चारा मंहगा होने से किसान और पशुपालकों की बढ़ी चिंता, भूखे मर रहे पशु
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चारा मंहगा होने से किसान और पशुपालकों की बढ़ी चिंता, भूखे मर रहे पशु

लूणी विधानसभा क्षेत्र में पिछले कई महीनों से एक तरफ पानी की किल्लत है तो वहीं दूसरी तरफ पशुधन चारा महंगा होने से पशुपालकों की चिंता और बढ़ गई है. वहीं अकाल की मार से पशु आहार और अनाज के भाव एक जैसे हो गए हैं.

पशु आहार हुआ मंहगा.

Luni: जोधपुर जिले के लूणी विधानसभा क्षेत्र में पिछले कई महीनों से एक तरफ पानी की किल्लत है तो वहीं दूसरी तरफ पशुधन चारा महंगा होने से पशुपालकों की चिंता और बढ़ गई है. वहीं अकाल की मार से पशु आहार और अनाज के भाव एक जैसे हो गए हैं. यह हालात 70 साल में पहली बार ऐसा हुआ है, जब पशु चारा का भाव आसमान छू रहे हैं.

ऐसे में किसान और पशु पालकों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है. वहीं, अकाल की मार से किसानों की कमर तोड़ दी है. आय का जरिया ही पशुधन है, जिसको पालना उनके लिए मुश्किल हो रहा है. सुकाल में चारा खेत में पैदा होने पर मोल खरीदने की जरूरत नहीं रहती है. 

किसान चार-पांच गायों को पालता है, लेकिन अब मोल खरीदने की मजबूरी आ गई है. वहीं, किसानों ने बताया कि पिछले साल कम बारिश हुई थी, लेकिन चारा ज्यादा उत्पादन नहीं हुआ था, जिसकी वजह से आज इन दिनों में चारा महंगा होने से भाव आसमान छू रहे है.

साथ हीं, उन्होंने कहा कि यदि समय पर बारिश हो जाए तो ठीक है, अन्यथा चारा को छोड़कर अनाज भी नहीं खरीद पाएंगें. वहीं पशुधन मर जाएंगे. पशुपालक ने बताया कि पेट्रोल-डीजल के दाम में बेहताशा वृद्धि होने से चारा के दाम बढ़ गए हैं. वहीं पड़ोसी राज्यों से राजस्थान में आने वाले चारा पेट्रोल-डीजल की कीमतों की वजह से पशु पालकों पर असर पड़ रहा है. 

एमपी, गुजरात, यूपी, महाराष्ट्र और पंजाब से आने वाला चारा की आपूर्ति बंद हो गई है. ऐसे में पशु पालकों की चिंता और बढ़ गई है. पशुपालकों ने बताया कि पेट्रोल और डीजल के दाम तो चहन कर सकते हैं, लेकिन चारा ही नहीं मिल रहा है. पहले तो गुजरात , मध्य प्रदेश , पंजाब हरियाणा , युपी से कम दरों में ही चारा उपलब्ध हो जाता था, लेकिन दोगुने दाम होने से कई राज्यों से चारा भी नहीं मिल रहा है. यहां तक मध्य प्रदेश प्रशासन ने चारे की निकासी के लिए रोक लगा दी है. 

खास तौर पर जोधपुर के आस-पास क्षेत्र में इन दिनों भीषण गर्मी में चारे की भारी किल्लत हो गई है. ऐसे में राज्य सरकार अकाल राहत के अंतर्गत चारा डिपो खोले तो राहत मिले. हालात ऐसे हो गए कि पशुपालक अपने पशुओं को आवारा छोड़ देते हैं, ताकि दान पुण्य करने वाले लोग उनके पशुओं के लिए कुछ खाने के लिए दान दे देगें, तो पशु जिंदा रह सकेगें. 

अगर मंहगाई की बात कि जाए तो
कपास पहले 18 रुपये किलो अब 40 रुपये किलो , तिल्ली खल की बात की जाए तो पहले 28 रुपये किलो अब 50 रुपये किलो , कपास खल पहले 20 रुपये किलो अब 45 रुपये किलो , चापड गेहूं पहले 10 रुपये किलो अब 24 रुपये किलो , जौ घाट पहले 13 रूपये किलो अब 34 रुपये किलो, मसुर का भुसा पहले 500 रुपये क्विंटल अब 1500 रुपये क्विंटल , गेहूं का भुसा पहले 250 रुपये अब 1300 रुपये क्विंटल में बढ़ोतरी हुई है, जिस तरह से दामों में बढ़ोतरी हुई हैं. वह उनको उचित मूल्य पर दूध भी नहीं बिक रहा है, लेकिन अब इन दिनों में 50 से 60 रुपये किलो के भाव से बिक जाता है, लेकिन आम दिनों में 40 से 45 रुपये किलो के भाव से दूध बिक रहा है, जिससे पशुओं का खर्चा भी निकालना मुश्किल हो रहा है. 

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