Vat Savitri Purnima 2024 : आज वट सावित्री पूर्णिमा व्रत, पूजा के सिंदूर का ये उपाय है जरूरी
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Vat Savitri Purnima 2024 : आज वट सावित्री पूर्णिमा व्रत, पूजा के सिंदूर का ये उपाय है जरूरी

Vat Savitri Purnima 2024 : हिंदू धर्म में वट सावित्री पूर्णिमा व्रत का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार आज ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून को सुबह 7.32 से शुरू होकर 22 जून सुबह 6.38 तक रहेगी. ऐसे में आज ही वट सावित्री पूर्णिमा व्रत रखा जा रहा है. आज शुक्रवार के दिन वट सावित्री पूर्णिमा व्रत के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार है.

Vat Savitri Purnima 2024 Puj

Vat Savitri Purnima 2024 : हिंदू धर्म में वट सावित्री पूर्णिमा व्रत का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार आज ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून को सुबह 7.32 से शुरू होकर 22 जून सुबह 6.38 तक रहेगी. ऐसे में आज ही वट सावित्री पूर्णिमा व्रत रखा जा रहा है. आज शुक्रवार के दिन 
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार है.

शुभ मुहूर्त (Vat Savitri Purnima 2024 Puja Muhurat)
लाभ चौघड़िया का मुहूर्त- सुबह 7.80 मिनट से 8.53 मिनट तक
अमृत चौघड़िया का मुहूर्त- 8.53 मिनट से 10.38 मिनट तक
शुभ चौघड़िया का मुहूर्त- दोपहर 12.23 मिनट से 2.70 मिनट तक

व्रत की पूजा विधि
छापा बनाने के लिए एक कटोरी में हल्दी, चावल के साथ ही 14 पूड़ी और गुलगुलों के साथ भीगा चना रखें. बरगद के पेड़ के नीचे गाय के गोबर को लीप कर सावित्री और माता पार्वती के प्रतीक स्वरूप दो सुपारी को कलावा लपेट कर रखें. अब बरगद में 7 बार छापा लगाएं. अब वट वृक्ष पर जल, माला, फूल, सिंदूर, अक्षत, मिठाई, गुलगुले और 14 पूड़ियों के साथ चने का भोग लगा दें. सोलह श्रृंगार का सामान भी अर्पित करें. खरबूजा, आम और खीरा चढ़ाने के बाद एक घी का दीपक जलाकर धूप जला लें. अब सूत के धागे से बरगद के पेड़ के चारों तरफ बांध लें. ये परिक्रमा 5-7 बार करनी है.

पूजा के बाद ये करना ना भूलें
माता पार्वती को चढ़ाया गया सिंदूर अपनी मांग में तीन बार भरें और व्रत खोलने के बाद वृक्ष की एक कोपल और 7 चने पानी से निगल लें.

बीज मंत्र(Vat Savitri Vrat 2024 Mantra)
अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते।
यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले।तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा।।

आरती (Vat Savitri Vrat Aarti)
अश्वपती पुसता झाला।। नारद सागंताती तयाला।।
अल्पायुषी स त्यवंत।। सावित्री ने कां प्रणीला।।
आणखी वर वरी बाळे।।मनी निश्चय जो केला।।आरती वडराजा।।दयावंत यमदूजा। 
सत्यवंत ही सावित्री।भावे करीन मी पूजा। आरती वडराजा ।।
ज्येष्ठमास त्रयोदशी। करिती पूजन वडाशी ।।

त्रिरात व्रत करूनीया। जिंकी तू सत्यवंताशी।आरती वडराजा ।।स्वर्गावारी जाऊनिया। 
अग्निखांब कचळीला।।धर्मराजा उचकला। 
हत्या घालिल जीवाला।येश्र गे पतिव्रते। पती नेई गे आपुला।।आरती वडराजा ।।जाऊनिया यमापाशी। 
मागतसे आपुला पती।चारी वर देऊनिया। दयावंता द्यावा पती।
आरती वडराजा ।।पतिव्रते तुझी कीर्ती। ऐकुनि ज्या नारी।।
तुझे व्रत आचरती। तुझी भुवने पावती।।आरती वडराजा ।।पतिव्रते तुझी स्तुती। त्रिभुवनी ज्या करिती।।
स्वर्गी पुष्पवृष्टी करूनिया। आणिलासी आपुला पती।।अभय देऊनिया। पतिव्रते तारी त्यासी।।

डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी है, जिसकी ज़ी मीडिया पुष्टि नहीं करता है

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