Lok Sabha Chuanv 2024:विधानसभा जैसा लोकसभा में नहीं दिखा युवाओं का जोश,12 सीटों पर सिर्फ 55.10 फीसदी हुआ मतदान
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Lok Sabha Chuanv 2024:विधानसभा जैसा लोकसभा में नहीं दिखा युवाओं का जोश,12 सीटों पर सिर्फ 55.10 फीसदी हुआ मतदान

Lok Sabha Chuanv 2024:जिस तरह पांच माह पहले विधानसभा चुनाव में फर्स्ट टाइम वोटर ने मतदान केंद्रों पर कतारों में लोकतंत्र को मजबूत करने वाली तस्वीरें नजर आई.लेकिन पांच माह 25 दिन बाद ही 19 अप्रैल को पहले चरण में 12 लोकसभा सीटों पर हुए मतदान के लिए फर्स्ट टाइम वोटर्स का जोश कम हो गया.

Rajasthan Lok Sabha Election 2024

Lok Sabha Chuanv 2024:जिस तरह पांच माह पहले विधानसभा चुनाव में फर्स्ट टाइम वोटर ने मतदान केंद्रों पर कतारों में लोकतंत्र को मजबूत करने वाली तस्वीरें नजर आई.लेकिन पांच माह 25 दिन बाद ही 19 अप्रैल को पहले चरण में 12 लोकसभा सीटों पर हुए मतदान के लिए फर्स्ट टाइम वोटर्स का जोश कम हो गया.राजस्थान में लोकसभा चुनाव में पहले फेज की वोटिंग में फर्स्ट टाइम वोटर्स के वोटिंग टर्न आउट ने चिंता बढ़ा दी है.पहले चरण में सिर्फ 55 फीसदी फर्स्ट टाइम वोटर ही मतदान केंद्र तक पहुंचा.

युवा वोटरों पर सभी राजनीतिक दलों की नजर होती है लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले चरण में फर्स्ट टाइम वोटर में उदासीनता नजर आई.पहली बार वोट करने को लेकर जो युवाओं में जोश और उत्साह रहता है, ऐसा इस बार वोटिंग में बिल्कुल देखने को नहीं मिला है.
पहले फेज में 12 सीटों पर हुई वोटिंग में पहली बार वोटर्स (18-19 साल की एजग्रुप के वोटर्स) का वोटिंग टर्नआउट 55.10 फीसदी रहा..जबकि 5 माह पहले हुई विधानसभा चुनाव जब हुए थे तब इन सभी लोकसभा सीटों में आने वाली विधानसभा में इस एजग्रुप का वोटिंग प्रतिशत 76 फीसदी रहा था यानी इस बार 21 फीसदी कम वोटिंग हुई.

ये तब है जब फर्स्ट टाइम वोटरों में वोटिंग के प्रति रूझान बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने स्वीप प्रोग्राम के तहत स्कूल-कॉलेजों में अवेयरनेस प्रोग्राम चलाए.हाल ही में तीन दिन पहले लोकसभा चुनाव के मतदान के आंकडों को देखे तो 12 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई और उनमें जो 96 विधानसभा सीटें आ रही है.

 उनमें फर्स्ट टाइम वोटर्स (18 से 19 साल) की संख्या 7 लाख 98 हजार 520 थी, लेकिन इनमें से केवल 4 लाख 39 हजार 960 (55.10 फीसदी) वोटर्स ही बूथ पर पहुंचे और वोट अपना पहली बार वोट डाला..जबकि 25 नवंबर 2023 को हुए विधानसभा चुनावों के आंकडों पर नजर डाले तो 12 लोकसभा सीटो पर समाहित 96 विधानसभा सीटों पर करीब 76 फीसदी फर्स्ट टाइम वोटर्स (18 से 19 साल) ने वोटिंग की थी.

निर्वाचन विभाग के आंकडों के अनुसार मौजूदा 12 लोकसभा सीटों में विधानसभावार फर्स्ट टाइम वोटर्स की स्थिति बहुत चिंताजनक रही.12 लोकसभा सीटों पर समाहित 96 में से 24 विधानसभा में 50 फीसदी युवा भी वोट करने पोलिंग बूथ पर नहीं पहुंचे.इसमें चाकसू, बहरोड़, लूनकरणसर, वैर, सूरजगढ़, बाड़ी, कठूमर, बसेड़ी, कोलायत, विराटनगर, करौली, नदबई, नीमकाथाना, खेतड़ी, श्रीमाधोपुर, हिंडौन, कोटपूतली, डीग-कुम्हेर, टोडाभीम, बानसूर, श्रीडूंगरगढ़, नोखा, बयाना और सपोटरा सीट शामिल है.

96 में से 26 विधानसभा सीटें ऐसी है जहां फर्स्ट टाइम वोटर्स का वोटिंग टर्न आउट 60 से 75 फीसदी के बीच रहा..इसमें दौसा, हनुमानगढ़, झुंझुनूं, विद्याधर नगर, संगरिया, आदर्श नगर, अनूपगढ़, पीलीबंगा, सिविल लाईन्स, भादरा, धौद, रायसिंह नगर, सूरतगढ़, मालवीय नगर, सांगानेर, तारानगर, गंगानगर, कामां, नोहर, सीकर, सादुलशहर, बीकानेर पूर्व, चूरू, हवामहल, किशनपोल और बीकानेर पश्चिम की सीट शामिल है.

नए वोटर्स में विधानसभावार स्थिति देखे तो सबसे ज्यादा वोटर्स बीकानेर पश्चिम में 75.60 फीसदी हुई.जबकि दूसरी नंबर में जयपुर के किशनपोल सीट पर 70.81 फीसदी फर्स्ट टाइम वोटर्स वोट डालने बूथ पर पहुंचे.इधर दूसरी तरफ देखे तो फर्स्ट टाइम वोटर्स का वोटिंग टर्नआउट सबसे कम करौली लोकसभा की सपोटरा विधानसभा में रहा.

जहां वोटिंग प्रतिशत 40.38 फीसदी रहा.जबकि इस सूची में दूसरे नंबर पर भरतपुर की बयाना सीट रही, जहां फर्स्ट टाइम वोटर्स का वोटिंग टर्नआउट 40.73 फीसदी रहा.उधर निर्वाचन विभाग के दिव्यांग मतदाताओं की वोटिंग के आंकडों पर को देखे तो 62 प्रतिशत दिव्यांग मतदाताओं ने मतदान किया.

लोकसभा सीट वाइज देखे तो झुंझुनूं संसदीय सीट पर सबसे ज्यादा 71.97%, चूरू मे 69.67%, गंगानगर 68.64% नागौर 67.82% दिव्यांगजनों ने मतदान किया.भरतपुर में सबसे कम 44.37% दिव्यांगजनों ने मतदान किया.वहीं झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र के झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र में 81.9%, अलवर लोकसभा के तिजारा विधानसभा क्षेत्र में 78.19% दिव्यांगजनों ने मतदान किया.अलवर लोकसभा क्षेत्र के राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 21.71% दिव्यांगजनों ने मतदान किया.

बहरहाल, नए मतदाताओं का नया दृष्टिकोण होता है..एक युवा मतदाता की ऊर्जा और तकनीक-प्रेमी प्रकृति, चुनावी परिदृश्य को जीवंत बनाती है.साथ ही उत्तरदायित्व की भावना को बढ़ावा देती है.वे निर्वाचित प्रतिनिधियों को जवाबदेह बनाने और जनता से जुड़े मुद्दों का समर्थन करने, आवाज उठाने के लिए सोशल मीडिया का खूब उपयोग करते हैं.इस प्रकार लोकतंत्र को मजबूत करने में अपनी भूमिका निभाते हैंलेकिन फर्स्ट टाइम वोटर की मतदान के प्रति बेरूखी ने हैरत में डाल दिया हैं.

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