Rajasthan Politics: आरएलडी (RLD) के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी(Trilok Tyagi) के साथ ही राजस्थान में आरएलडी विधायक दल के नेता और सरकार के मन्त्री डॉ सुभाष गर्ग ने भी अपनी भागीदारी बढ़ाने की मंशा जताई है.
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Rajasthan Politics News: राजस्थान में चुनाव होने को हैं और विधानसभा चुनाव से पहले हर कोई अपना दांव चलना चाहता है. समय की नज़ाकत को देखते हुए राजस्थान सरकार में भागीदार और कांग्रेस को सरकार में समर्थन देने वाले राष्ट्रीय लोक दल ने भी अपनी बात रखी है. चुनावी राजनीति में ज्यादा भागीदारी की मांग उठाने के साथ ही आरएलडी (RLD) ने मौजूदा सरकार के रिपीट होने का दावा किया है.
आरएलडी के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी(Trilok Tyagi) के साथ ही राजस्थान में आरएलडी विधायक दल के नेता और सरकार के मन्त्री डॉ सुभाष गर्ग ने भी अपनी भागीदारी बढ़ाने की मंशा जताई है. ऐसे में कांग्रेस नेता भले ही सभी सीटों पर सक्रिय दिख रहे हो लेकिन गठबंधन की बातें कई नेताओं की धड़कन बढ़ा सकती है.
चुनाव का मौसम राजनीतिक पार्टियों के लिए पॉलिटिकल मॉनसून की तरह होता है. इस मौसम में हर कोई बढना चाहता है, अपनी तरक्की चाहता है. यही कारण है कि गठबंधन में जुड़ने वाली पार्टियां भी अपना हक बढ़ाना चाहती हैं.कुछ ऐसा ही राजस्थान में चुनाव से ठीक पहले दिख रहा है. राजस्थान में कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन करने वाली राष्ट्रीय लोकदल ने सरकार में भी पूरी भागीदारी निभाई.
डॉ सुभाष गर्ग गहलोत मन्त्रिपरिषद में सहयोगी और स्वतन्त्र प्रभार के मन्त्री के रूप में लगातार मोर्चा संभाले दिखे. लेकिन अब चुनाव से ठीक पहले RLD के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने गठबंधन दोहराने के संकेत दिए हैं. त्यागी ने हालांकि गठबंधन सीटों की संख्या तो नहीं बताई लेकिन इतना ज़रूर कहा कि प्रदेश में 30 से 40 सीटों पर दावेदार RLD के टिकिट के लिए सम्पर्क कर रहे हैं.
उधर सरकार में साझेदार रहे डॉ सुभाष गर्ग भी सीटों की संख्या बढ़ाने के पैरोकार हैं. राजस्थान सरकार के मन्त्री, आरएलडी विधायक दल के नेता और अशोक गहलोत को अपना नेता बताने वाले सुभाष गर्ग भी इस बार गठबंधन की सीटों को बढ़ाने की मंशा रखते हैं. वे कहते हैं कि इसका फ़ैसला तो राष्ट्रीय अध्यक्ष जयन्त चौधरी और कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत में ही होगा, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में तकरीबन 53 सीट ऐसी हैं जो कांग्रेस पिछले कुछ समय से लगातार हार रही है. डॉक्टर गर्ग ने कहा कि अगर ऐसी सीटों पर RLD मजबूत हैं तो पार्टी उन सीटों पर अपना दावा मजबूती से रखेगी.
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राजनीति की प्रवृत्ति बड़ी अजीब होती है. कहा जाता है कि इसमें फ्रेन्ड्स भले ही स्थायी हों या ना हो लेकिन इन्ट्रेस्ट परमानेन्ट होते हैं. ऐसे में पिछली बार जीती सीट पर तो RLD अपना स्वाभाविक हक मानती ही है लेकिन सीटें बढ़ाने की कोशिश भी दिख रही है. लेकिन सवाल यह कि क्या यह गठबंधन सिर्फ खुद की जीत के लिए है, क्या यह गठबंधन सत्ता में खुद को और कांग्रेस को रिपीट कराने के लिए है, क्या यह हाल ही राष्ट्रीय स्तर पर बने गठबंधन I.N.D.I.A. को मजबूत करने और उसे बचाने के लिए है या फिर यह गठबंधन बीजेपी को रोकने के लिए है.