देश में सर्वसम्मति से संभव है राष्ट्रपति पद का चुनाव, जानें क्या है पीछे का समीकरण
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1263518

देश में सर्वसम्मति से संभव है राष्ट्रपति पद का चुनाव, जानें क्या है पीछे का समीकरण

आज देश में 16वें राष्ट्रपति पद के लिए मतदान हुआ. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज मतदान के दौरान एक बयान देकर नई बहस छेड़ दी.

देश में सर्वसम्मति से संभव है राष्ट्रपति पद का चुनाव, जानें क्या है पीछे का समीकरण

 Jaipur: आज देश में 16वें राष्ट्रपति पद के लिए मतदान हुआ. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज मतदान के दौरान एक बयान देकर नई बहस छेड़ दी. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अगर NDA चाहता तो विपक्ष से बात कर सकता था और सर्वसम्मति से राष्ट्रपति पद का निर्विरोध चयन किया जा सकता था.

अशोक गहलोत की बात अपनी जगह ठीक है, लेकिन सवाल ये कि क्या राष्ट्रपति पद के लिए सर्वसम्मति बनायी जा सकती है. क्या सभी दल किसी एक नाम को लेकर सहमत हो सकते हैं. दरअसल ये सवाल इसलिए है क्योंकि देश में अब तक केवल एक बार ही राष्ट्रपति पद के लिए निर्विरोध निर्वाचन हुआ है.

यह भी पढ़ें: राष्ट्रपति चुनाव: कांग्रेस और भाजपा के अपने-अपने दावे, शाम 5 बजे संपन्न हुआ मतदान

देश के इतिहास में केवल नीलम संजीव रेड्डी एकमात्र राष्ट्रपति रहे हैं, जो निर्विरोध चुने गए. हालांकि, उनके निर्विरोध चुने जाने की कहानी बेहद दिलचस्प है. 11 फरवरी, 1977 को देश के छठे राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने अंतिम सांस ली. इससे ठीक एक दिन पहले आपातकाल के दो साल बाद लोकसभा चुनाव संपन्न हुए थे. तत्कालीन उपराष्ट्रपति बीडी जत्ती को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया. कुछ माह बाद यानी जून-जुलाई में 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हुए.

36 उम्मीदवारों का नामांकन अलग-अलग आधारों पर खारिज हुआ था

इसी दौरान चार जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना जारी की गई. 1969 में सत्ताधारी कांग्रेस के आधिकारिक प्रत्याशी रेड्डी को वीवी गिरि ने हरा दिया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पार्टी के भीतर अपने विरोधियों को किनारे लगाने के लिए सांसदों व विधायकों से विवेक से वोट देने की अपील की थी. नीलम संजीव रेड्डी सहित 37 उम्मीदवारों ने राष्ट्रपति बनने के लिए नामांकन पत्र भरा, जिनमें से 36 का नामांकन अलग-अलग आधारों पर खारिज हो गया. आखिर में रेड्डी अकेले उम्मीदवार बचे. 756 सांसदों सहित देश के 22 राज्यों की विधानसभाओं के विधायकों ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट नहीं दिया, क्योंकि आखिर में रेड्डी चुनाव में अकेले उम्मीदवार बचे थे. देश को सातवें राष्ट्रपति के तौर पर नीलम संजीव रेड्डी मिले. जो स्वतंत्र भारत के इतिहास में सर्वोच्च पद के लिए निर्विरोध चुने गए इकलौते शख्स थे.

यह भी पढ़ें: आम आदमी पार्टी में सीएम चेहरे पर सुखवाल बोले- चित्तौड़गढ़ से निकल सकता है कोई 'लाल'

पहले राष्ट्रपति चुनाव में पांच उम्मीदवार थे मैदान में

1952 में पहले राष्ट्रपति चुनाव में पांच उम्मीदवार थे, जिनमें से सबसे आखिर में रहे उम्मीदवार को महज 533 वोट मिले थे. इसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने जीत हासिल की थी. 1957 में दूसरे चुनाव में तीन उम्मीदवार थे. यह चुनाव भी डॉ. प्रसाद ने जीता. तीसरे चुनाव में तीन प्रत्याशी थे, जिनमें से सर्वपल्ली राधाकृष्णन को जीत हासिल हुई. 1967 में चौथे चुनाव में 17 उम्मीदवार थे, जिनमें से नौ को एक भी मत नहीं मिला. इस चुनाव में जाकिर हुसैन को 4.7 लाख से अधिक मत मिले थे.

दरअसल, 1987 में नौवें राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्याशी मिथिलेश कुमार सिन्हा ने निर्वाचन आयोग से अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव की तर्ज पर उम्मीदवारों को आकाशवाणी और दूरदर्शन के जरिये लोगों के सामने अपने विचार रखने का अनुरोध किया, हालांकि इसे खारिज कर दिया गया.

Trending news