फिर उठी स्वर्गीय जगत मामा के नाम जायल के महाविद्यालय का नामकरण करने की मांग
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फिर उठी स्वर्गीय जगत मामा के नाम जायल के महाविद्यालय का नामकरण करने की मांग

जगतमामा के नाम से विख्यात स्वर्गीय पूर्णाराम छोड के नाम से जायल के राजकीय महाविद्यालय का नामकरण करने कुछ मांग लगातार काफी समय से उठी हुई है. 

फिर उठी स्वर्गीय जगत मामा के नाम जायल के महाविद्यालय का नामकरण करने की मांग

Jayal: नागौर जिले के जगतमामा के नाम से विख्यात स्वर्गीय पूर्णाराम छोड के नाम से जायल के राजकीय महाविद्यालय का नामकरण करने कुछ मांग लगातार काफी समय से उठी हुई है, लेकिन एक साल से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद अभी तक किसी भी प्रकार का कोई एक्शन नहीं लिया गया है. वहीं, जायल के जगतमामा का स्वर्गवास होने पर पूरे प्रदेश भर में शौक की लहर रही है. 

बड़े-बड़े राजनेताओं से लेकर हर कोई जगतमामा के मौत का दुख जताया. वहीं अब युवाओं ने जायल के राजकीय महाविद्यालय के नाम स्वर्गीय पूर्णाराम छोड के नाम से करवाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को खून से पत्र लिखा है. वहीं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के विधायक नारायण बेनीवाल ने भी जायल के महाविद्यालय का नामकरण जगतमामा के नाम से करवाने के लिए मुख्यमंत्री को भी पत्र लिख चुके हैं. अब 15 सितंबर से शुरू होने वाली विधानसभा में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीनों विधायक विधानसभा में जायल के राजकीय महाविद्यालय का नामकरण जगतमामा स्वर्गीय पूर्णाराम छोड के नाम से करवाने की मांग उठाएंगे. 

कौन है जगत मामा स्वर्गीय पूर्णाराम छोड
राजस्थान के नागौर जिले के रहने वाले जगतमामा ने सैकड़ों बच्चों का भविष्य सुधारा. जायल के राजोद गांव के पूर्णाराम छोड़ उर्फ जगत मामा भले ही खुद कम पढ़े-लिखें रहे हों, लेकिन उन्होंने दूसरे बच्चों की पढ़ाई में बहुत मदद की. जगत मामा ने कुंवारे रह कर अपनी सारी जमीन गांव के स्कूल, ट्रस्ट और गौशाला के नाम पर दान कर दी. जगत मामा ने बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए करोड़ रुपयों के इनाम बांटे. 

जगतमामा उनकी शालीनता की वजह से काफी पहचाने जाते थे. सिर पर दूधिया रंग का साफा, खाकी रंग की फटी सी धोती और खाक (बगल) में नोटों से भरा थैला लेकर वह लाठी के सहारे चलते थे, तो बहुत ही साधारण से साधु लगते थे. वह प्यार के सागर और सोच के बहुत अमीर थे. इलाके के लोग बताते हैं कि जब भी स्कूल में किसी तरह की कोई प्रतियोगिता होती थी, तो जगतमामा पहुंच जाया करते थे और बच्चों का उत्साहवर्धन किया करते थे इसलिए बच्चे उनको बहुत प्यार करते थे. 

इसलिए कहलाते थे जगतमामा
पूर्णाराम छोड़ उर्फ जगतमामा के बारे में लोगों ने बताया कि कई बार हम लोगों को बचपन में जगत मामा ने हाथों से खाना खिलाया. कभी हम लोगों को पढ़ाई के लिए पैसे दिए. कभी हम लोगों की फीस भी जमा करवाई. हम लोगों को हमेशा ही पूर्णाराम छोड़ को भाणिया (भंजा) कहा इसलिए इन्हें जगत मामा कहा जाता है. 

इनाम देते थे जगतमामा
जगत मामा की दिनचर्या की शुरुआत सुबह शुरू होती थी. वह दिन भर में कई स्कूलों में पहुंचकर बच्चों को नोट बांट कर प्रस्थान करते थे. उन्हें जहां भी रुकने को जगह मिल जाती थी, वहीं रात को रुक जाते और फिर अगली सुबह दूसरे स्कूलों तक पहुंचते. वह जिस स्कूल में पहुंचते उसमें होनहार बच्चों की पहचान करके उन्हें नगद राशि के तौर पर इनाम देते थे.

साथ ही स्कूलों में बच्चों को हलवा-पूड़ी खिलाने और जरूरतमंद बच्चों की प्रवेश फीस से लेकर किताबें, स्टेशनरी, बैग और छात्रवृत्ति तक की व्यवस्था भी करते थे यानी वह हर समय गरीब और जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए तत्पर रहते थे. जगत मामा ने जिन बच्चों को प्रोत्साहित किया. वह विद्यार्थी आज कई बड़े अधिकारी पद पर है. कई राजनेता बन गए तो कई बड़े बिजनेसमैन बन गए हैं. 

जायल के गांव राजोद निवासी शिक्षा संत जगत मामा के नाम से विख्यात स्वर्गीय पूर्णाराम चौधरी की जयंती राजकीय महाविद्यालय के मुख्य गेट पर पुष्पांजलि करके मनाई गई. इस दौरान युवाओं ने मुख्यमंत्री के नाम खून से पत्र लिखकर राजकीय महाविद्यालय का नाम जगतमामा के नाम करने की मांग की गई. इधर मुख्यमंत्री को लिखा खुश से पत्र

महाविद्यालय का नामकरण जगत मामा के नाम करने की मांग को लेकर जगतमामा की जयंती पर महाविद्यालय के मुख्य गेट पर पुष्पांजलि करके मनाई गई. इस दौरान युवाओं ने मुख्यमंत्री के नाम खून से पत्थर लिखकर राजकीय महाविद्यालय का नामकरण जगतमामा के नाम करने की मांग उठाई गई. 

इस दौरान सैकड़ों की तादाद में छात्र शक्ति ने भाग लिया सभी छात्र शक्तियों की ओर से एक ही मांग रखी गई जगत मामा के नाम से जायल महाविद्यालय का नामकरण किया जाए. हरिराम रेवाड़ अशोक राड़ सहित अनेक युवाओं ने अपने खून से मुख्यमंत्री महोदय के नाम पत्र लिखकर महाविद्यालय का नामकरण करने की मांग रखी. 

आज और दो तीन दिन से चल रही मुहिम मे युवाओं द्वारा 1210 पोस्टकार्ड लिखे गए. जगत मामा ने अपना पूरा जीवन काल शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए समर्पित कर दिया. जगत मामा पढ़े-लिखे नहीं होने के बावजूद भी शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने उल्लेखनीय योगदान दिया. 

यह भी पढ़ेंः Jayal: नहीं रहे जगत मामा, खुद अनपढ़ रहकर भी जगाई थी शिक्षा की जोत

वह लोगों और जनमानस भी जगतमामा के नाम जायल महाविद्यालय का नामकरण करने की भावनाएं हैं. इस समय पर्यावरण प्रेमी हरिराम रेवाड़, जायल महाविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अशोक राड़, ओमप्रकाश बिडीयासर डीडवाना, AbVP से अध्यक्ष प्रत्याशी रविंद्र कड़वासरा नागौर, एनएसयूआई प्रत्याशी रविंद्र धुण, जायल महाविद्यालय से निर्दलीय प्रत्याशी रामप्रसाद मेघवाल, AbVP प्रत्याशी सुरेंद्र साहू डीडवाना, कॉलेज भीम सेना से शकीना बानो के समर्थक सहित हजारों की तादाद में युवाओं ने मुख्यमंत्री के नाम पोस्टकार्ड लिखे गए. इस अवसर पर देवाराम और राजेंद्र लोमरोड़ ने मंच संचालन किया. इस अवसर पर रुपाराम लील झुमर डुकिया, राकेश रेवाड़, अजित, जेताराम मुलाराम, रामदेव सागवाल, राहुल राजु रेवाड़ महेंद्र, लोमरोड़, महिपाल सिंवर, सहित इत्यादि युवा उपस्थित थे. 

Reporter- Damodar Inaniya

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