बार एसोसिएशन के सम्मान में पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कहा- स्वतंत्र न्यायपालिका लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण के लिए है जरूरी शर्त
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बार एसोसिएशन के सम्मान में पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कहा- स्वतंत्र न्यायपालिका लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण के लिए है जरूरी शर्त

Jaipur: बार एसोसिएशन के सम्मान में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पहुंचे. जहां उन्होंने कहा कि स्वतंत्र न्यायपालिका लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी शर्त है

बार एसोसिएशन के सम्मान में पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कहा- स्वतंत्र न्यायपालिका लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण के लिए है जरूरी शर्त

Jaipur: जयपुर पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजस्थान बार एसोसिएशन की ओर से उनके सम्मान में आयोजित सम्मान समारोह में भाग लिया. अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक मजबूत, न्यायपूर्ण और स्वतंत्र न्यायपालिका, हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी शर्त है. उन्होंने कहा कि " इसके लिए बार की महत्वपूर्ण भूमिका होगी." उन्होंने कहा कि संस्थाओं में लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए, पारदर्शिता और जवाबदेही का कड़ाई से पालन किया जाना जरूरी है.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र तभी पनप सकता है जब संवैधानिक संस्थानों के बीच पूरा तादात्म्य हो और वह अपनी-अपनी मर्यादा की सीमा में रहें. सम्मान समारोह में राजस्थान उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश एम एम श्रीवास्तव, राजस्थान बार काउंसिल के अध्यक्ष सुनील बेनीवाल, उपाध्यक्ष योगेन्द्र सिंह शेखावत, संयोजक जे एस चौधरी, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सह अध्यक्ष एस सी श्रीमाली, राजस्थान के एडवोकेट जनरल एम एस सिंघवी, भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल आर डी रस्तोगी सहित बड़ी संख्या में एडवोकेट मौजूद रहे.

एक्टिंग CJ एमएम श्रीवास्तव ने कहा कि राजस्थान के लिए यह गौरव की बात है, राजस्थान की माटी से जुड़ा व्यक्ति उपराष्ट्रपति बना है. ज्यूडिशियल और लीगल समुदाय से जुड़ाव महत्वपूर्ण है. बार काउंसिल ऑफ राजस्थान की ओर से स्वागत समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पुराने साथियों के साथ बिताए दिन याद आए. उपराष्ट्रपति प्रत्येक एडवोकेट से बड़ी आत्मीयता से मिले.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र तभी पनप सकता है जब सभी संवैधानिक संस्थानों के बीच पूरी तरह से तादात्म्य हो और वह अपनी मर्यादाओं की सीमा में रहे. सम्मान समारोह में शामिल होने के बाद उपराष्ट्रपति दिल्ली लौट गए.

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