यहां बीजेपी-कांग्रेस ने निभाई पुरानी परंपरा, आमने-सामने फहराया तिरंगा...
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यहां बीजेपी-कांग्रेस ने निभाई पुरानी परंपरा, आमने-सामने फहराया तिरंगा...

गणतंत्र दिवस पर बरसों से चली आ रह परंपरा शुक्रवार सुबह जयपुर के बड़ी चौपड़ पर एक बार फिर देखने को मिली.

  • जयपुर में सत्ताधारी और विपक्षी दल परंपरानुसार एक ही जगह झंडारोहण करते हैं
  • बरसों तक राज्य के मुख्यमंत्री ही सत्तापक्ष की ओर से यहां झंडा फहराते रहे हैं
  • कांग्रेस की ओर से झंडारोहण की परंपरा नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने निभाई

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गणतंत्र दिवस और स्वाधीनता दिवस के अवसर पर राजधानी जयपुर का ह्दय स्थल कहा जाने वाला बड़ी चौपड़ अनूठी सियासत का साक्षी बनता है.

योगेश शर्मा, जयपुर: गणतंत्र दिवस पर बरसों से चली आ रह परंपरा शुक्रवार सुबह जयपुर के बड़ी चौपड़ पर एक बार फिर देखने को मिली. यह अलग बात है कि इस बार बीजेपी की ओर से निभाई जाने वाली परंपरा में कुछ परिवर्तन नजर आया. इस साल पहली बार बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से झंडा नहीं फहराया गया बल्कि जयपुर जिला अध्यक्ष को यह गौरव मिला. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी चुनावी सक्रियता के वजह से आज बड़ी चौपड़ पर नहीं आ पाए. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी संभाग कार्यक्रमों के तहत भरतपुर में हैं. ऐसे में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की अनुपस्थिति में जयपुर के जिला अध्यक्ष संजय जैन ने तिरंगा फहराया. वहीं कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने बड़ी चौपड़ पर झंडारोहण किया.

जयपुर में इस खास अंदाज के साथ निभाई जाती है परंपरा
आपको बता दें कि, चाहे सुखाडिया का सियासी युग हो या फिर शेखावत का गणतंत्र दिवस और स्वाधीनता दिवस के अवसर पर राजधानी जयपुर का ह्दय स्थल कहा जाने वाला बड़ी चौपड़ अनूठी सियासत का साक्षी बनता है. यहां सत्ताधारी और विपक्षी दल परंपरानुसार झंडारोहण करते हैं. करीब 60 सालों से यह परंपरा चली आ रही है. पहले झंडारोहण सत्तापक्ष की ओर से होता है और ठीक उसके बाद विपक्षी दल के नेता राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं. इस आयोजन की खास बात यह है कि बड़ी चौपड़ पर झंडारोहण कार्यक्रम का आयोजन दोनों दलों की जिला यूनिट करती हैं.

यहां तिरंगा फहराने का है 'कोड ऑफ कंडक्ट'
गौरतलब है कि राजस्थान में हमेशा दो ही दल प्रमुख रहे बीजेपी और कांग्रेस. अभी बीजेपी की सरकार है और कांग्रेस विपक्ष में. दोनों ही दल अलग दिशाओं में तिरंगा फहराते हैं. मंच भी दोनों के समीप ही लगते हैं. लेकिन, आज के दिन आपसी नाराजगी नहीं होती बल्कि दोनों दलों के नेता और कार्यकर्ता मिलकर एक दूसरे को जय हिंद कहते नजर आते हैं. यहां तिरंगा फहराने का 'कोड ऑफ कंडक्ट' निर्धारित है. पहले सत्ता पक्ष और कुछ देर बाद ही विपक्ष झंडा फहराता है. सत्तापक्ष के मंच का मुंह रामगंज चौपड़ की ओर देखता होता है, वहीं विपक्षी पार्टी के मंच का मुंह सांगानेरी गेट की ओर देखता हुआ रहता है.

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इस बार बीजेपी ने बदली परंपरा
बरसों तक राज्य के मुख्यमंत्री ही सत्तापक्ष की ओर से यहां झंडा फहराते रहे हैं वहीं विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष. लेकिन, वसुंधरा राजे सरकार में संभागवार स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस मनाया जाता है लिहाजा बीजेपी शासन में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष झंडारोहण करते हैं. हालांकि, इस बार उपचुनावों की व्यस्तता के कारण बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर बड़ी चौपड़ नहीं आ पाए ऐसे में यह गौरव जयपुर बीजेपी के जिला अध्यक्ष को मिला. इस बार जयपुर बीजेपी जिला अध्यक्ष संजय जैन ने झंडा फहराया. मेयर अशोक लाहोटी, डिप्टी मेयर मनोज भारद्धाज और बीजेपी के अन्य नेता झंडारोहण के साक्षी बने.

नहीं पहुंचे सचिन पायलट
कांग्रेस की ओर से झंडारोहण की परंपरा नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने निभाई. इस अवसर प्रताप सिंह खाचरियावास, बृजकिशोर शर्मा, अर्चना शर्मा, राजीव अरोड़ा, महेश शर्मा समेत अन्य प्रमुख नेता मौजूद रहे. उपचुनावों में सक्रियता के कारण पीसीसी चीफ सचिन पायलट नहीं आ पाए. दोनों दलों की ओर से सियासी संदेश भी यहां से दिया गया.

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कौमी एकता का संदेश
बड़ी चौपड़ से कहे गए शब्दों का सियासी महत्व बरसों से राजस्थान की राजधानी के लोग समझ रहे हैं. इसके बावजूद छोटी काशी के दिल में बसे बड़ी चौपड़ पर लहराता तिरंगा कौमी एकता का संदेश देता है. यही आजादी की मूल भावना है. जिसे दलों की दीवारों को तोड़कर जयपुर का बड़ी चौपड़ बरसों से निभा रहा है.

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