जानकारी के अनुसार इन तीनों शाखाओं ने कुल 116 करोड़ रुपये का कारोबार किया है. जो इनके पड़ोस के गांवों की बैंकों से कहीं ज्यादा अधिक है.
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Jhunjhun: देश के बैंकों से हजारों-करोड़ों का लोन लेकर धनपतियों के विदेश भागने की खबरों के बारे में तो आपने अक्सर सुना ही होगा लेकिन, एक ऐसा बैंक भी मौजूद है जहां एक साल में किसी भी लोन अकाउंट की एक भी किश्त लेट नहीं हुई. यानी यहां कोई भी डिफॉल्टर नहीं है. इसके अलावा इस बैंक की एक खास बात यह है कि यहां अधिकारी-कर्मचारी से लेकर खाताधारक तक सभी महिलाएं हैं.
ये बैंक है राजस्थान बड़ौदा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक. यहां पिछले साल मार्च में झुंझुनूं में तीन महिला शाखाएं खोली गई. झुंझुनूं के कारी, बख्तावरपुरा और पातुसरी में खुली इन शाखाओं में 11 महीने में 14 हजार 876 खाते खोले गए हैं. इनमें अधिकतर महिलाओं के खाते हैं. इनमें से 3 हजार 366 लोगों को लोन दिया गया है. उनमें भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या अधिक है.
24 फीसदी महिलाएं
जानकारी के अनुसार, इन तीनों शाखाओं ने कुल 116 करोड़ रुपये का कारोबार किया है. जो इनके पास पड़ोस के गांवों की बैंकों से कहीं ज्यादा अधिक है. बैंक के रीजनल मैनेजर योगेश कुमार शर्मा के अनुसार, इन शाखाओं के जरिए महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया है. जिसके चलते यहां लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या भी बढ़ी है. योगेश कुमार शर्मा ने बताया, झुंझुनू जिले में बैंक की कुल कर्मचारियों में 24 फीसदी महिलाएं हैं.
महिला शाखा बख्तावरपुरा
बात अगर महिला शाखा बख्तावरपुरा की करें तो शाखा का कुल व्यवसाय 56.70 करोड़ का है. यहां 5 हजार 949 खाताधारक है. इनमें महिला अधिक है. इन खाताधारकों ने 28.16 करोड़ रुपए जमा कराए हैं. शाखा ने 1 हजार 710 लोगों को लोन दिया है. इनमें महिला की संख्या पुरूषों से अधिक है. जिनमें से एक की भी लोन किश्त बकाया नहीं है.
महिला शाखा कारी
महिला शाखा कारी ने 4 हजार 716 खाताधारकों को जोड़ा है. उनसे 12.61 करोड़ रुपये की राशि ली है. 812 ऋण खातों में से कोई एनपीए नहीं है.
महिला शाखा पातुसरी
वहीं महिला शाखा पातुसरी ने 4 हजार 220 खाताधारकों से कुल 16.19 करोड़ रुपये जमा कराए हैं. 844 लोगों को बैंक ने लोन भी दिया है और यहां भी एक भी लोन की किश्त बकाया नहीं है.
चर्चा पूरे प्रदेश में
इन बैंकों में केवल महिलाओं का ही राज है. बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की झुंझुनूं जिले की तीन शाखाओं को केवल महिला स्टाफ ही संचालित कर रही हैं. बड़ी बात यह है कि ये शाखायें काफी बेहतर बिजनेस कर रही हैं. बैंक में एक भी खाता एनपीए नहीं है. इसकी बदौलत ये बैंक ना केवल फेमस हो रहे हैं बल्कि इन बैंकों के स्टाफ को इन गांवों के लोग बेटियों का दर्जा देते हैं. इन बैंकों में आने वाली महिलाओं का कहना है कि यहां आकर उन्हें बैंक जैसा नहीं बल्कि घर जैसा महसूस होता है.
पिछले साल स्थापित हुई थी ब्रांचें
बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ने पिछले वर्ष नवाचार करते हुए 8 मार्च से जिले की 3 शाखाओं बख्तावरपुरा, पातुसरी और कारी में सभी पदों पर केवल महिलाओं को पदस्थापित कर यहां महिला शाखा की स्थापना की थी. ऐसा करने वाला यह राजस्थान में पहला बैंक है. बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक योगेश शर्मा महिला शाखा की स्थापना का उद्देश्य बताते हुए कहते हैं, “ग्रामीण महिलाएं वित्तीय प्रबंधन में काफी होशियार होती हैं. इसी को बढ़ावा देने के लिए जिले में महिला शाखाओं की शुरुआत की गई है. ताकि ग्रामीण महिलाएं बैंक आने में संकोच नहीं करें और बैंकिंग से जुड़ें”.
खास बात यह है कि इन तीनों बैंकों ने अच्छा व्यवसाय कर आस-पास की कई शाखाओं को मात दे दी है. बख्तावरपुरा शाखा ने जहां 5949 ग्राहकों के साथ 56.7 करोड़ रुपए का व्यवसाय किया है. वहीं पातुसरी महिला शाखा ने 4716 ग्राहकों के साथ 26.25 करोड़ रुपए और कारी शाखा ने 4220 ग्राहकों के साथ 33.07 करोड़ रुपये का व्यवसाय किया है. इन सभी शाखाओं का एनपीए शून्य है. इन बैंकों की महिला कर्मचारी और अधिकारी गांव की महिलाओं को समय पर ऋण चुकता करने के निर्देश देती रहती हैं.
बेटियों की तरह मानते है स्टाफ को, घर-घर जाकर खोले खाते
बीआरकेजीबी की बख्तावरपुरा शाखा की प्रबंधक पल्लवी बताती हैं कि बैंक शाखा के उद्घाटन के वक्त भी यहां पर भारी संख्या में ग्रामीणों ने मौजूद रहते हुए इस पहल का स्वागत किया था. वहीं बख्तावरपुरा शाखा की प्रबंधक पल्लवी के मुताबिक शाखा के ग्राहक उन्हें बेटियों की तरह ही मानते हैं. उन्हें किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने देते. अपने अनुभव साझा करते हुए कारी शाखा की प्रबंधक सुभिता बुगालिया बताती हैं कि यहां पुरुष और महिला दोनों ग्राहक आते हैं.
पुरुष ग्राहकों द्वारा भी बहुत सहयोग और सराहना मिलती है. पातुसरी शाखा प्रबंधक नीतू ने बताया कि शाखा में 2 हजार 200 खाते हैं. चौपाल के माध्यम से महिलाओं को जागरूक कर शाखा से जोड़ा जाता है. इसके लिए वे स्वयं घर घर जाकर गांव की महिलाओं से संवाद कर उन्हें बैंक से जोड़ती हैं.
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महिलाओं को ज्यादा प्रोत्साहन देने के लिए ग्राहक सेवा समिति और अन्य माध्यमों से महिलाओं को बैंक से जोड़ते हुए महिलाओं को आगे बढ़ाने का मुख्य उद्देश्य है. सभी ग्रामीण बीआरकेजीबी की इस पहल से बहुत खुश हैं. महिला स्टाफ के आत्मीय और सहयोगपूर्ण व्यवहार से हजारों की संख्या में ग्राहक इन शाखाओं से जुड़े हैं. बीआरकेजीबी के क्षेत्रीय प्रबंधक योगेश शर्मा ने बताया कि महिला दिवस पर महिलाओं में भारतीय संस्कृति और संस्कारों को मजबूत बनाने और पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से बचाने के उद्देश्य से बैंक की ओर से अपने सास-ससुर और वरिष्ठ नागरिकों की सेवा करने वाली महिला ग्राहकों को सम्मानित करता है.
Report-Sandeep Kedia