Rajasthan Politics:राजस्थान कांग्रेस में लंबे समय से नेताओं के बीच आपसी मनमुटाव की खबरें आती रही है. खासतौर से राजधानी जयपुर की बात करें तो तस्वीर इन दिनों भी पार्टी के लिए ज्यादा बेहतर नहीं दिख रही.
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Rajasthan Politics:राजस्थान कांग्रेस में लंबे समय से नेताओं के बीच आपसी मनमुटाव की खबरें आती रही है. खासतौर से राजधानी जयपुर की बात करें तो तस्वीर इन दिनों भी पार्टी के लिए ज्यादा बेहतर नहीं दिख रही. पार्टी के कार्यक्रमों से कुछ नेता लगातार दूरी बनाए हुए दिख रहे हैं.पहले अंग्रेजी स्कूल बंद करने की सरकार की मंशा के खिलाफ जयपुर शहर कांग्रेस ने कलेक्ट्रेट पर धरना दिया,तो उसमें नेताओं ने दूरी बनाए रखी.
इस पर जब शहर अध्यक्ष आरआर तिवाड़ी से सवाल हुआ,तो वे गुटबाजी से इनकार करते दिखे.तिवाड़ी पार्टी नेताओं की लोकसभा चुनाव में व्यस्तता की दुहाई देते दिखे.हालांकि तिवाड़ी ने इतना ज़रूर कहा कि किसी भी नेता को नेता तो कार्यकर्ता ही बनाता है.उन्होंने कहा कि वे तो आज भी मोटरसाईकिल पर चलते हैं.
धरने के बाद राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर पीसीसी में हुई प्रार्थना सभा के दौरान भी नेताओं की गैर मौजूदगी चर्चा का विषय रही.कांग्रेस में तो कुछ लोग यहां तक कहने लग गए कि बड़े नेता नहीं थे तो विधायक-पूर्व विधायक शक्त दिखाने नहीं आए.हांलांकि एक चर्चा आरआर तिवाड़ी से नाराज़गी की भी होती है.लेकिन तिवाड़ी उनके प्रति किसी तरह की नाराज़गी की बात को खारिज करते हैं.
हालांकि दुनिया का दुनिया में शायद ही ऐसा कोई राजनीतिक संगठन होगा,जिसके सभी नेता एकजुट हों और आपस में कोई प्रतिस्पर्द्धा नहीं हो,लेकिन इसका मतलब यह नहीं हो सकता कि प्रतिस्पर्धा या मनमुटाव इतना ज्यादा हो जाए कि वह संगठन को ही नुकसान देने लगे.
बहरहाल तिवाड़ी लोकसभा चुनाव में नेताओं की व्यवस्तता की बात कर रहे हैं,लेकिन अभी मौके आगे और आएंगे.क्योंकि अभी साढ़े चार राजस्थान में तो कांग्रेस विपक्ष में ही रहेगी और तब परख होगी कि कांग्रेस कितनी एकजुट है और जनता के मुद्दे उठाने में कितनी सक्रिय?.
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