याचिका में अधिवक्ता पूनमचंद भंडारी ने बताया कि आरपीएससी ने एनालिस्ट कम प्रोग्रामर (डिप्टी डायरेक्टर) के 48 पदों की भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की थी. इसके लिए प्रतियोगी परीक्षा भी ली गई. लेकिन ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दे दी जो परीक्षा में फेल हो गए थे और जिनके पास नियुक्ति की तय योग्यता भी नहीं थी.
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Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने आरपीएससी की परीक्षा में फेल होने के बाद भी एनालिस्ट कम प्रोग्रामर (डिप्टी डायरेक्टर) के पद पर नियुक्ति देने से जुडे मामले में मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग, सचिव आरपीएससी और डीजीपी भ्रष्टाचार निरोधक विभाग सहित अन्य से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.
अदालत ने पूछा है कि आरपीएससी ने जब अभ्यर्थियों को फेल कर दिया था तो उनकी नियुक्ति कैसे हुई? जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश रोहिताश सारस्वत की याचिका पर दिए.
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याचिका में अधिवक्ता पूनमचंद भंडारी ने बताया कि आरपीएससी ने एनालिस्ट कम प्रोग्रामर (डिप्टी डायरेक्टर) के 48 पदों की भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की थी. इसके लिए प्रतियोगी परीक्षा भी ली गई. लेकिन ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दे दी जो परीक्षा में फेल हो गए थे और जिनके पास नियुक्ति की तय योग्यता भी नहीं थी.
आरटीआई से मिली सूचना पर इस मामले में एसीबी और आला अफसरों से शिकायत भी की. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि विभाग ने मनमर्जी से नियमों के खिलाफ नियुक्तियां दी हैं और कैटेगरी बदलने के साथ ही फेल अभ्यर्थियों को पद दिए गए है, जो गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.
Reporter- Mahesh Pareek
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