राजस्थान में 13 और 14 सितम्बर को नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, सिर्फ कुछ घंटे मिलेगी छूट
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1868583

राजस्थान में 13 और 14 सितम्बर को नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, सिर्फ कुछ घंटे मिलेगी छूट

कोरोना का वायरस कमजोर पड़ चुका है. लोगों की जिंदगी बचाने वाले रेमेडेसिविर इंजेक्शन और मास्क जैसी अनिवार्यताएं भी खत्म हो गई हैं. लेकिन लॉकडाउन के बीच प्रदेश सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ाया गया वैट आज तक भी लगभग जस का तस है.

राजस्थान में 13 और 14 सितम्बर को नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, सिर्फ कुछ घंटे मिलेगी छूट

Petrol Diesel Pump: कोरोना का वायरस कमजोर पड़ चुका है. लोगों की जिंदगी बचाने वाले रेमेडेसिविर इंजेक्शन और मास्क जैसी अनिवार्यताएं भी खत्म हो गई हैं. लेकिन लॉकडाउन के बीच प्रदेश सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ाया गया वैट आज तक भी लगभग जस का तस है. इस कारण राजस्थान की सीमाओं से सटे दूसरे राज्यों में जहां पेट्रोल-डीजल के दाम नीचे उतर चुके हैं. वहीं राजस्थान एक मात्र प्रदेश है, जहां पेट्रोल पर सबसे ज्यादा 31.04 और डीजल पर 19.30 फीसदी वैट लागू है. कोविड के समय से बढे हुए वैट को कम करने के लिए 13 और 14 सितंबर को 6 हजार 712 पेट्रोल पंप सुबह 10 से शाम 6 बजे तक बंद रहेंगे. इस दौरान ना सिर्फ बड़े वाहन चालकों को बल्कि दोपहिया वाहन चालकों के लिए भी काफी मुश्किलें हो सकती हैं. इस दौरान इमरजेंसी सेवा, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड आदि के लिए पेट्रोल-डीजल उपलब्ध करवाया जाएगा

राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पर वैट ज्यादा होने के साइड इफेक्ट भी देखने को मिल रहे हैं. प्रदेश में महंगाई भी बढ़ गई है. पेट्रोल-डीजल पर वैट ज्यादा होने कारण ही पेट्रोल पंपों में ऑयल की बिक्री बहुत ज्यादा प्रभावित हुई है तो उपभोक्ताओं की जेब पर भी इसका सीधा असर पड़ रहा है. दूसरे राज्यों की तुलना में पेट्रोल और डीजल कीमत ज्यादा होने से लोग हरियाणा-पंजाब से सस्ता डीजल लाकर राजस्थान के विभिन्न जिलों में सप्लाई कर सरकार को करोड़ों रुपए के टैक्स का चूना लगा रहे हैं. खपत कम होने से राज्य के सरकार को राजस्व को नुकसान के साथ-साथ आमजनता की जेब पर भार पड रहा है तो पेट्रोल पंप संचालकों की कमाई कम हो गई हैं.

राजस्थान पैट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन की ओर से 13 और 14 सितंबर को सुबह 10 से शाम 6 बजे तक सांकेतिक हडताल और 15 सितंबर से अनिश्तिकालीन हडताल का ऐलान कर दिया हैं. यदि सरकार इस हडताल के बाद जनता के हित मे वैट कम करने का कदम उठाती है तो सीधा लाभ तो आम आदमी को मिलने वाला है. हालांकि पेट्रोल पंप संचालक भी इसमें अपना फायदा देख रहे हैं. वैसे पंप संचालकों का मुद्दा भी गैर जायज नहीं है. इस आंदोलन का सबसे बड़ा लाभ सीमावर्ती जिलों को हैं, जिनके पास स्थित दूसरे राज्यों में सस्ता पेट्रोल डीजल मिल रहा है. राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह भाटी की माने तो पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश की सीमाएं राजस्थान के कई जिलों से लगती है. यहां आने वाले ट्रक सीमावर्ती राज्य से अपना टैंक फुल करवाकर ही राज्य में प्रवेश करते हैं. इतना ही नहीं राजस्थान से बाहर जाने वाले ट्रक इन राज्यों में पहुंचकर ही डीजल भरवाते हैं. ऐसे में राजस्थान के उन पेट्रोल पंपों की हालत खस्ता है, जो इन राज्यों की सीमा पर स्थित है.

उदाहरण के तौर पर श्रीगंगानगर के पेट्रोल पंप को ले सकते हैं, जहां पेट्रोल की कीमत में करीब 16 रुपए का अंतर है. डीजल में भी 11 रुपए का अंतर है. ऐसे में राजस्थान-पंजाब की सीमा पर स्थित श्रीगंगानगर के पंप पर बमुश्किल ही ग्राहक पहुंचते हैं. पिछले तीन साल में करीब 270 से ज्यादा पेट्रोल पंप बंद हो चुके हैं. कमोबेश ये ही स्थिति भरतपुर के पेट्रोल पंप संचालकों की है. जहां लोग उत्तरप्रदेश में प्रवेश करने के बाद ही टैंक का ढक्कन खोलते हैं. कोटा से पहले मध्यप्रदेश की सीमा है. ऐसे में वहां आने वाले ट्रक और ट्यूरिस्ट दोनों अपनी गाड़ी में पेट्रोल डीजल भरवाकर ही प्रवेश करते हैं. राजस्थान से जाने वाले वाहन भी मध्यप्रदेश में टैंक फुल करवाते हैं.

वैट की दर (प्रतिशत)

राज्य----------पेट्रोल----------------डीजल

राजस्थान------31.04 प्रतिशत----------------19.30 प्रतिशत

हरियाणा------18.20 प्रतिशत----------------16.00 प्रतिशत

पंजाब--------13.77 प्रतिशत-----------------09.92 प्रतिशत

देहली--------19.40 प्रतिशत-----------------16.75 प्रतिशत

गुजरात-------13.70 प्रतिशत-----------------14.90 प्रतिशत

उत्तरप्रदेश----19.36 प्रतिशत-----------------17.08 प्रतिशत

मध्यप्रदेश------29 प्रतिशत------------------19 प्रतिशत

राजस्थान पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुनीत बगई ने बताया की राजस्थान में पंजाब और अन्य पड़ोसी राज्यों के बराबर वेट किए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी. सरकार की ओर से इसे गंभीरता से न लेकर लगातार उपेक्षा की जा रही है. राजस्थान में अधिक वेट होने के कारण पड़ोसी राज्यों के मुकाबले 10 से लेकर 14 रुपए तक पेट्रोल और डीजल महंगे हैं. इस वजह से बॉर्डर के जिलों पर स्थित पेट्रोल पंपों के हालात अत्यधिक खराब हो गए हैं. कई पेट्रोल पंप बंद हो गए हैं या बंद होने के कगार पर हैं. अनेक पंप मालिक नुकसान उठाते मजबूरी से चला रहे हैं.

कोरोनाकाल की शुरुआत में लागू लॉकडाउन के बाद से सरकार ने तीन बार वैट के बढाया. जबकि कोरोना जाने के बाद से अब तक केवल दो बार दामों को घटाया है. उन्होने बताया की पंजाब और हरियाणा की तुलना में राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पर वैट सबसे ज्यादा हैं. ऐसे में लोग बाहरी राज्यों से तेल भरवा कर ही राजस्थान में आना पसंद करते हैं. के पेट्रोल पंप संचालकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. साथ कर्मचारियों की तनख्वाह और खर्चे निकालने मुश्किल होते जा रहे हैं. पंपों पर सेल लगातार गिर रही है. उन्होंने कहा कि यदि पंजाब और हरियाणा के समान वैट दर कर दी जाए तो पंप मालिकों को राहत मिल सकती है. लगातार इस मांग को राज्य सरकार के समक्ष उठाया जा रहा है. बावजूद सरकार इस विषय पर कोई फैसला नहीं ले रही है. उन्होंने बताया कि वैट के अलावा राज्य सरकार रोड मेंटीनेंस के पेटे सेस भी वसूल रही हैं.

दरअसल, हड़ताल कर रहे राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का मानना है कि पड़ोसी राज्यों के समान ही दर होगी तो पेट्रोल और डीजल दोनों की बिक्री में वृद्धि होगी. ऐसे में उनका लाभ बढ़ जाएगा. अगर ईंधन बिकेगा ही नहीं तो लाभ कैसे होगा? हम चाहते हैं कि सभी राज्यों की कीमत समान होनी चाहिए. ताकि वाहन चालक अपनी इच्छा से कहीं भी ईंधन भरवा सके.

ये भी पढ़ें-

क्या गदर-2 और OMG-2 के बाद फिर से होगा बॉलीवुड में क्लैश? इन बड़ी मूवीज में टक्कर

KBC में पूछे गए करोड़पति बनने के लिए ये सवाल, क्या आपको पता हैं जवाब?

Trending news