Jhalana Leopard Reserve में किया गया 10 बड़े वृक्षों का ट्रांसप्लांट, जानिए वजह
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Jhalana Leopard Reserve में किया गया 10 बड़े वृक्षों का ट्रांसप्लांट, जानिए वजह

पेड़ों को नया जीवनदान देने के लिए झालाना लेपर्ड रिजर्व में ट्रांसप्लांट किया जा रहा है. सितंबर 2020 से शुरू किए गए इस अभियान के तहत अब तक झालाना में 10 बड़े वृक्षों का ट्रांसप्लांट किया जा चुका है. 

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Jaipur: शहरीकरण और मौसम की मार झेल चुके कई पेड़ों का झालाना लेपर्ड रिजर्व (Jhalana leopard reserve) में ट्रांसप्लांट किया गया है. कई बार निर्माण कार्य और आंधी तूफान के चलते वृक्ष धराशाई हो जाते हैं. 

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ऐसे में इन पेड़ों को नया जीवनदान देने के लिए झालाना लेपर्ड रिजर्व में ट्रांसप्लांट किया जा रहा है. सितंबर 2020 से शुरू किए गए इस अभियान के तहत अब तक झालाना में 10 बड़े वृक्षों का ट्रांसप्लांट किया जा चुका है. 

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इन पेड़ों का किया गया ट्रांसप्लांट 
1. बरगद का पेड़- हिम्मतनगर जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया जिसकी जड़े पानी के टैंक की दीवार को नुकसान पहुंचा रही थी. 
2. चीकू का पेड़- फर्नीचर कॉलोनी आदर्श नगर जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो घर निर्माण के लिए काटना पड़ रहा था. 
3. फालसा का पेड़- फर्नीचर कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो घर निर्माण के लिए काटना पड़ रहा था. 
4. अशोक का पेड़- जनता कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया जो घर की दीवार को नुकसान पहुंचा रहा था. 
5. बांस का पेड़- जनता कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया. 
6. पीपल का पेड़- कुमावत कॉलोनी झोटवाड़ा जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया. 
7. बरगद का पेड़- टोंक फाटक जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया जो तेज आंधी के चलते गिर गया था. 
8. पीपल का पेड़- मालवीय नगर रीको एरिया से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो बेसमेंट निर्माण कार्य में बाधा बन रहा था. 

क्या कहना है रेंजर जनेश्वर चौधरी का
रेंजर जनेश्वर चौधरी ने बताया कि पहला पेड़ हिम्मतनगर से सितंबर 2020 में लगाया गया था. हाल ही में एक भारी बरगद तोकते तूफान से धराशाई हो गया थास उसे भी ट्रांसप्लांट किया गया है. एक पीपल का पेड़ रीको इंडस्ट्रियल एरिया में निर्माण के दौरान बाधा बन गया था जिसे भी झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया है. पर्यावरण का संतुलन बनाने के लिए कई तरीके होते हैं. वृक्षारोपण और ट्रांसप्लांट भी इसी का एक तरीका है. जो पेड़ 10 से 15 साल का है, वह मरे नहीं, इसके लिए उसे जंगल में लगाने की योजना शुरू की गई. पौधे को पेड़ बनाने में 15 साल लगते हैं. ऐसे में एक पेड़ को मरने से बचाना 15 साल की मेहनत जितना काम करना है. कई पेड़ ऐसे भी हैं जिन पर फल लगना शुरू हो गए हैं.

क्यों किया जाता पेड़ों का ट्रांसप्लांट 
झालाना लेपर्ड रिजर्व के क्षेत्रीय वन अधिकारी जनेश्वर चौधरी ने बताया कि विकास कार्य, मकान निर्माण या सड़क निर्माण के दौरान पेड़ काट दिए जाते हैं. पेड़ों के संरक्षण के लिए इन्हें काटने के बजाय जड़ से उखाड़कर जंगल में लगाने का प्लान किया गया. झालाना लेपर्ड रिजर्व में सितंबर 2020 में पेड़ों के ट्रांसप्लांट का काम शुरू हुआ. अभी तक करीब 10 पेड़ों का झालाना में ट्रांसप्लांट किया जा चुका है, जिनमें से 3 पीपल, 3 बरगद समेत अन्य पेड़ शामिल हैं. मुख्य रूप से बरगद, पीपल और गूलर जो सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं और जिन पर सबसे ज्यादा पक्षियों का आवास रहता है, ऐसे पेड़ों का ही ट्रांसप्लांट किया जाता है.

 

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