मंदिर में सबसे पहले ध्वज खेतड़ी से ही चढ़ाया जाता है. माता के प्रति खेतड़ी रियासत के राजाओं की मान्यता इतनी थी कि राजा अजीत सिंह के परम मित्र स्वामी विवेकानंद को भी राजा खेतड़ी से घोड़े पर बिठाकर जीण माता मंदिर दर्शन के लिए लेकर गए थे.
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झुंझुनूं: सीकर जिले की हर्ष पहाड़ियों के घने जंगलों में स्थित जीण माता मंदिर में सालाना उत्सव नवरात्र में शुरू हो गया है. खेतड़ी रियासत में जीण माता की अहम मानता रही है. जीण माता खेतड़ी रियासत के राजपूत राजाओं की कुलदेवी भी है. इस मंदिर में उत्सव की शुरुआत खेतड़ी से जाने वाले ध्वज के साथ होती है. मंदिर में सबसे पहले ध्वज खेतड़ी से ही चढ़ाया जाता है. माता के प्रति खेतड़ी रियासत के राजाओं की मान्यता इतनी थी कि राजा अजीत सिंह के परम मित्र स्वामी विवेकानंद को भी राजा खेतड़ी से घोड़े पर बिठाकर जीण माता मंदिर दर्शन के लिए लेकर गए थे. उस समय सीकर एवं खेतड़ी प्रमुख रियासतें थीं.
रविवार को श्रद्धालुओं का एक जत्था खेतड़ी से ध्वज लेकर सीकर के जीण माता मंदिर में स्थापित करने के लिए रवाना हुआ. जिसमें भक्तों के साथ-साथ खेतड़ी के गणमान्य व्यक्तियों ने भी हिस्सा लिया. माता के मंदिर में चढने वाले ध्वज को शहर के मुख्य मार्गों से घुमाया गया एवं सीकर जिले में स्थित जीण माता के मंदिर के लिए भेजा गया. इस ध्वज के मंदिर में चढ़ने के साथ ही नवरात्र का लक्खी मेला वहां पर शुरू हो जाएगा.
जीण माता के दर्शन के बाद ही कोई फैसला लेते थे खेतड़ी राजा
सुधीर गुप्ता ने बताया कि खेतड़ी के रियासत के राजा जीण माता की पूजा करते थे. यहां रियासत में रहे राजाओं को जीण माता साक्षात दर्शन भी देती थी. उस समय रियासत पर आने वाले किसी भी संकट का पहले ही रियासत के राजाओं का अनुमान हो जाता था. जिस पर युद्ध व अन्य संकट से निपटने के लिए खेतड़ी रियासत के राजा जीण माता की पूजा अर्चना कर ही आगे बढ़ते थे.
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खेतड़ी में जीण माता का ऐतिहासिक मंदिर
हर शुभ कार्य पर जीण माता का महिमामंडन किया जाता था. जिसके लिए खेतड़ी के राजा अजीत सिंह ने खेतड़ी मे भी जीण माता का ऐतिहासिक मंदिर बनाया हुआ है. राजा अजीत सिंह द्वारा बनवाए गए माता के मंदिर में आज भी नवरात्र के समय पूजा अर्चना होती है तथा मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है. खेतड़ी के लोगों द्वारा रियासत के समय से चली आ रही ध्वज चढ़ाने की परंपरा आज भी निभाई जा रही है और यहां से सैकड़ों श्रद्धालु ध्वज लेकर सीकर स्थित माता के मंदिर में जाते हैं.
ध्वज चढ़ने के बाद शुरू होता है लक्खी मेला
खेतड़ी से ले जाए जाने वाला ध्वज माता के मंदिर में चढ़ाते हैं, जिसके बाद माता का लक्खी मेला शुरू हो जाता है. इसी क्रम में खेतड़ी से यह ध्वज रवाना हुआ. इस मौके पर लीलाधर सैनी, अमित सैनी, सुधीर गुप्ता, बाबूलाल गुप्ता, प्रेमचंद सिंधी, सुरेश वाल्मीकि, अनिल गुप्ता, सोनू सैनी, प्रवीण गुप्ता, पवन कुमार, माणकचंद, गौरव सहित अनेक लोगों ने ध्वज यात्रा का स्वागत किया.
रिपोर्टर- संदीप केडिया