राजस्थान से था राहुल बजाज का गहरा नाता, निधन की खबर के बाद पैतृक गांव में नहीं जला चूल्हा
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राजस्थान से था राहुल बजाज का गहरा नाता, निधन की खबर के बाद पैतृक गांव में नहीं जला चूल्हा

शेखावाटी के लाल राहुल बजाज का शनिवार को पुणे में निधन हो गया. राहुल बजाज का सीकर जिले के काशी का बास से गहरा रिश्ता रहा है. उनका पैतृक गांव काशी का बास ही है.

राजस्थान से था राहुल बजाज का गहरा नाता, निधन की खबर के बाद पैतृक गांव में नहीं जला चूल्हा

Rahul Bajaj Passed Away: शेखावाटी के लाल राहुल बजाज का शनिवार को पुणे में निधन हो गया. राहुल बजाज का सीकर जिले के काशी का बास से गहरा रिश्ता रहा है.  उनका पैतृक गांव काशी का बास ही है. राहुल बजाज के निधन पर गांव काशी का बास में हर कोई दुखी है. 83 साल के बजाज लंबे वक्त से कैंसर से पीड़ित थे और पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे.

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राहुल बजाज का जन्म 10 जून, 1938 को कोलकाता में मारवाड़ी बिजनेसमैन कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज के घर हुआ था. राहुल बजाज के दादा जमनालाल बजाज की मूर्ति सीकर शहर के मुख्य तिराहे पर लगी हुई है. जिसे बजाज सर्किल कहा जाता है. सीकर जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी की दूरी पर ही काशी का बास गांव है. बताया जाता है कि बजाज और नेहरू परिवार में तीन जनरेशन से फैमिली फ्रैंडशिप चली आ रही थी. राहुल के पिता कमलनयन और इंदिरा गांधी कुछ समय एक ही स्कूल में पढ़े थे. 2001 में उन्हें पद्म भूषण का सम्मान भी मिल चुका है।

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बजाज ग्रुप का जिम्मा राहुल बजाज ने 1965 में संभाला था 
राहुल बजाज ने 1965 में बजाज ग्रुप की जिम्मेदारी संभाली थी. उनकी अगुआई में बजाज ऑटो, स्कूटर बेचने वाली देश की अग्रणी कंपनी बन गई थी. वे 50 साल तक बजाज ग्रुप के चेयरमैन रहे. 2005 में राहुल ने बेटे राजीव को कंपनी की कमान सौंपनी शुरू की थी जिसके बाद  ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कंपनी के प्रोडक्ट की मांग न सिर्फ घरेलू बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ गई. इधर  कम मूल्य और कम रखरखाव के साथ छोटे परिवार और छोटे ट्रेडर्स के लिए बेहद उपयुक्त बजाज ब्रांड वेस्पा स्कूटर इतने लोकप्रिय हो गए कि 70 और 80 के दशक में बजाज स्कूटर खरीदने के लिए लोगों को 15 से 20 साल इंतजार करना पड़ता था. कई लोगों ने तो उन दिनों बजाज स्कूटर के बुकिंग नंबर बेचकर लाखों कमाए और घर बना लिए. वही हमारा बजाज हर किसी की जुबा पर रहने वाला विज्ञापन का गाना बन गया था.

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कामयाबी कारोबारी और अपने हौंसलों के साथ बेबाक बयानबाजी के लिए जाने जाने वाले राहुल बजाज की पुश्तैनी हवेली और जमना लाल बजाज का सीकर में बनवाया गया कुआं आज भी है. जिसे देख कर बजाज परिवार की यादें आज भी ताजा हो जाती हैं. राहुल बजाज जब अपने पैतृक गांव आए थे तो गांव के लोगों ने भी उनके स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ी थी. गांव की महिलों ने मंगल गीत गाकर उनका स्वागत किया था. बजाज परिवार ने काशी का बास में स्कूल, अस्पताल समेत कई  विकासकार्य भी कराए जिनका लोग आज भी लाभ ले रहे हैं. यही विकास कार्य है जो उनके माटी से जुड़ाव की कहानी बयान करते हैं. गांव के लोगो का कहना है कि राहुल बजाज के निधन पर गांव में सभी को गहरा दुख है.

रिपोर्ट - अशोक शेखावत

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