प्रोटेक्शन अधिकारी शोभा सोनी ने बताया कि अब लोग अनचाहे बच्चों को फेंकते नहीं है. बाल कल्याण समिति परिसर और जवाहिर अस्पताल में बने पालना गृह में लोग बच्चों को पालने में छोड़ चले जाते हैं.
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Jaisalmer: जैसलमेर के राजकीय शिशु गृह में पलने वाले लावारिस नवजात बच्चों को भले ही जन्म देने वाली मां ने आसरा नहीं दिया हो लेकिन यहां इनको आसरा भी मिला और मां का प्यार भी. जैसलमेर के शिशु गृह में साल 2017 के बाद से अब तक 6 बच्चे मिले जिनमें से 3 बच्चों को विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण एजेंसी के सहयोग से परिवार मिल चुका है. वे शिक्षित परिवारों के घर के चिराग बन चुके हैं. जैसलमेर के शिशु गृह में अब महज 2 बच्चे ही रहे हैं, जिन्हें अब नए परिवार का इंतजार है.
दरअसल, जैसलमेर का शिशु गृह इन दिनों लोगों द्वारा त्यागे और फेंके जाने वाले बच्चों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है. पालना गृह और अन्य जगह छोड़े गए या फेंके गए नवजात बच्चों के लिए यहां विशेष तरह की व्यवस्थाएं की गई हैं. शिशु गृह में लगी 6 केयर टेकर यहां आने वाले बच्चों की देखभाल करती है. इन बच्चों का पालन पोषण सरकार के बनाए शिशु गृह में बेहतर तरीके से किया जाता है और इस दौरान कई परिवार इनको गोद ले लेते हैं. जिससे इनका भविष्य सुनहरा हो जाता है. बाल अधिकारिता विभाग के तहत बाल कल्याण समिति परिसर में चलाए जा रहे शिशु गृह में इन दिनों 2 बच्चियां पल रही हैं. इन बिन माता-पिता कि बच्चियों के लिए बेहतरीन व्यवस्थाएं कि गई हैं. केयर टेकर इनके लिए दूध से लेकर, खेलने सोने का पूरा इंतजाम इस तरह से करती हैं ताकि इनको कभी भी ये महसूस ना हो कि ये बिना माता-पिता के जीवन यापन कर रही हैं.
प्रोटेक्शन अधिकारी शोभा सोनी ने बताया कि अब लोग अनचाहे बच्चों को फेंकते नहीं है. बाल कल्याण समिति परिसर और जवाहिर अस्पताल में बने पालना गृह में लोग बच्चों को पालने में छोड़ चले जाते हैं. इसके बाद विभाग इन बच्चों को शिशु गृह में लाता है और यहां उनका पालन-पोषण करता है. सरकारी प्रक्रिया के बाद इच्छुक परिवार इन बच्चों को गोद ले लेते हैं. इस तरह सरकार की बेहतरीन योजना से नवजात बच्चों को सूनसान इलाकों में फेंक देने जैसी घटनाओं में कमी आई है.
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जैसलमेर के बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक हिम्मत सिंह कविया ने बताया कि जनवरी 2017 में सरकार ने पालना गृह की योजना बनाई. इस योजना को बनाने का उद्देश्य था कि कोई भी अनचाहे बच्चे को मारे नहीं उसे सूनसान जगह पर फेंके नहीं. इस योजना के शुरू होने के बाद से सड़कों पर फेंके जाने वाले अनचाहे नवजात अब सही हाथों में पहुंच रहे है. उन्होने बताया कि पहले जैसलमेर को कन्या हत्या के लिए कुख्यात माना जाता था मगर अब ऐसा नहीं है. अब सरकार की योजनाओं से और लोगों में जागरूकता से बदलाव आया है.
साल 2017 के बाद से हमें 2 बच्चे मिले जिनको उनके ही माता-पिता ने छोड़ दिया था, हमने उनका पालन पोषण किया और करीब 6 महीने के बाद ही उनके माता-पिता उन बच्चों को वापस अपने घर ले गए. इसके बाद 1 बच्ची मिली जिसको गुड़गांव से आए दंपति गोद ले गए. उन्होने बताया कि एक बच्ची को केयर टेकर के घर बाहर कोई छोड़ गया था उसकी अस्पताल में इलाज के दौरान डेथ हो गई थी. हाल ही में जवाहिर अस्पताल के पालना गृह में एक बच्ची मिली थी वो और एक बच्ची को माता-पिता छोड़ गए थे. ये दोनों बच्चियां हमारे यहां है और इनकी भी गोद देने कि प्रक्रिया जारी है और बहुत जल्द ये भी किसी परिवार को रोशन करेंगी.
Report-Shankar Dan