राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी बयानबाजी जारी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बयानों को धार देते हुए इस बार सरदार को हथियार बनाया है. बीकाणा की धरती से बीजेपी पर हमला बोलते हुए सीएम ने इशारों ही इशारों में बीजेपी को मौकापरस्त बता दिया.
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Jaipur News: राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में चुनावी साल के हथियारों को धार देना कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही शुरू कर दिया है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बयानों को धार देते हुए इस बार सरदार को हथियार बनाया है. बीकाणा की धरती से बीजेपी पर हमला बोलते हुए सीएम ने इशारों ही इशारों में बीजेपी को मौकापरस्त बता दिया. नोखा के जसरासर में स्वर्गीय भामाशाह चौधरी दाना राम की मूर्ति का अनावरण करने के बाद सीएम गहलोत ने बीजेपी पर हमला बोलने के लिए मूर्ति को ही हथियार बनाया.
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गहलोत बोले कि बीजेपी कितनी मौकापरस्त है? इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि जिन सरदार पटेल ने देश के गृह मंत्री रहते हुए आरएसएस पर बैन लगाया, आज वही बीजेपी सरदार पटेल की मूर्ति लगवा रही है और उनके नाम पर वोट मांग रही है.
सीएम अशोक गहलोत ने बीजेपी पर निशाना साधा
गर्मी के मौसम में बीकानेर संभाग गर्म रहता है, लेकिन बुधवार को तो बीकाणा की धरती का तापमान बयानों की गर्मी ने बढ़ाया. नोखा के जसरासर में पूर्व पीसीसी अध्यक्ष रामेश्वर डूडी के बुलावे पर उनके मामा चौधरी दानाराम चरण की मूर्ति का अनावरण करने पहुंचे सीएम अशोक गहलोत ने बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि दाराराम चौधरी तो भामाशाह थे और किसानों के बीच रहकर उन्होंने काम किया.
गहलोत ने अपनी पार्टी को किसानों का हितैषी बताया तो साथ ही बीजेपी को मौकापरस्त बताकर विपक्षी पार्टी पर सवाल उठाए. सीएम ने कहा कि एक वक्त था जब देश के गृह मंत्री रहते हुए सरदार पटेल ने आरएसएस पर पाबंदी लगा दी थी और बीजेपी उन्हीं सरदार पटेल की मूर्तियां लगवा रही है. गहलोत ने कहा कि अब तो सरदार पटेल के नाम पर ही वोट मांगे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी सिर्फ और सिर्फ राजनीति कर रही है. जबकि सेवा पर राजनीति को तरजीह देना कतई न्याय संगत नहीं है.
रामलाल शर्मा ने कांग्रेस की सोच पर उठाए सवाल
गहलोत के बयानों का जवाब देने के लिए बीजेपी भी हमेशा की तरह तत्पर दिख रही है. रामलाल शर्मा ने कांग्रेस की सोच पर सवाल उठाते हुए कहा कि आरएसएस पर पाबन्दी लगाने वाले पटेल ने ही जांच में सच्चाई उजागर होने पर यह पाबन्दी हटाई थी. रामलाल ने कहा कि पण्डित नेहरू ने तो आरएसएस को देश के राष्ट्रीय पर्व पर होने वाली परेड में आमन्त्रित किया था.
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बीजेपी ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यह माना जाए कि कांग्रेस पण्डित नेहरू के विचारों को तवज्जो नहीं देती. रामलाल ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ही जनभावनाओं की उपेक्षा की है. यही कारण है कि तब पटेल को प्रधानमन्त्री बनाने के पक्ष में माहौल होने के बावजूद कांग्रेस ने पण्डित नेहरू को ही पीएम बनाया. रामलाल ने सरकार के मुखिया पर लोगों को आपस में बांटने का आरोप भी लगाया.
चुनावी साल में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू
इससे पहले मुख्यमन्त्री और कांग्रेस के दूसरे नेता महात्मा गांधी के प्रति बीजेपी के नज़रिये और रवैये पर सवाल उठा चुके हैं. कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी अबसे पहले न गांधी को मानती थी न ही सरदार पटेल को, लेकिन इनको जिधर वोट दिखते हैं वहीं बीजेपी पैंतरा बदल लेती है. चुनावी साल में बयानों की इस तरह के वार अभी शुरू ही हुए हैं और वक्त के साथ इनमें बढ़ोत्तरी होगी. लेकिन क्या यह कहना वाकई सही होगा कि राजनीतिक पार्टियां अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकती हैं?