जोधपुर परिवहन विभाग (Transport Department) द्वारा लंबे समय से सीज की हुई गाड़ियों का समय पर निस्तारण नहीं करने से जहां एक और राज्य सरकार (State government) को लाखों रुपये के राजस्व (Revenue) का नुकसान हो रहा है.
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Jodhpur: जोधपुर परिवहन विभाग (Transport Department) द्वारा लंबे समय से सीज की हुई गाड़ियों का समय पर निस्तारण नहीं करने से जहां एक और राज्य सरकार (State government) को लाखों रुपये के राजस्व (Revenue) का नुकसान हो रहा है तो वहीं गाड़ी मालिकों को भी नुकसान हो रहा है. दरअसल राज्य सरकार का एक नोटिफिकेशन है, जिसमें जब्त की हुई गाड़ियों का 90 दिन के अंदर निस्तारण करना आवश्यक है लेकिन इस आदेश की जोधपुर जिले में खुलेआम धज्जियां उड़ती दिखाई दे रही है.
दरअसल राज्य सरकार के राजस्व संग्रहण करने की नीति को लेकर डिफॉल्ट गाड़ी (Default car) मालिकों की गाड़ियों को परिवहन विभाग जब्त करता है और उसके 90 दिन बाद में उस गाड़ी को अगर परिवहन विभाग नीलाम (Car Auction) करता है तो समय पर सरकार को तो राजस्व मिलता है, वहीं गाड़ी मालिक को भी कुछ पैसा मिल जाने से थोड़ी राहत गाड़ी मालिक को भी मिल जाती है. लेकिन पिछले कई सालों से परिवहन विभाग के अलग-अलग जगह बनाए गए गैरेज में कई गाड़ियां कबाड़ बन चुकी है और उसकी जवाबदारी कोई भी लेने को तैयार नहीं है.
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अगर परिवहन विभाग गाड़ी को सीज करने के 90 दिन बाद ही यह सारी प्रक्रिया अपना लेता है तो आज सीज की हुई गाड़ियां कबाड़ नहीं होती और सरकार को भी लाखों रुपये का राजस्व मिल जाता. सूर्य नगरी यातायात सलाहकार समिति के अध्यक्ष ताहिर अली खान का कहना है कि विभाग द्वारा लंबे समय से गाड़ियों का निस्तारण नहीं करने के कारण से कई वाहनों के सामान और पार्ट्स गायब हो जाते हैं. इतना ही नहीं गाड़ी मालिक जब अपनी गाड़ी लेने आता है तो गाड़ियों की हालत देखकर वह अपने हाथ पीछे खींच लेता है क्योंकि परिवहन विभाग द्वारा जब गाड़ी सीज की जाती है, तब वह चालू हालत में होती है लेकिन बाद में विभाग द्वारा सही तरीके से उसकी सुरक्षा नहीं होने के कारण गाड़ियों में से कई पार्टस चोरी हो जाते हैं.
ऐसे में गाड़ी मालिक सरकारी राजस्व नहीं भरता है और परिवहन विभाग भी समय पर गाड़ियों की नीलामी बोली नहीं लगाता है, जिससे जब्त की हुई गाड़ियां कबाड़ बन जाती है. सरकार को लाखों रुपए की राजस्व हानि हो रही है. वहीं परिवहन अधिकारी गणपत पूनड़ ने बताया कि वैसे तो मार्च से पहले जब्त की हुई गाड़ियों को नीलाम कर दिया जाएगा लेकिन कई बार वाहन मालिकों द्वारा कोर्ट की शरण ले लेने की वजह से समय पर नीलामी नहीं हो पाती है. वहीं नीलामी प्रक्रिया के लिए भी एक लंबा प्रोसेस है, जिसके कारण समय पर नीलामी नहीं हो पाती है. लेकिन इस बार उम्मीद है कि मार्च से पहले इन गाड़ियों का निस्तारण जरूर हो जाएगा.
Report-Arun Harsh