Rajasthan Politics : कुनबा बढ़ाने की होड़ में पार्टियां एक-दूसरे के कैम्प में सेंधमारी कर रही हैं. इसी कड़ी में अब बीजेपी के पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजल का नाम भी शुमार हो गया है. गुंजल ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली.
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Rajasthan Lok Sabha Elections 2024 : चुनावी बारिश का मौसम कई रंग लाता है, और उनमें से अधिकांश रंग अब दिखने लगे हैं. नेताओं के बयान गर्मी बढ़ाते दिखते हैं. तो कार्यकर्ता दरी-पट्टी बिछाते दिखते हैं. लेकिन इन्हीं रंगों में से एक रंग है. बारिश में फिसलन का. कई नेता विचारधारा की बात कहकर पार्टियों के साथ लम्बा वक्त निकालते हैं.लेकिन जब कभी पार्टी ने नेताओं को नजरअंदाज किया. या हालात बदलते देखे. तो नेता फिसल भी जाते हैं. ऐसी ही कुछ फिसलन चुनावी रपट पर दिख रही है.
कुनबा बढ़ाने की होड़ में पार्टियां एक-दूसरे के कैम्प में सेंधमारी कर रही हैं. इसी कड़ी में अब बीजेपी के पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजल का नाम भी शुमार हो गया है. गुंजल ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली, और साथ ही अपने दिल की बात रखते हुए कहा कि 40 पुराने कार्यकर्ताओं को पार्टी छोड़नी पड़ी है, तो उसका कुछ तो कारण रहा ही होगा. गुंजल को कांग्रेस में जोड़ने के लिए पार्टी ने ऐसा वक्त चुना, जब मुख्यमंत्री भजनलाल कोटा के दौरे पर थे. कांग्रेस में शामिल होते हुए गुंजल ने कहा कि हाड़ौती की बीजेपी में जो माहौल है, वह आम आदमी की आवाज दबा रहा है. गुंजल ने इशारों ही इशारों में निशाना साधते हुए कह दिया कि आज खरीददारी के आगे खुद्दारी को रास्ता बदलना पड़ा है.
पिछले दिनों बीजेपी के कुनबे में बढ़ोत्तरी हुई है. तो इधर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भी लगातार अपना कुनबा बढ़ाने में जुटी है. चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस को अब तक बीजेपी के साथ रहे नेताओं से भी गुरेज नहीं है. बीजेपी के प्रतिनिधि के रूप में सांसद और विधायक रहे नेताओं को कांग्रेस में जोड़ा जा रहा है. चुनाव में टिकिट की गारंटी नहीं होने की बात कही जा रही है. लेकिन पर्दे के पीछे टिकिट पहले ही तय हो चुके हैं. अब कांग्रेस ने प्रह्लाद गुंजल को पार्टी में शामिल किया है. गुंजल को पार्टी में लाते हुए पीसीसी चीफ गोविन्द डोटासरा ने उनकी शान में कसीदे पढ़े तो पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भी गुंजल की हौसला अफ़जाई की. डोटासरा ने गुंजल के आने में सचिन पायलट, टीकाराम जूली समेत पार्टी के सभी प्रमुख नेताओं की सहमति की बात भी कही.
कांग्रेस में शामिल होते वक्त गुंजल ने बीजेपी से अपने 40 साल पुराने नाते को याद किया. सड़कों पर किये अपने संघर्ष को याद किया. लेकिन साथ ही यह भी कह दिया का अब लोकतन्त्र में आम आदमी की आवाज़ को दबाना और कुचलने की प्रवृत्ति लोकतन्त्र की चुनौती बन गई है. गुंजल बोले कि लोकतन्त्र में सरकारें सुरक्षा की गारन्टी होती हैं. भय का कारण नहीं. उन्होंने कहा कि अगर सत्ता भय का कारण बनती भी है तो लोगों को हिम्मत से मुकाबला करना चाहिए. गुंजल ने कोटा के हालाता एक तरफ़ा बताते हुए कहा कि आज राजनीति में ज़ोर और जुल्म राजनीति का चरित्र बन गया है. और इसलिए खरीददारी के इस दौर में खुद्दारी को रास्ता बदलना पड़ा है. गुंजल बोले कि यह अस्तित्व की लड़ाई है. उन्होंने कह दिया कि कोटा में एक व्यक्ति और एक परिवार ही बीजेपी बन गया है.लेकिन गुंजल किसी नेता की दरी-पट्टी उठाने और गुलामी करने नहीं आया है.
गुंजल ने आने वाले संघर्ष का इशारा करते हुए साफ कहा कि धारा के साथ तो मरी हुई मछलियां बहती हैं. और ज़िन्दा लोगों का चरित्र तो धारा के विपरीत बहने का होता है. गुंजल ने कहा कि आस खुद्दार कार्यकर्ता कोटा की राजनीति में खून के आंसू बहा रहा है.
कोटा की राजनीति में प्रह्लाद गुंजल और ओम बिरला की अदावत किसी से छिपी हुई नहीं है. ऐसे में गुंजल के तीखे तेवरों ने दिखा दिया है कि वे आगामी चुनाव में कोटा में अपनी मजबूती दिखाने की पूरी कोशिश करेंगे. हालांकि कांग्रेस के टिकिट के लिए प्रह्लाद गुंजल का नाम तय है. लेकिन सवाल यह है कि क्या गुंजल को हाड़ौती कांग्रेस के सभी नेताओं का साथ मिलेगा. भले ही कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र के अधिकांश विधायक और प्रत्याशी इस मंच पर मौजूद थे. लेकिन गुंजल के खिलाफ कांग्रेस के टिकिट पर जीतने वाले शांति धारीवाल की गैर-मौजूदगी इस सवाल को प्रासंगिक बना रही थी. कि क्या वाकई गुंजल का कांग्रेस में आना सर्वसम्मति का फ़ैसला था?