अब नानगराम (Nanagaram) को न्याय दिलाने के लिए कॉलोनीवासी साथ खडे़ हैं.
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Jaipur: पूरी जिंदगी मेहनत कर एक आशियाना बनाया लेकिन उम्र के नौवें दशक में अपनों ने ही शातिराना चाल चलते हुए पहले मकान (Home) का पट्टा चुराया, फिर उसके आधा पर फर्जी मुख्तयारनामा तैयार करवाकर बेचान कर दिया. जालसाजी का यह खेल यहीं नहीं रुका, खरीदार ने इस पर 3 करोड़ 25 लाख रुपये का बैंक (Bank) से ऋण भी ले लिया.
3 सितंबर, 2021 को कुछ लोग पुलिस जाब्ते के साथ आए और परिवादी का सामान फेंक कर उसे बाहर निकालकर बेदखल कर दिया. इसके बाद से यह बुजुर्ग अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लिए हुए है. अब नानगराम (Nanagaram) को न्याय दिलाने के लिए कॉलोनीवासी साथ खडे़ हैं.
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90 वर्षीय नानगराम सोनी की र्दनाक दास्तां
ये दर्दनाक दास्तां मकान नंबर 32 ए. केशव नगर सिविल लाइंस निवासी 90 वर्षीय नानगराम सोनी की है. पूरी जिंदगी मेहनत कर सिविल लाइन स्थित केशव नगर में एक आशियाना बनाया, लेकिन उम्र के नौवें दशक में अपनों ने ही शातिराना चाल चलते हुए पहले मकान का पट्टा चुराकर नानगराम को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया. संपत्ति के असली मालिक ने जिस भूखंड का किसी को कोई बेचान नहीं किया वह दर-दर भटक रहा है. और उसके मकान के सभी मूल दस्तावेज आज भी उसके पास है. इसके बावजूद बैंक ने 25 अक्टूबर, 2021 को दोपहर 12 से 1 बजे के बीच मकान की नीलामी (auction) का विवरण जारी करते हुए इलाके में लिखित पम्पलेट बंटवा दिए हैं.
पीड़ित नानगराम का क्या है आरोप
अब ऐसे में अशक्त नानगराम के मानसिक और शारीरिक संताप को सिर्फ महसूस किया जा सकता है. पीड़ित नानगराम का आरोप है कि बढ़ती उम्र के कारण कम सुनाई देने और कम दिखाई देने का अनुचित लाभ उठाकर आरोपी राजकुमार (Rajkumar) और उसकी पत्नी प्रेमलता सोनी ने मकान का मूल पट्टा-नक्शा चोरी कर लिया. इन दस्तावेजों (documents) के आधार पर कूटरचित साक्ष्यों से आरोपी दंपती ने फर्जी मुख्तयारनामा तैयार करवाया.
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नानगराम ने क्या बताया
इसमें अंगूठा निशानी लगवाने के लिए नानगराम के स्थान पर फर्जी व्यक्ति को नानगराम बनाकर उप पंजीयक जयपुर प्रथम के यहां फर्जी अंगूठा और फोटो लगाकर इसे रजिस्टर्ड करवा लिया. नानगराम ने बताया की अपनी स्वअर्जित आय से 25 अप्रैल, 1966 को उक्त भूखंड (plot) खरीदा था. जिस पर तामीरात करवाकर वह अपनी पत्नी के साथ रह रहा था. नाऔलाद वृद्ध की पत्नी का देहांत हो जाने के कारण एकाकी नानगराम का चचेरा भाई मिथलेश उर्फ राजकुमार सोनी उर्फ राजू उसके पास रह रहा था.
अपने आशियाने से बेदखल दुखी पीडित बुजुर्ग नानगराम अब तक यह नहीं समझ पा रहे हैं कि सरकारी अधिकारियों (Government officials) ने बिना मौका तस्दीक किए और मकान के असली मालिक का सत्यापन किए बिना कैसे मुख्तारनामा रजिस्टर्ड कर दिया. जबकि उसने कभी किसी को गोद नहीं लिया. ऐसे में सरकारी तंत्र की इस खेल में मिलीभगत की बू साफ-साफ नजर आती है. लेकिन अफसोसजनक यह है कि सरकारी अधिकारी इस दुखियारे की बदहाली पर कार्रवाई का मरहम लगाने के बजाए आरोपियों पर अपनी नजर-ए-इनायत किए हुए हैं.
इसका प्रमाण है मिल्कीयत के फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेज बनवाकर इसको रजिस्टर्ड करते समय जिम्मेदार अफसर ने यह तस्दीक नहीं की कि क्या जिसका फोटो और अंगूठा निशानी करवाई जा रही है वहीं, असली मालिक है या नहीं. फिर सुनियोजित षड्यंत्र के तहत वृद्ध का आशियाना अवैध रूप से खरीदने वाले मुकदमे के आरोपी रमेशचंद मीणा (Rameshchand Meena) को 3 करोड़ 25 लाख की राशि का ऋण (Loan) देने वाले बैंक अफसरों (bank officers) ने मौके पर आकर यह जानने की जहमत नहीं उठाई कि मकान का असली मालिक कौन है और ऋणशुदा भूखंड पर कौन रह रहा है. साथ ही पेश किए गए दस्तावेज असली भी है या नहीं. इस धोखाधड़ी और षड्यंत्रपूर्वक जालसाजी के शिकार पीड़ित वृद्ध ने 29 सितंबर को सोडाला थाने में मुकदमा भी दर्ज करवाया, लेकिन कार्रवाई के नाम पुलिस (Police) भी मौन साधे हुए है. ऐसे में न्याय की गुहार करने यह असहाय बुजुर्ग कहां जाए.
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एडवोकेट यूदिष्ठर रत्नू उनको न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे हैं केस
बहरहाल, नानगराम की दयनीय हालत देखकर सामने रहने वाले एडवोकेट यूदिष्ठर रत्नू (Advocate Yudishthar Ratnu) उनको न्याय दिलाने के लिए केस लड़ रहे हैं. साथ में कॉलोनीवासी भी नानगराम के साथ खडे़ हैं. उनका कहना हैं की सरकारी तंत्र की लापरवाही और मिलीभगत के बिना कुछ संभव नहीं हैं. लेकिन अपने लोभ-स्वार्थ के कारण पूरा रैकेट बनाकर सरकारी तंत्र की कृपा से एक बूढ़े लाचार को दर-दर का भिखारी बना देने वाले आरोपियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं होना प्रशासन के संवेदनशील होने के दावों पर बड़े सवालिया निशान खड़े कर रहा है.
Report- Aanoop Sharma