प्रभारी रंधावा की घोषणा के बाद भी नहीं हुई कांग्रेस संगठनात्मक नियुक्तियां, लापरवाही पड़ ना जाए भारी!
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प्रभारी रंधावा की घोषणा के बाद भी नहीं हुई कांग्रेस संगठनात्मक नियुक्तियां, लापरवाही पड़ ना जाए भारी!

कांग्रेस प्रदेश प्रभारी रंधावा के ऐलान के बाद भी संगठनात्मक नियुक्तियां नहीं हो पा रही है. कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने वाले संगठन में नियुक्तियों का इन्तज़ार चुनावी साल में पार्टी के लिए कही भारी ना पड़ जाए. 

प्रभारी रंधावा की घोषणा के बाद भी नहीं हुई कांग्रेस संगठनात्मक नियुक्तियां, लापरवाही पड़ ना जाए भारी!

जयपुर: कांग्रेस में संगठनात्मक नियुक्तियों की डेडलाइन एक बार फिर निकल गई है. राजस्थान के दौरे पर आए प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने 30 दिसम्बर को मीडिया से कहा था कि दो दिन में संगठन में नियुक्तियां हो जाएंगी, लेकिन अभी भी हाल ''नौ दिन चले अढाई कोस'' जैसा ही है. अब सवाल यह उठ रहा है? कि आखिर यह देरी क्यों हो रही है? और सवाल यह भी कि क्या कांग्रेस नेताओं की आपसी गुटबाजी ने संगठन में नियुक्तियों में देरी कराई है? अगर वाकई ऐसा है? तो फिर आपसी होड़ में उलझी कांग्रेस चुनाव के लिए कब तो तैयार होगी और कब अपने प्रतिस्पर्द्धियों से मुकाबले के लिए खड़ी होगी?

चुनावी साल में भारी ना पड़ जाए लापरवाही

किसी भी राजनीतिक दल के लिए सत्ता में आना सर्वोच्च प्राथमिकता होती है. राजस्थान में सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस को भी इस मामले में कोई अपवाद नहीं माना जा सकता. सत्ता हासिल करने के बाद उसे बरकरार रखने की कोशिश भी इन दलों की होती है. लेकिन राजनीति के हुनरबाज नेताओं का मानना है कि इसके लिए संगठन बेहद ज़रूरी होता है. लेकिन राजस्थान कांग्रेस के सामने यही यक्ष प्रश्न है. कांग्रेस के पास संगठन तो है, लेकिन यह वो संगठन नहीं है जिसके दम पर पार्टी को सत्ता तक पहुंचाया जा सके. बार-बार संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर सवाल होते हैं. पिछले दिनों 30 दिसम्बर को भी प्रदेश प्रभारी सुखजिन्दर रंधावा ने दो दिन में नियुक्तियों की बात कही थी.

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रंधावा ने तो दो दिन में नियुक्तियों की बात कह दी, लेकिन अब चार दिन बीतने के बाद भी कांग्रेस के संगठन की शक्ल तय नहीं हो सकी है. पार्टी में एक लाख से ज्यादा पदों पर नियुक्तियां होनी हैं. इसमें संगठन के 42 ज़िलों, 400 ब्लॉक और 2300 मण्डल के अध्यक्षों के साथ ही उनकी कार्यकारिणी भी बननी है. इसके साथ ही विभागों और प्रकोष्ठों में भी हज़ारों की संख्या में पद हैं. यह पद देकर पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर सकती है, लेकिन नियुक्तियों में लगातार हो रही देरी से कार्यकर्ता हैरान हैं.

 प्रभारी के बयान के बाद भी यह देरी क्यों 

संगठन में नियुक्तियों के लिए प्रभारी ने दो दिन की मियाद तय की थी. अब प्रभारी के बयान के बाद भी यह देरी क्यों हो रही है? यह सवाल तो सभी के जेहन में है. इसका जवाब देते हुए पीसीसी के प्रवक्ता आरसी चौधरी कहते हैं कि प्रवक्ता ने पार्टी के प्रमुख नेताओं, पीसीसी पदाधिकारियों और अग्रिम संगठनों से विस्तार से संवाद किया. इसके बाद में दो दिन नये साल की छुट्टी के आ गए थे. आरसी चौधरी कहते हैं कि आज-कल में जल्द ही पीसीसी में नियुक्तियों की घोषणा हो जाएगी. चौधरी ने कहा कि पीसीसी चीफ गोविन्द डोटासरा ने भी सबको आश्वश्त करते हुए कहा कि है? कि जल्द ही ब्लॉक और ज़िलों की टीम तैयार हो जाएगी.

ढाई साल से खाली है संगठन में कई पद

अब प्रभारी के बयान के बाद नये साल की छुट्टी आने का तर्क दिया जा रहा है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि ढाई साल से खाली पड़े संगठन में नियुक्तियों के काम से ज्यादा ज़रूरी नये साल की छुट्टियों का था क्या? सवाल यह भी है कि कहीं कांग्रेस नेताओं की आपसी खिचड़ी के कारण ही संगठनात्मक नियुक्तियां बीरबल की खिचड़ी तो नहीं बन गईं?

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