फलौदी-जैसलमेर रेलखंड को मिलेगा तोहफा, मॉडर्न तकनीक का होगा इस्तेमाल
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फलौदी-जैसलमेर रेलखंड को मिलेगा तोहफा, मॉडर्न तकनीक का होगा इस्तेमाल

फलौदी जैसलमेर रेलवे खंड, उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल पर फलोदी-जैसलमेर रेलखण्ड एकमात्र बचा हुआ रेलखण्ड है, जिस पर पारम्परिक सेमाफोर सिग्नल लगे हुए हैं. 

फलौदी-जैसलमेर रेलखंड को मिलेगा तोहफा

Jaipur: रेलवे में सिग्नल मॉडर्न तकनीक के हो...तो सुरक्षा और मजबूत होगी...अब फलौदी जैसलमेर खंड में पारंपरिक सेमाफोर सिग्नल को आधुनिक रुप में बदला जाएगा...जिसमें मल्टी सिग्नल कलर लाइटिंग और इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग होगी.

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फलौदी जैसलमेर रेलवे खंड, उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल पर फलोदी-जैसलमेर रेलखण्ड एकमात्र बचा हुआ रेलखण्ड है, जिस पर पारम्परिक सेमाफोर सिग्नल लगे हुए हैं. अब इसे बदलने की तैयारी हो गई है. मॉर्डन इलेक्ट्रिक सिस्टम के साथ मल्टी कलर लाइट सिग्नलिंग में बदला जाएगा.

इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के साथ बहुसंकेतीय कलर लाइट सिग्नल लगाए जाएंगे. इससे 50 किमी प्रति घंटे की मौजूदा गति की तुलना में यार्ड में ट्रेनों की अधिकतम गति को भी बढ़ाकर 100 किमी प्रति घंटे किया जाएगा. सभी स्टेशनों पर दो रेलगाड़ियों को एक साथ आगमन और प्रस्थान सुविधा दी जाएगी. जिससे स्टेशनों पर क्रॉसिंग का समय कम हो जाएगा. उच्च उपलब्धता वाले डिजिटल एक्सल काउंटर लगाए जाएंगे
इसमें बिना टोकन के ब्लॉक पैनल का प्रावधान भी किया जाएगा. ट्रेनों के आने और जाने के काम को भी मैनुअल से ऑटो पर शिफ्ट किया जाएगा. इस नई टेक्नोलॉजी से सुरक्षा भी कई गुना बढ़ेगी और समय की बचत भी होगी.

जैसलमेर-फलोदी खंड के 09 स्टेशनों पर यांत्रिक सेमाफोर लोअर क्वाड्रेंट सिग्नलिंग का बहुत पुरानी सिंग्नलिंग प्रणाली है. इस प्रणाली में तारों का उपयोग करके सिग्नल लीवर से संचालित होते हैं और ट्रेन की गति स्टेशन यार्ड में संरक्षा की दृष्टि से केवल 50 किमी प्रति घंटे तक सीमित रहती है. इस सिग्नलिंग प्रणाली में अगले स्टेशन तक जाने के लिए लोको पायलट को अधिकार के रूप में बॉल टोकन प्रदान किया जाता है. स्टेशनों पर कोई ट्रैक सर्किट नहीं होता है तथा ट्रेन आने और जाने सुविधा की स्वचालित रिपोर्टिंग के लिए डाटा लॉगर भी नहीं होता है. यह सिग्नलिंग प्रणाली विद्युतीकरण के लिए भी उपयुक्त नहीं है. यह प्रणाली उत्तर पश्चिम रेलवे के ब्रॉड गेज रेलखण्डों पर सेमाफोर सिग्नलिंग वाला एकमात्र बचा हुआ खंड है.

रेलखण्ड के दो स्टेशनों मारवाड़ बीठडी और मारवाड़ खारा पर ये काम पहले ही पूरा किया जा चुका है. 04 स्टेशनों पर आधुनिकीकरण के इस कार्य को मार्च 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा और शेष तीन स्टेशनों को अगले वित्तीय वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा.

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