Swachh Survekshan 2022: अब स्वच्छता के साथ-साथ कोरोना मैनेजमेंट के मापदंड पर भी मिलेंगे अंक
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Swachh Survekshan 2022: अब स्वच्छता के साथ-साथ कोरोना मैनेजमेंट के मापदंड पर भी मिलेंगे अंक

2019 के सर्वेक्षण में जयपुर की 44वीं और 2020 में 28वीं रैंक थी.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Jaipur: स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 (Swachh Survekshan 2022) की तैयारी एक बार फिर शुरू कर दी गई हैं. इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण 6 हजार से बढकर 7500 अंक का होगा. स्वच्छ सर्वेक्षण-2022 में भी कोरोना का असर दिखेगा. निकायों की दक्षता को कोरोना मैनेजमेंट (Corona Management) के मापदंड पर भी आंका जाएगा. इसके लिए 200 नंबर तय किए जाएंगे. 2019 के सर्वेक्षण में जयपुर की 44वीं और 2020 में 28वीं रैंक थी. 2021 की स्वच्छता रैकिंग का इंतजार है.

भले ही स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 का परिणाम अभी नहीं आया है. लेकिन स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 के लिए अब निगम ने तैयारी शुरू कर दी है. हालांकि निगम के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण की राह आसान नहीं है, क्योंकि पिछले स्वच्छ सर्वेक्षण के मानक ही अभी पूरे नहीं हो सके हैं. जबकि नई गाइड लाइन (Guidelines) में सीवेज प्रबंधन, कूड़ा प्रबंधन और उसका निस्तारण शत-प्रतिशत करना है. सर्वे (Survey) में सबसे बड़ा बदलाव अंकों में किया गया है. 

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पहली बार सर्वे में साफ हवा और सफाई मित्रों की सुरक्षा को शामिल किया गया है
2021 का सर्वे जहां 6000 अंकों के हिसाब से किया गया था, वहीं 2022 का स्वच्छ सर्वेक्षण 7500 अंकों का होगा. पहली बार सर्वे में साफ हवा और सफाई मित्रों की सुरक्षा को शामिल किया गया है. साथ में कोरोना मैनेजमेंट के मापदंड पर भी अंक मिलेंगे. सर्वे में कूड़ा प्रोसेसिंग, लिफ्टिंग, सेग्रीगेशन, सफाई, सिंगल यूज प्लास्टिक बैन व सीएंडडी (कचरे को अलग-अलग करने व निस्तारण करने) प्लांट के लिए कुल 3000 अंक निर्धारित हैं. सर्वे में स्वच्छता के कार्यों का आंकलन दैनिक और मासिक रिपोर्ट के आधार पर डिजिटली होगा. इसके लिए निकायों को दस्तावेजों और कागजों का ढेर अपलोड करने से निजात दी गई है. 

मानिटरिंग और रिकार्ड भेजने की प्रक्रिया डिजिटली ही करना होगी.
अब मानिटरिंग और रिकार्ड (Record) भेजने की प्रक्रिया डिजिटली ही करना होगी. नगर निगम के अफसरों की माने तो क्लीन एयर के लिए सर्वे में 150 अंक दिए गए हैं. वहीं कोरोना मैनेजमेंट को सिटीजन फीडबैक सेक्शन में शामिल किया है. इसे कोविड-19 रिस्पांस नाम दिया है. इसके 200 अंक होंगे. नई गाइडलाइन में सर्विस लेवल प्रोग्रेस (डिजिटल ट्रैकिंग और सफाई मित्र सुरक्षा) के लिए 40 प्रतिशत, सिटीजन वाइस (आपदा और महामारी से निपटने की तैयारी और सिटीजन वाइस) को 30 प्रतिशत और सर्टिफिकेशन को 30 प्रतिशत अंकों में बांटा गया है.

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सुरक्षा उपकरणों को उपलब्ध कराने के नाम पर केवल आश्वासन दिए जा रहे हैं.
डिजिटल ट्रेकिंग, सफाई व्यवस्था, स्वच्छता ऐप, कचरा लिफ्टिंग और सफाई मित्र सुरक्षा के इंतजाम के 900 अंक फीडबैक में रखे गए हैं. मगर जयपुर के दोनों नगर निगम इस मामले में फेल हैं. यहां बरसों से कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरणों को उपलब्ध कराने के नाम पर केवल आश्वासन दिए जा रहे हैं. ना कर्मचारियों को गम बूट दिए गए हैं और ना ही दस्ताने और अन्य सुरक्षा उपकरण. सर्वेक्षण में सफाई कर्मियों के लिए महामारी बचाव के लिए वैक्सीनेशन, पीपीई किट, मास्क या अन्य सुरक्षा संसाधनों के इंतजाम, स्वास्थ्य जांच, बीमा आदि बातें परखी जाएंगी. 

डिजिटल मानिटरिंग (Digital Monitoring) के तहत फीडबैक, मानिटरिंग, पब्लिक-कम्युनिटी टायलेट और सालिड वेस्ट मैनेजमेंट की मानिटरिंग अब कम्प्यूटर के जरिए होगी. इस बार सर्विस लेवल प्रोग्रेस के अंक 2400 से बढ़ाकर 3 हजार, सिटी वॉयस और सर्टिफिकेशन के अंक 1800—1800 से बढ़ाकर 2250 किए गए हैं.

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नए सर्वे में इस तरह होगा अंकों का निर्धारण
सर्विस लेवल प्रोसेस-3000 अंक- सर्विस लेवल प्रोग्रेस में 40% यानी 3000 अंक रखे गए हैं. इसके तहत देखा जाएगा कि नगर निगम ने डिजिटल ट्रेकिंग लागू किया या नहीं. इसमें सफाई संबंधी व्यवस्था, स्वच्छता ऐप और सफाई मित्र सुरक्षा को भी जोड़ा है. इसके अलावा कूड़ा लिफ्टिंग की भी पड़ताल होगी.

सिटीजन वाइस पर 2250 अंक- सिटीजन वॉइस 30% यानी 2250 अंक का होगा. इसमें आपदा, महामारी-अन्य विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए किए इंतजामों की समीक्षा होगी. सीनियर सिटीजन की राय ली जाएगी. 
सर्टिफिकेशन के 2250 अंक- सर्टिफिकेशन 30% यानी 2250 अंक का होगा. इसमें ओडीएफ व सर्टिफिकेशन को देखा जाएगा. यानी खुले में शौच रोकने की व्यवस्था और नगर निगम की ओर से सफाई संबंधी कार्यों में सुधार के लिए किए गए प्रयासों को शामिल किया हैं.

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इन विशेषताओं पर ज्यादा ध्यान
-स्वच्छ परिवर्तन के तहत वार्डों को रैंकिंग-मान्यता देना.
-दक्षता और पारदर्शिता के लिए शुरू से अंत तक डिजिटल निगरानी.
-खुले में पेशाब करने से रोकने के लिए स्वच्छता एप के माध्यम से येलो स्पॉट की पहचान.
-निकायों के लिए हेल्पलाइन नंबर देना। सामाजिक समारोहों में कचरे को रोकने के लिए जीरो वेस्ट वेडिंग और इंवेंट को बढ़ावा देना.
-संपत्ति, लोकेशन को जियो टैग करना. कोरोना गतिविधियां व फ्रंटलाइन वर्कर पर ध्यान.
-जनप्रतिनिधियों, नागरिकों को पूरे मूवमेंट में जोड़ना.

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बहरहाल, स्वच्छता अभियान (Swatchta Abhiyan) की रफ्तार बनाए रखने के लिए वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 शुरू हो गया है. सर्वे में सीनियर सिटीजन और यूथ की बात को भी प्राथमिकता दी जाएगी और शहरी स्वच्छता को बनाए रखने की दिशा में उनकी भागीदारी को मजबूत बनाया जाएगा. इसके अलावा पहली बार जिला स्तरीय रैंकिंग की जाएगी. सर्वेक्षण में छोटे शहरों और कस्बों को भी शामिल किया गया है.

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