Jodhpur Railway: अंग्रेजों के जमाने की बिलाड़ा रेल लाइन एक इंच आगे नहीं बढ़ी, वर्षों से उठ रही है मांग
Advertisement

Jodhpur Railway: अंग्रेजों के जमाने की बिलाड़ा रेल लाइन एक इंच आगे नहीं बढ़ी, वर्षों से उठ रही है मांग

बिलाड़ा -बर लाइन का 45 किलोमीटर टुकड़ा को जोड़ने के लिए वर्षों से मांग उठ रही है. जैतारण को आजादी के बाद भी रेल लाइन नसीब नहीं हुई और जैतारण वासी आज भी रेल के लिए तरस रहे हैं बिलाड़ा व जैतारण के लोगों को हमेशा रेल बजट पर नजर रहती हैं. 

Jodhpur Railway: अंग्रेजों के जमाने की बिलाड़ा रेल लाइन एक इंच आगे नहीं बढ़ी, वर्षों से उठ रही है मांग

indian railways connectivity, Jodhpur News: रेल मंत्रालय पूरे भारत में रेल का जाल बिछाने का काम कर रही है. लेकिन हैरानी की बात है कि अंग्रेजों के समय से बिलाड़ा में बिछी 113 साल पुरानी रेलवे लाइन बिलाड़ा से 1 इंच भी आगे रेल नहीं बढी है. बिलाड़ा -बर लाइन का 45 किलोमीटर टुकड़ा को जोड़ने के लिए वर्षों से मांग उठ रही है. जैतारण को आजादी के बाद भी रेल लाइन नसीब नहीं हुई और जैतारण वासी आज भी रेल के लिए तरस रहे हैं बिलाड़ा व जैतारण के लोगों को हमेशा रेल बजट पर नजर रहती हैं कि इस बार हमारा रेल बजट में नाम आएगा परंतु हमेशा निराशा ही हाथ लगती. अब एक बार फिर सर्वे की मांग के साथ उम्मीद जगी है.

बिलाड़ा -बर  रेल लाइन, डीआरएम ने रेल मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट

बिलाड़ा -बर लाइन के लिए सैकड़ों बार सर्वे हुआ था परंतु आज तक 45 किलोमीटर टुकड़ा रेल से नहीं जुड़ा. रेल मंत्रालय अपने विभाग की अनुशंसा को गंभीरता से लेते हुए इस वित्तीय वर्ष से रेलखंड का विस्तार करें तो यह कहा जा सकता है कि बिलाड़ा तक आए इस रेलखंड का विस्तार 113 वर्ष बाद होगा. जोधपुर रेलवे के संस्थापक जसवंत सिंह द्वितीय ने 18 जनवरी 1950 पीपाड़ रोड से बिलाड़ा को जोड़ने के लिए 25 मील लंबी नैरो गेज डालने का निर्णय किया. इसमें से 19 मील पीपाड़ रोड - भावी हाल्ट लाइन 11 नवंबर 1910 को भावी बिलाडा 6 मील लाइन 1 मार्च 1993 को शुरू कर दी गई.

रेलखंड बिछाने से बिलाड़ा देश भर से जुड़ जाएगा 

इस पूरे रेलखंड को नैरो गेज से मीटर गेज में 1928 में बदल दिया गया. इसे 1997 फिर उखाड़ दिया गया 2001- 02 में तत्कालीन सांसद जसवंतसिंह विश्नोई ने अपने प्रयास से अमान परिवर्तन के लिए भूमि पूजन कराया और वर्ष 2008 में इसे ब्रॉडगेज में परिवर्तन कर दिया गया. अब हाल यह है कि सांसद विधायक चुनाव आते ही बिलाड़ा - बर जोड़ने की बात करते हैं परंतु आजादी के बाद भी लोगों को रेल नसीब नहीं हुई हमेशा सांसद लाइन की मांग करते हैं परंतु हमेशा उनको भी निराश होना पड़ रहा है.

उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य रेल अधीक्षक की सिफारिश

उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य रेल अधीक्षक की ओर से जयपुर एवं केंद्र के रेल मंत्रालय को बिलाड़ा जैतारण रास होते हुए ब्यावर रेलखंड से जोड़ने के लिए की गई सिफारिश अब व्यावहारिक रूप लेते नजर आने लगी है. अब तक के किए गए सर्वे के अनुसार बिलाड़ा से रास मात्र 45 किलोमीटर दूरी में रेलखंड बिछाने से बिलाड़ा देश भर से जुड़ सकेगा. वर्तमान में ब्यावर से मारवाड़ जंक्शन होते हुए रेल जोधपुर तक पहुंचने के दौरान 191 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ रहा है ,जबकि अब रास जैतारण बिलाड़ा होते हुए सीधे जोधपुर मात्र 133 किलोमीटर की दूरी तय कर पहुंचा जा सकेगा. इस प्रकार 58 किलोमीटर की दूरी के साथ करीब 1 घंटे का सफर समय कम होगा. सीमेंट और औधोगिक विकास में लाभकारी होगा.

रेलखंड का जोड़ना औद्योगिक विकास के लिए लाभकारी होगा

डीआरएम ने रेल मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट ने पहले ही कह दिया है कि रेलवे वह देश के विकास के लिए इस रेलखंड का जोड़ना लाभकारी होगा क्षेत्र के औद्योगिक विकास के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा. रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि यह क्षेत्र मैं सीमेंट उद्योग, लाइमस्टोन चाइना क्ले और ग्रेनाइट जैसे खनिजों से भरपूर समृद्ध है. ऐसे में यहां विशाल सीमेंट उद्योग स्थापित हो चुके हैं और इस नए उद्योग भी लग रहे हैं. यह सीमेंट उद्योग में इस रेलखंड की मांग कर चुके हैं क्योंकि उन्होंने अपने उत्पादन की विभिन्न स्थानों पर पहुंचाने के लिए मालवाहक ट्रेन की आवश्यकता है.

रेल मंत्रालय को विस्तृत जानकारी देते हुए कहा गया है कि एक प्रतिदिन सीमेंट लोडिंग का भार अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट द्वारा और निंबोल के पास स्थित प्लांट का भी हर रोज सीमेंट की लोडिंग के लिए 1 रेंक की आवश्यकता है. इस प्रकार बांगड़ वह अंबुजा सीमेंट के प्लांट लगे हुए हैं और लाइमस्टोन वह चाइना क्ले के लिए इस रेलखंड की आवश्यकता है.

ये भी पढ़ें- बामनवास में अवैध बजरी परिवहन को लेकर छापेमारी, 1 डंपर और 2 ट्रैक्टर-ट्रॉली जब्त

दशकों से बिलाड़ा बर रेल खंड विस्तार के लिए क्षेत्र के सभी प्रतिनिधि लोकसभा में राज्यसभा में तथा व्यक्तिगत रेल मंत्रालय और रेल मंत्री से मिलकर प्रयास करते रहें इसके लिए आंदोलन भी हुए बावजूद हर बजट में इस रेलखंड के लिए सिर्फ सर्वे के लिए थोड़ी राशि मिल जाती थी और फिर हर बार रेल मंत्रालय से यह जवाब आता है कि इस रेल खंड पर रेल लाइन बिछाना महंगा सौदा है.

नया सर्वे करवाया गया

इस बार सांसद पी पी चौधरी, सांसद दिया कुमारी राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत पूर्व में राज्यसभा सांसद रामनारायण डूडी एवं बद्रीराम जाखड़ की ओर से अब तक किए गए प्रयास रंग लाए और क्षेत्र में लग चुके सीमेंट प्लांट से अधिक से अधिक लादान मिलने के वायदे के साथ नया सर्वे करवाया गया.

जिसमें बिलाड़ा रेलखंड को जैतारण निंबोल टूकड़ा होते हुए रास जोड़ा जाना चाहे वह दूरी मात्र 45 किलोमीटर की है पहले से रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है, इसलिए रेल मंत्रालय को भी वित्तीय स्वीकृति के लिए ज्यादा विचार नहीं करना होगा.

बहरहाल यह रेल सेवा हर सूरत में महत्वपूर्ण है. औद्योगिक लिहाज से या फिर यात्री सुविधा के लिहाज से. लेकिन इतने वर्षों की मांग के बाद एक बार फिर से उम्मीद तो जगी है, लेकिन देखने वाली बात यह है कि क्या वर्षों की मांग पर आखिरकार मांग पूरी होगी या फिर एक बार इलाके के लोगो को निराशा हाथ लगेगी. यह देखने वाली बात होगी. जनप्रतिनिधियों को भी चुनाव में किये वादों को पुरजोर तरीके से उठाकर जनता की उम्मीद पर खरा उतरने की ताकि जनता को राहत मिल सके.

Trending news