चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी दोनों ही तिथियों पर देवी शीतलादेवी शीतला माता की पूजा होती है. आज यानि की 14 मार्च 2023 को शीतला सप्तमी (Sheetala Saptami 2023) है और शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami 2023) कल यानि की 15 मार्च, बुधवार को मनायी जाएगी. शीतला माता के इस पर्व को बसौड़ा, बसियौरा और बसोरा भी कहते हैं. मान्यता है कि देवी शीतला की पूजा से चैचक, खसरा जैसे रोग नहीं होते हैं
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Sheetala Mata Puja 2023 : चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी दोनों ही तिथियों पर देवी शीतलादेवी शीतला माता की पूजा होती है. आज यानि की 14 मार्च 2023 को शीतला सप्तमी (Sheetala Saptami 2023) है और शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami 2023) कल यानि की 15 मार्च, बुधवार को मनायी जाएगी. शीतला माता के इस पर्व को बसौड़ा, बसियौरा और बसोरा भी कहते हैं. मान्यता है कि देवी शीतला की पूजा से चैचक, खसरा जैसे रोग नहीं होते हैं
हिंदू पंचांग के अनुसार, आज शीतला सप्तमी 14 मार्च, मंगलवार को दिन भर रहेगी. आज सूर्योदय सर्वार्थसिद्धि योग में हुआ है. जो सुबह 06.40 तक रहा. इसके बाद सिद्धि योग दोपहर 03.13 से शुरू होकर रात तक रहेगा. वहीं कल यानि की 15 मार्च 2023 को सिद्धि योग दोपहर 12.52 तक रहेगा. साथ ही श्रीवत्स योग भी बना रहेगा.
देवी शीतला की पूजाविधि (Sheetala Puja Vidhi)
सप्तमी या अष्टमी जिस भी दिन महिलाएं व्रत करती है उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और पूजा में चढ़ाने वाली चीजें पहले दिन ही बना ली जाती है.
स्नान आदि के बाद लिया जाने वाला संकल्प- मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धियेशीतला सप्तमी/अष्टमी व्रतं करिष्ये
देवी शीतला के मंदिर में पूजा करें और (बासी) खाद्य पदार्थ, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाकर परिक्रमा करें.
याद रहें कि देवी शीतला की पूजा में दीपक और अगरबत्ती नहीं जलाई जाती, सिर्फ सामने रख दिया जाता है. मां की पूजा में अग्नि का प्रयोग वर्जित है.
शीतला पूजा की कथा (Sheetala Mata Ki Katha)
किसी गांव में एक महिला रहा करती थी. जो देवी शीतला की भक्त थी और रोज उनकी पूजा करती थी. लेकिन उस गांव में और कोई भी देवी शीतला की पूजा नहीं करता था. एक दिन उस गांव में आग लग गई, जिसमें गांव की सभी झोपडिय़ां भस्म हो गयी, लेकिन उस महिला की झोपड़ी सुरक्षित रही, जो देवी शीतला देवी की पूजा करती रहती थी. जब लोगों ने इसका कारण पूछा तो उस महिला ने ये बताया कि मैं माता शीतला की पूजा करती हूं ये ही वजह है कि मेरा घर आग से सुरक्षित है. जिसके बाद महिला की बात सुनकर सभी लोग शीतला माता की पूजा करने लगे.
देवी शीतला की आरती (Devi Sheetala Ki Arti)
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता । आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता ॥ ॐ जय शीतला माता..॥
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भाता । ऋद्धि-सिद्धि चँवर ढुलावें, जगमग छवि छाता ॥
ॐ जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता । विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता । वेद पुराण वरणत, पार नहीं पाता ॥ ॐ जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता ।
इन्द्र मृदङ्ग बजावत, चन्द्र वीणा हाथा । सूरज ताल बजावै, नारद मुनि गाता ॥ ॐ जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता ।
घण्टा शङ्ख शहनाई, बाजै मन भाता ।करै भक्तजन आरती, लखि लखि हर्षाता ॥ ॐ जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता ।
ब्रह्म रूप वरदानी, तुही तीन काल ज्ञाता । भक्तन को सुख देती, मातु पिता भ्राता ॥ ॐ जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता ।
जो जन ध्यान लगावे, प्रेम शक्ति पाता । सकल मनोरथ पावे, भवनिधि तर जाता ॥ ॐ जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता ।
रोगों से जो पीड़ित कोई, शरण तेरी आता । कोढ़ी पावे निर्मल काया, अन्ध नेत्र पाता ॥ ॐ जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता ।
बांझ पुत्र को पावे, दारिद्र कट जाता । ताको भजै जो नाहीं, सिर धुनि पछताता ॥ ॐ जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता ।
शीतल करती जननी, तू ही है जग त्राता । उत्पत्ति व्याधि बिनाशन, तू सब की घाता ॥ ॐ जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता ।
दास विचित्र कर जोड़े, सुन मेरी माता । भक्ति आपनी दीजै, और न कुछ भाता ॥ जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता ॥ ॐ जय शीतला माता..॥
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