन प्रक्रिया के बाद रोगी को नया हार्ट लगा दिया गया. इसे चिकित्सा विज्ञान का चमत्कार ही मानें कि शनिवार को सुबह उसका वेंटीलेटर भी हटा दिया गया है. रोगी अब अच्छे से बात भी कर रहा है.

रोगी के दिल का आकार बढ जाता है

उन्होंने बताया कि हार्ट फेलियर की स्थिति में रोगी के दिल का आकार बढ जाता है. इसके जरिये हर धडकन के साथ करीब 85 मिलीलिटर रक्त को हार्ट से बाहर भेजा जाता है किन्तु हार्ट फेलियर की स्थिति में पूरा रक्त बाहर नहीं जा पाता है.ऐसे में रोगी की सांस फूली रहती है.हार्ट ट्रांसप्लांट की सफलता दर भी बहुत अच्छी है.प्रदेश के पहले हार्ट ट्रांसप्लांट कराने वाले सूरजभान 8 साल बीतने पर भी स्वस्थ होकर सामान्य जिंदगी जी रहा है. देश में बडी संख्या में ऐसे हजारों रोगी मौजूद हैं जो उपचार खर्च वहन न करने की वजह से तथा उपयुक्त डोनर के नहीं मिलने से असमय काल का शिकार हो जाते हैं.

टीम वर्क ने दिखाई सफलता की राह

हार्ट सर्जन्स डॉ. मुर्तजा अहमद चिश्ती, डॉ. आशीष शर्मा शर्मा, कार्डिएक एनेस्थीसिया विषेषज्ञ डॉ. सौरभ गुप्ता, डॉ. वरूण छाबडा, डॉ आशीष जैन, फिजीशियन असिस्टेंट पवन गुप्ता, मोहन सिंह, राजवीर मिश्रा, ओटी इंचार्ज उमेश, नरोत्तम, कुसुम समेत तीन दर्जन चिकित्साकर्मियों ने उल्लेखनीय सहयोग दिया.मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट डॉ. आर सी गुप्ता, सीओओ सुकान्ता दास, ट्रांसप्लांट कोर्डिनेटर शशांक ने नोटो तथा पुलिस के सहयोग से ग्रीन कोरिडोर तथा ट्रांसप्लांट से जुड़े कामकाज को पूरा किया.

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