सरकारी नौकरी में स्पोर्ट्स कोटे का खेल, योग्य खिलाड़ियों को ही नहीं मिल पा रहा लाभ
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सरकारी नौकरी में स्पोर्ट्स कोटे का खेल, योग्य खिलाड़ियों को ही नहीं मिल पा रहा लाभ

प्रदेश सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इंडियन ओलम्पिक एसोसिएशन में शामिल 35 खेलों में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों को ही सरकार नौकरी नौकरी में 2 फीसदी आरक्षण का लाभ देने के योग्य माना गया लेकिन प्रदेश के खिलाड़ियों पर लापरवाही के नियम ऐसे भारी पड़ रहे हैं कि वह सरकारी नौकरियों का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं.

सरकारी नौकरी में स्पोर्ट्स कोटे का खेल, योग्य खिलाड़ियों को ही नहीं मिल पा रहा लाभ

Jaipur: 21 नवम्बर 2019 का वो दिन, जब सरकार की ओर से खेलों के माध्यम से प्रदेश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों के लिए प्रदेश सरकार की ओर से सरकारी भर्तियों में 2 फीसदी कोटा आरक्षित किया गया. सरकार के इस फैसले से खेलों में प्रदेश का नाम रोशन करने खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी का लाभ मिलने की उम्मीद जगी लेकिन सरकारी आदेशों पर लापरवाही की ऐसी दीमक चढ़ी कि सरकारी नौकरियों में स्पोर्ट्स कोटे का लाभ योग्य और वास्तविक खिलाड़ियों को ही नहीं मिल पा रहा है.

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प्रदेश सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इंडियन ओलम्पिक एसोसिएशन में शामिल 35 खेलों में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों को ही सरकार नौकरी नौकरी में 2 फीसदी आरक्षण का लाभ देने के योग्य माना गया लेकिन प्रदेश के खिलाड़ियों पर लापरवाही के नियम ऐसे भारी पड़ रहे हैं कि वह सरकारी नौकरियों का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं.

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प्रदेश सरकार के नियम के अनुसार, उत्कृष्ट खिलाड़ी से ऐसे खिलाड़ी अभिप्रेत है, जो राजस्थान के मूल निवासी हैं और जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति, एशिया ओलंपिक परिषद, दक्षिण एशियन ओलंपिक परिषद, राष्ट्रमंडल खेल परिसंघ, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति से संबंध अंतरराष्ट्रीय खेल परिसंघ, एशिया ओलंपिक परिषद से संबंध एशियन खेल परिसंघ, अंतरराष्ट्रीय स्कूल खेल परिसंघ, एशियन स्कूल खेल परिसंघ, या फिर स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित किसी खेलकूद के किसी स्कूल नेशनल गेम में व्यक्तिगत या टीम स्पर्धा में मेडल जीता हो  या फिर इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन या इससे संबंधित नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन द्वारा आयोजित किसी खेल कूद के किसी राष्ट्रीय टूर्नामेंट, चैंपियनशिप में व्यक्तिगत या टीम स्पर्धा में मेडल जीता हो. 

या फिर एसोसिएशन आफ इंडियन यूनिवर्सिटीज द्वारा आयोजित ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी के किसी खेलकूद में व्यक्तिगत या टीम स्पर्धा में मेडल जीता हो या फिर इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन, पैरा ओलंपिक कमेटी ऑफ इंडिया या इससे संबद्ध नेशनल स्पोर्ट्स नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन द्वारा आयोजित खेलकूद की नेशनल चैंपियनशिप, पैरा नेशनल चैंपियनशिप या नेशनल गेम्स नेशनल पैरा गेम्स में में व्यक्तिगत या टीम स्पर्धा में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया हो शामिल किया गया है.

खिलाड़ियों के सामने यह है समस्या
प्रदेश के खिलाड़ियों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरकार द्वारा जो आदेश निकाले गए हैं उनको कहीं ना कहीं प्रशासनिक लापरवाही का सामना करना पड़ रहा है. इसके चलते लिस्ट में शामिल किए गए खेलों के अलावा भी कई ऐसे खेल हैं, जो आईओए से एफिलेटेड नहीं होने के बावजूद भी सरकारी नौकरियों में परीक्षार्थियों को इसका लाभ दिया जा रहा है. इनमें से अगर पिछली भर्तियों की बात की जाए तो कुछ खेल ऐसे हैं जिनमें पेंचक सिल्ट, किक बॉक्सिंग, शूटिंग बॉल, कूडो जैसे खेलों के खिलाड़ियों को लाभ मिल रहा है.

खिलाड़ी दो काम एक साथ कैसे कर सकता
पिछले दिनों आयोजित हुई पटवारी भर्ती परीक्षा में 50 फीसदी अंक हासिल करने वाले कौशल सैनी दो गुना की वरीयता सूची में शामिल नहीं हो पाए हैं. कौशल सैनी का कहना है कि "एक खिलाड़ी सिर्फ अपने खेल पर ध्यान रखता है या तो एक खिलाड़ी खेल ही सकता है या पढ़ सकता है, ऐसे परीक्षाओं में हमारे अंक ज्यादा नहीं आ पाते हैं जबकि कुछ खिलाड़ी एक खेल में खेल कर सर्टिफिकेट और मैडल हासिल करके प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होते हैं और अच्छे अंक लाने के बाद मेरिट लिस्ट में शामिल हो जाते हैं. 50 फीसदी अंक लाने के बाद भी 2 गुना की सूची में शामिल तक नहीं हो पाया हूं. इसलिए सरकार से मांग है कि 2 फीसदी आरक्षण में शामिल होने वाले प्रत्येक खिलाड़ी को दस्तावेज सत्यापन के लिए सूची में शामिल किया जाना चाहिए. इसके साथ ही सरकार द्वारा जिन खेलों को दो फीसदी आरक्षण की सूची में रखा गया है. उसमें योग्य खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी का लाभ मिलना चाहिए. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते जो योग्य खिलाड़ी हैं उनको सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है."

योग्य खिलाड़ी दस्तावेज सत्यापन में भी शामिल नहीं हो पाते
खेल कोटे से 2 फ़ीसदी आरक्षण के तहत दी जाने वाली सरकारी नौकरियों की कहानी सिर्फ कौशल सैनी की नहीं है. सैकड़ों ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनके यही कहानी है. इस पीड़ा का सामना कर रहे खिलाड़ियों का कहना है कि "सरकार द्वारा निकाले जाने वाली हर भर्ती में 2 फ़ीसदी आरक्षण खेल कोटे से दिया गया है और और भर्तियों में 2 से 5 गुना अभ्यर्थियों को भी दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया जाता है. अगर किसी भर्ती में 200 से ज्यादा खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया है तो ऐसे में महज 40-50 खिलाड़ियों को ही दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया जाता है, जिसके चलते योग्य खिलाड़ी दस्तावेज सत्यापन में भी शामिल नहीं हो पाते हैं और जो योग्य खिलाड़ी नहीं है उनको सरकारी नौकरी का फायदा मिल जाता है. सरकार को नियमों का सख्ती से पालन करवाते हुए सभी खिलाड़ियों को जहां दस्तावेज सत्यापन में शामिल करवाना चाहिए तो वही सरकारी दस्तावेज में शामिल खेलों में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों को भी सरकारी नौकरी का लाभ देना चाहिए."

जोधपुर हाईकोर्ट से खिलाड़ियों के लिए राहत की खबर 
बहरहाल, जहां एक और खिलाड़ी अपने हक के लिए संघर्ष करते हुए नजर आ रहे हैं तो वहीं बीते दिन जोधपुर हाईकोर्ट से इन खिलाड़ियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर भी निकल कर आई है. आयुर्वेद भर्ती में खेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त शूटिंग बॉल खेल के आधार पर एक खिलाड़ी द्वारा नौकरी का दावा पेश किया गया था लेकिन हाई कोर्ट द्वारा सरकारी परिपत्र के आधार पर उसको नौकरी के योग्य नहीं माना. ऐसे में प्रदेश के खिलाड़ियों ने अपनी मांग को तेज कर दिया है. साथ ही जल्द से जल्द सरकार की ओर से राहत की उम्मीद भरी नजरों से ही देखा जा रहा है क्योंकि चाहे रीट शिक्षक भर्ती हो या फिर पटवारी भर्ती परीक्षा इन भर्तियों में भी योग्य और उत्कृष्ट खिलाड़ियों को इस बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

 

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