Jaipur News: पतंगबाजी के शौकीन बरेली का परंपरागत मांझा चाइनीज मांझे की जगह खरीद रहे हैं. इस बार बाजारों में कार्टून प्रिंट पतंगों की खास डिमांड देखने को मिल रही है.
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Rajasthan News: मकर संक्रांति के अवसर पर पतंगबाजी का चलन सदियों पुराना है. पहले जहां पतंगबाजी पारंपरिक पतंगों और सादे मांझा तक सीमित थी, वहीं अब आधुनिक डिजाइनों और पर्यावरण-सुरक्षित सामग्री के साथ यह और भी अटरेक्टिव हो गई है.
एक समय था जब चाइनीज मांझा पतंगबाजी का पर्याय बन गया था, लेकिन अब लोग इसके खतरनाक प्रभावों को समझने लगे हैं. पतंगबाजी के शौकीन अब बरेली का परंपरागत मांझा, जो कपास के धागों से बना होता है उसको या फिर पर्यावरण-सुरक्षित धागों को प्राथमिकता दे रहे हैं.
प्रशासन और सामाजिक संगठनों की मुहिम के चलते चाइनीज मांझे पर सख्ती से रोक लगी है. इसके विकल्प के रूप में स्थानीय स्तर पर बने मांझे की मांग बढ़ी है. एक पतंग विक्रेता ने बताया कि ना वह चाइनीज मांझा बेच रहे है और ना उनकी दुकान पर चाइनीज मांझा खरीदने कस्टमर आते हैं.
इन कारीगरों का योगदान पतंगबाजी की संस्कृति को जीवित रखने में महत्वपूर्ण है. उनके जैसे लोग ना केवल इस परंपरा को बनाए रख रहे हैं, बल्कि इसे एक कला के रूप में संजो रहे हैं. पतंग बनाने में इनकी कुशलता और मेहनत का परिणाम होता है कि हर साल बाजारों में नई-नई डिजाइनों की पतंगे देखने को मिलती हैं.
हालांकि, महंगाई का असर पतंग बाजार पर पड़ रहा है. कच्चे माल की कीमतें बढ़ने के कारण पतंगों की रेट भी बढ़ गई है, लेकिन इसके बावजूद, पतंग के शौकीन हर साल इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस बार तिरंगा पतंग और कार्टून प्रिंट पतंगों की खास डिमांड है जो बच्चों और युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय है.
पहले के समय में पतंगबाजी केवल एक त्योहार तक सीमित नहीं थी यह रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा हुआ करती थी. आज की युवा पीढ़ी भले ही डिजिटल दुनिया में व्यस्त हो, लेकिन मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग उड़ाने का जुनून अभी भी कायम है. सोशल मीडिया पर पतंगबाजी के वीडियो और प्रतियोगिताओं की तस्वीरें ट्रेंड करती हैं, जिससे यह त्योहार नई पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बना हुआ है.
पतंग विक्रेताओं का कहना है कि इस साल तिरंगा पतंग, कार्टून प्रिंट पतंग, और फिल्मी सितारों के चेहरे वाली पतंगों की जबरदस्त मांग है. विक्रेताओं ने कहा कि ग्राहकों की प्राथमिकता अब चाइनीज मांझे की जगह पर्यावरण के अनुकूल धागों की ओर बढ़ रही है. जिससे ना केवल व्यापारियों को राहत मिली है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिला है.
पतंग खरीदने आए भारत ने कहा, "पतंग उड़ाना केवल मनोरंजन नहीं है, यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है. हर साल हम दोस्तों और परिवार के साथ इसे मनाते हैं.''
वहीं, यूपी से आए कारीगर ने बताया कि उनकी बनाई पतंगें देशभर में मशहूर हैं. मकर संक्रांति का पर्व पतंगबाजी की परंपरा को जीवित रखे हुए है. यह त्योहार ना केवल आसमान को रंग-बिरंगी पतंगों से भर देता है बल्कि जीवन में भी नई उमंग और ऊर्जा का संचार करता है.