बागेश्वर धाम का रामजन्म भूमि कनेक्शन ? जानिये धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का निर्मोही अखाड़े से रिलेशन
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बागेश्वर धाम का रामजन्म भूमि कनेक्शन ? जानिये धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का निर्मोही अखाड़े से रिलेशन

Nirmohi Akhara : अपने बयानों के चर्चा में छाये बागेश्वर महाराज ने अपने खिलाफ लग रहे आरोपों को साजिश करार दिया है. एक  इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि ईसाई मिशनरियां उनके पीछे पड़ गई हैं क्योंकि वे धर्मांतरण के खिलाफ आवाज लगा रहे हैं.इस बीच बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का राम जन्म भूमि कनेक्शन भी सामने आया है.

बागेश्वर धाम का रामजन्म भूमि कनेक्शन ? जानिये धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का निर्मोही अखाड़े से रिलेशन

Nirmohi Akhara : अपने बयानों के चर्चा में छाये बागेश्वर महाराज ने अपने खिलाफ लग रहे आरोपों को साजिश करार दिया है. एक  इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि ईसाई मिशनरियां उनके पीछे पड़ गई हैं क्योंकि वे धर्मांतरण के खिलाफ आवाज लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ईसाई मिशनरियां धर्मांतरण के लिए करोड़ों खर्च करती हैं. उन्होंने कई लोगों की घर वापसी कराई है और आदिवासियों के इलाकों में दरबार लगा रहे हैं. इसलिए मिशनरियां उनके खिलाफ साजिश कर रही हैं.

कौन है धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्य प्रदेश के छतरपुर के गड़ागंज गांव में हुआ था. उनके दादा पंडित भगवान दास गर्ग (सेतु लाल) भी यहां रहते थे. कृष्ण शास्त्री के दादा ने चित्रकूट के निर्मोही अखाड़े से दीक्षा हासिल की थी, जिसके बाद वे गड़ा गांव पहुंचे थे. जहां उन्होंने बागेश्वर धाम मंदिर का जीर्णोंद्धार करवाया और यहीं पर धीरेंद्र कृष्ण के दादाजी भी दरबार लगाया करते थे और उन्होंने संन्यास आश्रम ग्रहण कर लिया था. ये ही परंपरा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अब निभा रहे हैं.

निर्मोही अखाड़ा क्या है
राम मंदिर निर्माण आंदोलन की लड़ाई लड़ने वाले निर्मोही अखाड़े ने  साल 1853 में अयोध्या की विवादित भूमि पर कब्जा कर लिया था. 100 साल से इस जगह मंदिर निर्माण की मांग करता आया निर्माही अखाड़ा खुद को उस जगह का संरक्षक बताता रहा है जहां श्री राम का जन्म हुआ था.श्रीराम मंदिर की पहली कानूनी प्रक्रिया भी इसी अखाड़े के महंत रघुवीर दास ने साल 1885 में  शुरु की थी. उन्होंने एक याचिका दायर करके राम जन्मभूमि वाले स्थान के चबूतरे पर छत्र स्थापित करने की मांग की थी. जिसे फैजाबाद की जिला कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

निर्मोही अखाड़े ने कोर्ट में राम जन्मभूमि पर पूजा-पाठ और प्रबंधन की अनुमति मांगी थी और मामला कोर्ट तक पहुंचा था. वो बाद अलग है कि सुप्रीम कोर्ट ने अखाड़े की जमीन पर मालिकाना हक के दावे को खारिज कर दिया था. निर्मोही अखाड़ा वैष्णव संप्रदाय से जुड़ा है. बताया जाता है कि 1853 में इसी अखाड़े के साधुओं ने बाबारी मस्जिद पर कब्जा कर लिया था. विकिपीडिया में बताया गया है कि इन सशस्त्र साधुओं ने मस्जिद पर दावा पेश किया. लेकिन वहां से फिर हटे या नहीं इसकी कुछ खास जानकारी नहीं है.

निर्मोही अखाड़ा खुद को मानता है हिंदू धर्म का संरक्षक
देश में मान्यता प्राप्त 14 अखाड़ों में से एक है निर्मोही अखाड़ा. जिसे14वीं सदी में वैष्णव संत और कवि रामानंद ने बनाया. श्री राम की पूजा करने वाले इस अखाड़े के बारे में माना जाता है कि वो आर्थिक रूप से संपन्न है. राजस्थान के साथ ही यूपी, उत्तराखंड, मप्र, गुजरात और बिहार में कई अखाड़े और मंदिर हैं. जिसमें किशोरावस्था में ही बच्चे शामिल कर उन्हें पूजा-पाठ और ब्रह्मचारी जीवन की शिक्षा दी जाती है.निर्मोही अखाड़ा पूजा-पाठ के अलावा लोगों की रक्षा भी करता है. पुराने समय में इसके सदस्यों के लिए वेद, मंत्र आदि समझने के साथ शारीरिक कसरत और अस्त्र-शस्त्र सीखना भी अनिवार्य था. अखाड़े के संत मानते थे कि रामभक्तों की रक्षा करना उनका धर्म है. तलवार, तीर-धनुष और कुश्ती चलाना अखाड़े के संत जानते हैं. 

 

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