Jodhpur News: एक विदेशी की अनूठी पहल, 7 साल से ऐतिहासिक धरोहर जलाशियों की खुद करता है सफाई
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Jodhpur News: एक विदेशी की अनूठी पहल, 7 साल से ऐतिहासिक धरोहर जलाशियों की खुद करता है सफाई

Jodhpur News: जोधपुर में एक अजीब-गरीब देखने को मिल रहा है, जहां एक विदेशी पिछले 7 साल से ऐतिहासिक धरोहर जलाशियों की खुद सफाई कर रहा है. लोग उसे पागल कह रहे हैं. 

Jodhpur News: एक विदेशी की अनूठी पहल, 7 साल से ऐतिहासिक धरोहर जलाशियों की खुद करता है सफाई

Jodhpur News: रियासत काल में राजा-महाराजों ने जनता के पानी के लिए जोधपुर सूर्यनगरी के भीतरी इलाके में सुंदर और अदभुत कलाकृतियों कुएं, बावड़ी, तालाब बनाए ताकि इन तालाब और बावड़ियों से आमजन को शुद्ध पेयजल की सुविधा मिल सके. 

राजा महाराजाओं के समय में उनके क्षेत्र में जब अकाल पड़ता तो यहां अपनी प्रजा को रोजगार देते और ऐसे बावड़िया महल तालाब बनवाते, लेकिन आज प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी सूर्यनगरी जोधपुर की यह बावड़ी कुएं- तालाब  देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व खोता नजर आ रहा था. जब  इंग्लैंड से आए एक विदेशी ने इन बावड़ियों तालाबों को देखा तो उसके दिल दिमाग में इन्हें संजोने का खयाल ऐसा आया कि आज इनकी साफ रखने का जिम्मा उठाया. 

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कहते हैं कि ऐतिहासिक धरोहर के मामले में देश खासकर राजस्थान धरोहर के ममोए में दुनिया में रिच माना जाता है. साथ समुंदर पार विदेशी महेमान इसे देखने निहारने के लिए यहां आते हैं. वैसे तो आपने विदेशी सैलानी सैर-सपाटे के लिए यहां आते है, लेकिन विदेशियों में भी अपने देश की पुराने ऐतिहासिक स्थलों को लेकर दिलचस्पी लगातार बढ़ती जा रही है. 

ऐतिहासिक धरोहर 
अगर यहां कोई घूमने आए और यहां को धरोहर को संजोने के लिए अपना सब कुछ छोड़कर यही इस धरोहर सरंक्षण में जुट जाएं तो इसे क्या कहेंगे. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है इस विदेशी मेहमान ने जो अब सिर्फ यहां ऐतिहासिक धरोहर की रखरखाव के लिए खुद जिम्मेदारी उठा रहा है.

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बावड़ी , झालरें व कुंड
जोधपुर शहर में पुराने समय में यहां की जनता को पानी संग्रह करने के लिए जलाशियों( बावड़ी , झालरें व कुंड ) से ही जरूरत पूरी होती थी. राजा-महाराजाओं के समय इन जलाशियों को इतना खूबसूरत कला से बनाया जाता था. इसी के चलते  यहां की अनायत  ने एक विदेशी को यहां रहने को मजबूर कर दिया है. मूलतया इंग्लैंड के रहने वाले केरेन  7 साल पहले यहां आया.   

7 साल से जोधपुर रह रहे 
केरेन का कहना है कि राजस्थान डेसर्ट का इलाका है. यहां पानी की समस्या बहुत ज्यादा  हैं. पुराने समय की इतिहासिक धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए राजस्थान गवर्नमेंट कुछ भी नहीं कर रही है. पिछले 7 सालों से केरेन जोधपुर में ही रह रहा है, अब केरेन का वीजा एक्सपायर हो चुका है. अब यह सोचा है कि अगर उसकी मौत होती है तो वह अपना देहदान भी भारत में ही करना चाहता है. इसके लिए दस्तावेज तैयार कर दिए गए हैं.
 
 इंग्लैंड के रहने वाले हैं 74 वर्ष के केरेन 
74 वर्ष के केरेन  इंग्लैंड का रहने वाला है. पेशे से टीचर रह चुके है और केरेन के दो बच्चे हैं. दोनों की शादी हो चुकी है. केरेन चाहते तो इंग्लैंड में अच्छी जिंदगी जी सकते थे, केरेन को पेंसन मिलती हैं उसी पेंसन के पैसे से अपना गुजरा करते हैं और कभी प्राचीन जलाशयों की सफाई करते वक्त अपने साथ मजदूर भी लगाते हैं. उस मजदूर को भी अपनी जेब से मजदूरी के  रुपए देते है. केरेन को बचपन से ही इतिहास से जुडी चीजों में दिलचस्पी थी और खासतौर पर इतिहासिक जलाशियों( बावड़ी , झालरें और कुंड) में जिसे गंदगी से बचाने की कोशिश करता रहता था. वर्ष 2013 में केरेन भारत घुमाने आया और यहीं रहने लगा. 

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विजिटर वीजा पर रूका भारत 
राजस्थान के कई शहरों में केरेन घुमा जोधपुर और जैसलमेर खास के पुराने जलाश्य में गंदगी देख केरेन ने खुद साफ करने की ठानी और कई जलाशियों को साफ किया. जब केरेन इन तालाब बावड़ियों को साफ करता तो वहां से गुजरने वाले लोग केरेन को पागल कहते, लेकिन केरेन अपनी धुन में इन बावड़ी तालाबों की सफाई में लगा रहा. केरेन जोधपुर के एक गेस्ट हाउस में प्रतिदिन 100 रुपये किराया देकर रहता है. इन्हें दिनों विजिटर वीजा पर भारत रुका हुआ है.  

खूबसूरती
केरेन जैसे विदेशी को अपने देश की संस्कृति इतनी अच्छी लगी कि इस विदेशी ने जो कर दिखाया जो जोधपुर के रहनेवाले नहीं कर पाए और ना ही नगर निगम या कोई प्रशासन डीपआर्मेंट कर पाया. केरेन का कहना की यह पवित्र जगह है, यहां मेडिटेसन, एजुकेसन, पर्यटन बढ़ावा मिल सकता हैं. कोई नगर निगम या राज्य सरकार या सेंट्रल आगे आए तो इन ऐतिहासिक धरोहरों की खूबसूरती बच पाएगी, जो जोधपुर की ऐतिहासिक पहचान है वह जीवित रह पाए. 

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