IAS बने सचिन राहड़ के झुंझुनूं आने पर हुआ स्वागत, डीजे पर थिरके घरवाले
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IAS बने सचिन राहड़ के झुंझुनूं आने पर हुआ स्वागत, डीजे पर थिरके घरवाले

Jhunjhunu News: झुंझुनूं के लादूसर गांव निवासी सचिन राहड़ ने UPSC 2023 में  प्राप्त की है, जिसमें सचिन को 291वीं रैंक मिली है. आईएएस बनने पर पहली बार झुंझुनूं पहुंचने पर सचिन राहड़ का परिवार के लोगों ने जोरदार स्वागत किया. 

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Jhunjhunu News: यूपीएससी के सिविल सर्विसेज के आए परिणाम में झुंझुनूं के लादूसर गांव निवासी सचिन राहड़ ने सफलता प्राप्त की है. सचिन राहड़ को 291वीं रैंक मिली है. चौथे प्रयास में सफलता हासिल करने वाले सचिन राहड़ की सफलता की कहानी भी काफी प्रेरणा देने वाली है.

सचिन राहड़ बताते है कि उनके पिता एक्सईएन शुभकरण और मां शिक्षिका सावित्री ने हमेशा हमारे तीनों बहन-भाइयों की पढ़ाई को प्राथमिकता रखा, वे जब हमारी पढाई पर पैसा खर्च करते थे तो परिवार और जानकार लोग टोकते भी थे लेकिन उन्होंने पढ़ाई के आगे कभी भी पैसों को महत्व नहीं दिया.

यही कारण है कि आज वे अपना सपना पूरा कर पाए है. सचिन के भाई सुनित सिंह भी इनकम टैक्स में इंस्पेक्टर है और बहन मोनिका डॉक्टर है. इधर, आईएएस बनने पर पहली बार झुंझुनूं पहुंचने पर सचिन राहड़ का परिवार के लोगों ने जोरदार स्वागत किया. ना केवल सचिन को फूलमालाओं से लाद दिया बल्कि परिवार के लोग जमकर डीजे पर थिरके और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर और गुलाल लगाकर बधाई दी. 

इस मौके पर सचिन राहड़ ने बताया कि उनके असली मोटिवेटर उनके परिवार के सदस्य है, जिनमें मम्मी, पापा, भाई, भाभी, बहन है, जिन्होंने हमेशा उसे मोटिवेट किया. उन्होंने बताया कि तीसरे प्रयास में जब वे मैन्स तक ही पहुंच पाए तो उन्होंने आगे तैयारी ना करने का मन बना लिया था लेकिन परिवार ने मोटिवेट किया और आज वे अपना सपना पूरा कर पाए.

उन्होंने कहा कि दोस्त और टीचर्स भी मोटिवेटर के रूप में साथ दिया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि युवाओं को प्लान लेकर पढ़ना चाहिए. वे खुद तो प्लान लेकर नहीं पढ़े लेकिन उन्हें लगता है कि बिना प्लान के पढ़ने से भविष्य असुरक्षित रहता है. साथ ही अब एग्जाम का नेचर बदल गया है. किसका सलेक्शन होगा, किसका नहीं, यह कोई नहीं बोल सकता, जिस दिन परिणाम आया, उस दिन वे खुद भी अपने दोस्तों के साथ मंदिर में बैठे थे लेकिन जब रिजल्ट आया तो खुशी हुई. 

आपको बता दें कि सचिन राहड़ का 2014 में, यानि ​10 साल पहले एनडीए में भी चयन हो गया था लेकिन उनका मन सिविल सर्विसेज में था इसलिए उन्होंने ज्वाइन नहीं किया. चूरू से एमए किया और अब 10 साल बाद अपने सपने को पूरा किया. 

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