जयपुर दिवस पर ढूंढाड़ी भाषा में लोकगीतों ने मोह लिया लोगों का दिल, कला- संस्कृति और भाषा बचाने की कवायद
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जयपुर दिवस पर ढूंढाड़ी भाषा में लोकगीतों ने मोह लिया लोगों का दिल, कला- संस्कृति और भाषा बचाने की कवायद

गुलाबी नगरी जयपुर का 295वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है. एक और जहां नगर निगम हेरिटेज और ग्रेटर के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं, वहीं दूसरी और ढूंढाड़ परिषद की ओर से भी जयपुर स्थापना दिवस मनाया जा रहा है.

जयपुर दिवस पर ढूंढाड़ी भाषा में लोकगीतों ने मोह लिया लोगों का दिल, कला- संस्कृति और भाषा बचाने की कवायद

Jaipur Foundation Day : गुलाबी नगरी जयपुर का 295वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है. एक और जहां नगर निगम हेरिटेज और ग्रेटर के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं, वहीं दूसरी और ढूंढाड़ परिषद की ओर से भी जयपुर स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में आज जयपुर के स्टैचू सर्किल पर ढूंढाड़ परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम में केक कटिंग सेरेमनी का आयोजन किया गया. जिसमें जयपुर शहर के गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया. इसी के साथ ही ढूंढाडी भाषा को बढ़ावा देने के लिए लोकगीत कार्यक्रम भी आयोजित किया गया.

ढूंढाड़ परिषद के अध्यक्ष विजय पाल सिंह कुमावत ने बताया पिछले 10 वर्षों से लगातार जयपुर स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन परिषद की ओर से स्टेचू सर्किल पर आयोजित किया जाता है. इसी कड़ी में आज गुलाबी नगरी जयपुर का जन्मदिन मनाया गया. इस अवसर पर लोक कलाकारों ने ढूंढाडी भाषा में लोकगीत गाकर सभी का मन मोह लिया. वहीं एक विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसमें ढूंढाडी भाषा को और अधिक कैसे प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाया जाए इस पर चर्चा की गई. इसी के साथ जयपुर की कला संस्कृति और भाषा को बचाने के लिए ढूंढाड़ परिषद ने लगातार काम किया है.

गौरतलब हे कि 10 सबसे खूबसूरत शहरों में शामिल जयपुर 295 साल का हो गया है, लेकिन आज भी इसकी विरासत अपनी कहानी खुद कहती नजर आती है. इस दौरान शहर ने कई बदलाव देखे हैं, लेकिन इन बदलावों के बीच भी आज यहां के किले, बावड़ियां, चौपड़ें, चौकड़ियां और दरवाजे शहर की धरोहर को बरकरार रखे हुए हैं. इसी का नतीजा है कि 2019 में जयपुर को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट का तमगा भी मिला और आधुनिक दौर में पिंक सिटी अब मेट्रो सिटी भी बन गई है.

Reporter- Anup Sharma

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