इस बर्खास्त अधिकारी को हाईकोर्ट से मिला बड़ा झटका, जमानत याचिका फिर खारिज
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इस बर्खास्त अधिकारी को हाईकोर्ट से मिला बड़ा झटका, जमानत याचिका फिर खारिज

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court ) ने रिश्वत में इज्जत मांगने के आरोप में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे बर्खास्त डीएसपी कैलाश बोहरा को राहत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने आरोपी की ओर से दूसरी बार पेश जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.

राजस्थान हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court ) ने रिश्वत में इज्जत मांगने के आरोप में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे बर्खास्त डीएसपी कैलाश बोहरा को राहत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने आरोपी की ओर से दूसरी बार पेश जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस पंकज भंडारी ने यह आदेश आरोपी की द्वितीय जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

आरोपी की ओर से जमानत अर्जी में कहा गया कि वह करीब 11 माह से जेल में है. मामले में निचली अदालत में चल रही ट्रायल में पीड़िता अपने बयान दर्ज कराने में देरी कर रही है. वह पिछली एक दर्जन से अधिक पेशियों पर अदालत में हाजिर नहीं हुई है. पुलिस ने उसे एक षड्यंत्र के तहत उसे फंसाया है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. इसका विरोध करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता डॉ. विभूति भूषण शर्मा ने कहा कि मामले में करीब 150 पेज का पूरक परीक्षण पूरा हो चुका है.

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साक्ष्य हो सकता है प्रभावित

मामले में बचाव पक्ष की ओर से भी सुनवाई में देरी की जा रही है. यदि आरोपी को जमानत दी गई तो वह साक्ष्य को प्रभावित कर सकता है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया है. दरअसल, पीड़िता ने पिछले साल मार्च महीने में एसीबी में शिकायत दी थी कि उसने जवाहर सर्किल थाने में एक युवक व अन्य के खिलाफ दुष्कर्म व धोखाधडी के तीन मामले दर्ज कराए थे.

एसीबी ने बोहरा को रंगे हाथों पकड़ा
इस मामले की जांच महिला अत्याचार अनुसंधान यूनिट के एसीपी कैलाश बोहरा के पास थी. मुकदमे में कार्रवाई की एवज में बोहरा ने पहले उससे 50 हजार रुपए लिए और बाद में उससे अस्मत मांगी.इस दौरान ही बोहरा ने पीड़िता को 14 मार्च को अपने ऑफिस बुलाकर कमरा बंद कर लिया. तभी एसीबी की टीम ने मौके पर बोहरा को आपत्तिजनक स्थिति में गिरफ्तार किया. हाईकोर्ट ने 7 जून 2021 को आरोपी की जमानत अर्जी खारिज करते हुए निचली अदालत में पीड़िता के बयान दर्ज होने के बाद दोबारा जमानत याचिका दायर करने की छूट दी थी. 

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