नरक चतुर्दशी के दिन जानें क्यों जलाया जाता है यम का दिया ?
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नरक चतुर्दशी के दिन जानें क्यों जलाया जाता है यम का दिया ?

Narak Chaturdahi:  आज पूरे देश में छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जा रहा है.हर  घर के दक्षिण दिशा में यम के नाम का दिया जलाया जाता हैं. 

नरक चतुर्दशी

Narak Chaturdahi:  आज पूरे देश में छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जा रहा है. 11 नवंबर को दोपहर  1:57 से नरक चतुर्दशी की शुरुआत हो रहा है जो अगले दिन 02:44 पर समाप्त हो रहा है. हर  घर के दक्षिण दिशा में यम के नाम का दिया जलाया जाता हैं. 

 छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहा जाता है. धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी का पर्व होता है. नरक चतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है . रूप चौदस के दिन यमराज की पूजा की जाती है . सभी लोग शाम के वक्त अपने घर के दक्षिण दिशा में यम के नाम का दिया जलाते हैं. यम पूजा के साथ काली पूजा और कृष्ण पूजा भी की जाती है. 

नरक चतुर्दशी मनाने की वजह 
नरक चतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. पौराणिक कथा में कहा जाता है भगवान कृष्ण अपनी पत्नियों के साथ द्वारिका में रहते थे. भौमासुर(नरकासुर)  के अत्याचार से पृथ्वी से लेकर देव लोक तक त्राहि त्राहि मच गई थी. देवराज इंद्र के आग्रह किया की नरकासुर के अत्याचार से सभी को बचाईए . जिसके बाज  भगवान कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ गरूड़ पर सवार होकर प्रागज्योतषपुर गए, प्रागज्योतषपुर दैतय राज भौमासुर रहा करता था. 

कृष्ण ने किया नरकासुर का वध 
 भगवान कृष्ण ने सबसे पहले भौमासुर के 6 पुत्रों का वध कर किया.  साथ ही मुर नामक दैत्य को मार दिया. जिसके बाद भौमासुर अपनी सेना के साथ कृष्ण से युध्द के लिए गया. भौमासुर को शार्प था की उसकी किसी स्त्री के हाथों ही होगी. युध्द के दौरान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के हाथों भौमासुर का अंत कर दिया.जिस  दिन भौमासुर का अंत हुआ उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी, इसलिए इस तिथि को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है. 

दिए जलाने की वजह 
भगवान कृष्ण ने नरकासुर के वध के बाद उसके कैद से लगभग 16 हजार महिलाओं को मुक्त भी करवाया. जिसकी खुशी में दिए जलाए गए, और चारों तरफ दीपदान भी किया गया. 

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