Rajasthan Politics: कैसे पुलिस कांस्टेबल बनकर संसद तक पहुंचे उम्मेदराम बेनीवाल, पढ़ें नव निर्वाचित सांसद की इमोशनल कहानी
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Rajasthan Politics: कैसे पुलिस कांस्टेबल बनकर संसद तक पहुंचे उम्मेदराम बेनीवाल, पढ़ें नव निर्वाचित सांसद की इमोशनल कहानी

Rajasthan Politics:बाड़मेर जैसलमेर के नगर निर्वाचित सांसद उमेदा राम बेनीवाल बताते हैं कि दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल से संसद भवन तक का सफर बहुत ही सुहाना रहा है.किसी का समय कब बदल जाये कुछ पता नही लगता.

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Rajasthan Politics:कहते हैं कि जिंदगी का सफर अप्रत्याशित मोड़ और परिवर्तनों से भरा हुआ रहता है. और किसी का समय कब बदल जाये कुछ पता नही लगता. ऐसी ही एक प्रेरक कहानी बाड़मेर जैसलमेर के नव निर्वाचित सांसद उम्मेदराम बेनीवाल की भी है, कभी संसद मार्ग पर तैनात रहने वाले दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल उम्मेदराम अब देश की सबसे बड़ी विधायी संस्था के अन्दर बैठेंगे. सांसदों को आते-जाते देखने वाला पुलिसकर्मी अब खुद सांसद बन गया है.

बाड़मेर जैसलमेर के नगर निर्वाचित सांसद उमेदा राम बेनीवाल बताते हैं कि दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल से संसद भवन तक का सफर बहुत ही सुहाना रहा है. इस दौरान कई उतार चढ़ाव आए और कई विकट परिस्थितियों भी आई उन परिस्थितियों को चुनौती देकर आगे बढ़ा इस दौरान व्यवसाय व राजनीति में भी कई उतार चढ़ाव आए लेकिन आखिर सफलता हासिल कर ली.

उमेदाराम बेनीवाल बताते हैं कि 1995 में आर्मी में भर्ती होने के लिए जैसलमेर भर्ती में भाग लेने के लिए जा रहा था लेकिन भर्ती एक दिन पहले ही पूर्ण हो गई और मुझे बीच रास्ते में ही शिव से वापस बाड़मेर लौटना पड़ा इसी दौरान तत्कालीन सांसद रामनिवास मिर्धा ने दिल्ली पुलिस की भर्ती बाड़मेर पुलिस लाइन में आयोजित करवाई. 

दिल्ली पुलिस की भर्ती में भाग लिया तो मेरे 2 इंच चेस्ट व वजन कम पड़ गया तभी एक पुलिस ऑफिसर ने तो रिजेक्ट कर दिया लेकिन दूसरे पुलिस ऑफिसर ने कहा कि दिल्ली पुलिस की दाल खाएगा तो यह चेस्ट और वजन अपने आप बढ़ जाएगा और मेरा दिल्ली पुलिस में चयन हो गया.

मेरा आईपीएस बनने का सपना था और दिल्ली पुलिस के दौरान मैं कोचिंग दिल्ली लेकिन एक प्रयास के बाद मुझे लगा कि गैप बहुत ज्यादा है इसलिए मैं यह सफलता हासिल नहीं कर पाऊंगा और उसके बाद मैं दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़कर दिल्ली से ही व्यवसाय शुरू किया. 

उसके बाद व्यवसाय को आगे बढ़ाया और गांव में आकर 2010 में सरपंच का चुनाव लड़ा और चुनाव एक तरफ जीते फिर 2015 में पंचायती राज का चुनाव लड़ने के लिए परिस्थितिया अलग थी और इतनी जान पहचान भी नहीं थी कई राजनीतिक पार्टियों के पास चुनाव लड़ने के लिए गए लेकिन किसी ने स्वीकार नहीं किया. 

उसके बाद 2018 में हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से भाग्य आजमाया और बायतु विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए. हार के बावजूद भी उम्मेदाराम बेनीवाल बताते हैं कि उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़कर वह जीते और उसके बाद जनता के प्यार व आशीर्वाद से आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं.

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