30 हजार की वसूली के लिए रख दिया था आदिवासी परिवार को गिरवी, बंधुआ मजदूरी से कराया गया मुक्त
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30 हजार की वसूली के लिए रख दिया था आदिवासी परिवार को गिरवी, बंधुआ मजदूरी से कराया गया मुक्त

नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर के राष्ट्रीय कन्वेनर निर्मल गोराना अग्नि ने बताया की 26 नवंबर  को कलेक्टर बारां और एसडीएम अटरू को लिखित शिकायत दी गई.

बंधुआ मजदूरी से कराया गया मुक्त

Baran: जिले के अटरू तहसील में महेशपुरा गांव में सहरिया आदिवासी परिवार को मानव तस्करी (Human Trafficking) के जरिए पहुंचाया गया है, जहां पर इस सहरिया परिवार के प्रत्येक सदस्य से बंधुआ मजदूरी (Forced labour) करवाई जा रही है. जिसको लेकर एक सामाजिक संस्था ओर प्रशासन की मदद से आदिवासी परिवार (tribal family) को मुक्त कराया गया है.

नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर के राष्ट्रीय कन्वेनर निर्मल गोराना अग्नि ने बताया की 26 नवंबर  को कलेक्टर बारां और एसडीएम अटरू को लिखित शिकायत दी गई. अटरू क्षेत्र में एक सहरिया आदिवासी परिवार को मानव तस्करी एवं बंधुआ मजदूरी  से मुक्त कराने हेतु मांग की गई.

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बंधुआ मजदूर करण सहरिया जो कि सोठी तहसील जिला गुना मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) का रहने वाला है. सहरिया आदिवासी परिवार देश में कोरोना महामारी एवं लॅाकडाउन के चलते रोजगार (Employment) न मिलने की वजह से भूखमरी से जूझ रहा था. वहीं अटरू निवासी दिनेश नामक व्यक्ति ने करण सहरिया की मजबूरी का फायदा उठा कर उसको 30000 एडवांस राशि के रूप में दिए और उस 30,000 की वसूली के लिए दिनेश ने आदिवासी करण सहरिया एवं उसकी पत्नी के साथ उसके दो नाबालिग मासूम बच्चों को अटरू तहसील के महेशपुरा गांव में रहने वाले भगवान मीणा के घर गिरवी रख दिया.

अटरू प्रशासन के साथ सोशल लीगल इनफॉरमेशन सेंटर (Social Legal Information Center) के अधिवक्ता आमीन खान, बंधुआ मुक्ति मोर्चा गुना के जिला संयोजक नरेंद्र भदोरिया तथा नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डड लेबर के राजाराम ने संयुक्त रूप से मिलकर करण सहरिया के परिवार को मानव तस्करी एवं बंधुआ मजदूरी करवा रहे भगवान मीणा के चंगुल से मुक्त करवाया.

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बंधुआ मुक्ति मोर्चा गुना (Bandhu Mukti Morcha Guna) के जिला संयोजक नरेंद्र भदोरिया ने बताया कि बंधुआ मजदूर परिवार के मुक्ति के समय पता चला कि करण के 2 पुत्र हैं, जिसमें से एक पुत्र जिसकी उम्र 12 वर्ष है, उससे भगवान मीणा जबरन काम ले रहा था जबकि करण के दूसरे 9 वर्षीय पुत्र को भगवान मीणा ने महेशपुरा के नजदीक ही किसी अन्य गांव में काम पर लगा दिया और इस बच्चे के बारे में भी करण के परिवार को बताया नहीं जा रहा था. मौके पर पहुंची पुलिस ने भगवान मीणा को तत्काल ही 9 वर्षीय बालक को पेश करने के निर्देश दिए है.

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करण के परिवार को मुक्ति के पश्चात एसडीएम कार्यालय अटरू लाया गया और उनके बयान लेकर आगे की कार्रवाई होगी. सोशल लीगल इनफॉरमेशन सेंटर के अधिवक्ता अमीन खान ने बताया कि करण के परिवार को पहले मानव तस्करी के जरिए मध्य प्रदेश से राजस्थान (Rajasthan News) में ले जाया गया और वहां पर भगवान मीणा एवं दिनेश नामक व्यक्ति द्वारा उनसे जबरन बंधुआ बनाकर मजदूरी कराई जा रही थी. भगवान मीणा एवं दिनेश के खिलाफ बंधुआ मजदूरी प्रथा उन्मूलन अधिनियम 1976 तथा मानव तस्करी की धारा 370 के तहत तत्काल ही एफआईआर दर्ज कर मुक्त बंधुआ मजदूर एवं बाल बंधुआ मजदूरों को मुक्ति प्रमाण पत्र जारी कर उनके पैतृक स्थान पर भेजा गया है.
Report- Ram Mehta

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